खुद को बेगुनाह साबित करने में एक महिला को लग गए नौ साल, जानिए क्या है मामला
विवाहिता के लिए खुद को बेगुनाह साबित करने में नौ साल लग गए। अपर सत्र न्यायधीश तृतीय ने विवाहिता को दोषमुक्त कर दिया।
मुरादाबाद । विवाहिता के लिए खुद को बेगुनाह साबित करने में नौ साल लग गए। अपर सत्र न्यायधीश तृतीय ने विवाहिता को दोषमुक्त कर दिया। कोर्ट ने फैसला सुनाया तो महिला की आखों से खुशी के आसू छलक उठे।
मामला अमरोहा जिले के थाना देहात क्षेत्र के गाव नन्हेड़ा अल्यारपुर का है। यहा के रहने वाले राजेश शर्मा के पुत्र दीक्षित शर्मा ने झारखंड के जनपद गिरीडीह निवासी रुचि शर्मा से 2009 में विवाह किया था। ससुर राजेश शर्मा का आरोप था कि उसकी पुत्रवधु उसके बेटे पर दबाव बनाकर झारखंड जाने के लिए दबाव बनाने लगी। वह नहीं माना तो उसकी पुत्रवधु परिवार के लोगों से नफरत करने लगी। रुचि के ससुर ने मई-2010 में तत्कालीन एसपी उदय प्रताप ड्क्षसह को एक शिकायती पत्र सौंपकर बहू रुचि शर्मा व उनके परिजनों के खिलाफ बेटी को खाने में जहर मिलाकर देने के आरोप लगाया था। पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर रुचि शर्मा को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। ढाई माह बाद रुचि शर्मा जमानत पर बाहर आईं और अपने माता-पिता के घर जाकर रहने लगी और वहीं से केस की पैरवी करने लगी। मामले की सुनवाई करते हुए अपर सत्र न्यायधीश तृतीय सुरेश चंद्र ने रुचि शर्मा व उनके परिजनों को आरोप साबित न होने के कारण दोषमुक्त कर दिया। पति वसूली करने के आरोप में जा चुका है जेल दोषमुक्त हुई रुचि शर्मा के पति दीक्षित शर्मा सीएम योगी आदित्यनाथ के ओएसडी अभिषेक कौशिक का भाई बनकर अधिकारियों से अवैध वसूली करने के आरोप में जेल जा चुका है। मामला जब अभिषेक कौशिक तक पहुंचा था तो उन्होंने ही पुलिस को एक नंबर मुहैया कराया था। उसे सर्विलास पर लगाकर पुलिस ने दीक्षित शर्मा निवासी काठ दरवाजा अमरोहा को गिरफ्तार कर जेल भेजा था। रुचि शर्मा ने झारखंड में भी मारपीट व उत्पीडऩ के साथ ही तलाक का मुकदमा कर रखा है।