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बच्चों की गतिविधियां बताती हैं यातना का दंश

मुरादाबाद (श्रीशचंद्र मिश्र 'राजन') : देश के भविष्य कहे जाने वाले बच्चे मानसिक व सामाजिक विकृतिय

By JagranEdited By: Published: Mon, 04 Jun 2018 10:10 AM (IST)Updated: Mon, 04 Jun 2018 10:10 AM (IST)
बच्चों की गतिविधियां बताती हैं यातना का दंश
बच्चों की गतिविधियां बताती हैं यातना का दंश

मुरादाबाद (श्रीशचंद्र मिश्र 'राजन') : देश के भविष्य कहे जाने वाले बच्चे मानसिक व सामाजिक विकृतियों से जूझ रहे हैं। ऐसी घटनाएं लगातार सामने आ रही हैं, जिनमें बच्चों का शारीरिक व मानसिक उत्पीड़न करने के आरोपित उनके करीबी व नजदीकी हैं। ऐसा करने वाले एक अलग तरह की बीमारी से ग्रसित होते हैं। इसे पीडोफिलिया कहते हैं।

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होते हैं बीमारी के शिकार

बाल मनोविज्ञानी अंजली महलके ने बताया कि पीडोफिलिया एक मानसिक रोग है। इसके शिकार लोगों की नजरें सोलह व इससे कम उम्र के बच्चों पर होती है। ऐसे लोगों में तीव्र यौन विकृति होती है। इनके निशाने पर सिर्फ बच्चे होते हैं। जरूरी नहीं कि बच्चों का यौन शोषण सिर्फ पीडोफिलिया रोगी करें। पीडोफिलिया के शिकार लोगों का बचपन तनावग्रस्त होता है। वह खुद शोषण के शिकार होते हैं। यही वजह है कि रोगी डरे व सहमे रहते हैं। इसको लेकर कई शोध हुए हैं। इसमें पता चला है कि बच्चों का यौन शोषण करने वाले उनके ही बीच के होते हैं। मां, बाप व अध्यापक बच्चों पर ध्यान दें। यौन उत्पीड़न के शिकार बच्चे अचानक ज्यादा नहाने अथवा न नहाने में रुचि दिखाते हैं। उनके भीतर गहरा डर समा जाता है। वह एकाग्रचित नहीं हो पाते। यहां तक कि खुद को चोट पहुंचाने की कोशिश करते हैं। कुछ बच्चे अपने हाथ तक काट लेते हैं। दूसरे से दूरी बना लेते हैं। अपना शरीर भी नहीं छूने देते। बच्चों के ऐसे बर्ताव को गंभीरता से लें। बच्चों के जीवन में मां-बाप को झांकना होगा। उनके करीब कौन है, वह किससे मिलता है? इस पर नजर रखें। बच्चों को अच्छे व बुरे की परख करना बताएं। जब उन्हें कोई अजीब तरीके से टच करे तब मना करने के लिए प्रेरित करें। बच्चों को झिझक व शर्म का त्याग करना सिखाना होगा। चुपचाप यातना व यौन उत्पीड़न सहन करने वाले बच्चे पीडोफिलिया के शिकार व डरपोक बन जाते हैं।

दुष्कर्म का लगाया था आरोप

डेढ़ माह पहले मूंढापांडे थाने पहुंची कुशीनगर की एक किशोरी ने दुष्कर्म करने का आरोप थानाक्षेत्र के गोविंदपुर गांव निवासी एक युवक पर मढ़ा। इतना ही नहीं किशोरी ने अपने फूफा व सौतेली मां पर खुद को दलालों के हाथ बेचने तक का आरोप मढ़ा। हैरत की बात यह है कि गंभीर आरोपों व बाल कल्याण समिति की मुकदमा दर्ज करने की संस्तुति के बाद भी पुलिस ने प्रकरण से किनारा कस लिया। आरोपितों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई तक नहीं हुई। महीनों तक नारी निकेतन में रहने को मजबूर किशोरी कथित मां के साथ अपने ही घर लौटने से इन्कार कर गई।

कॉल कर की शिकायत

मझोला थाना क्षेत्र में दो माह पहले एक व्यक्ति ने सौ नंबर पर काल किया। उसने बताया कि एक घर में किशोरी का उत्पीड़न हो रहा है। पुलिस मौके पर गई और किशोरी को थाने लाई। पूछताछ में नाबालिग पीड़िता ने एक दंपती व उनके बच्चों पर मारपीट करने व झाड़ू पोछा आदि कराने का आरोप मढ़ा। मामला पहले बाल कल्याण समिति फिर श्रम विभाग के पास गया। आरोपितों के खिलाफ बाल श्रम व उत्पीड़न का अभियोग पंजीकृत हुआ।

अध्यापक ने बच्चे को पीटा था

अप्रैल में रेलवे कालोनी हरथला निवासी मां-बाप बच्चे के साथ सिविल लाइन थाने पहुंचे। केंद्रीय विद्यालय के एक अध्यापक पर बच्चे से मारपीट करने व उसका शारीरिक उत्पीड़न करने का आरोप लगाते हुए उन्होंने अभियोग पंजीकृत कराया। फिलहाल मामला बाल कल्याण समिति के पास लंबित है।

अपराध में वृद्धि चिंताजनक

बच्चों के साथ अपराध में वृद्धि चिंताजनक है। अफसोस कि बच्चों के शारीरिक व मानसिक उत्पीड़न के प्रकरण पर पुलिस का नजरिया अलग है। शारीरिक शोषण की शिकार लड़कियों के मामले में पुलिस पास्को एक्ट के तहत कार्रवाई तो करती है लेकिन लड़कों के मामले में पुलिस की राय जुदा होती है। जबकि दोनों ही एक तरह के प्रकरण हैं। केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी ने एक ऐसे ही प्रकरण में देश के सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों को कुछ ही दिन पहले पत्र लिखा था। उन्होंने दो टूक कहा था कि दोनों ही मामलों को पुलिस को एक नजर से देखना चाहिए।

- गुलजार अहमद, अध्यक्ष, बाल कल्याण समिति मुरादाबाद।


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