कमरे में ही तैयार कर दी मशरूम की फसल
मुरादाबाद : सम्भल में एक व्यक्ति ने कमरे में ही मशरूम की फसल तैयार कर दी। दिल्ली, चंडीगढ़ और
मुरादाबाद : सम्भल में एक व्यक्ति ने कमरे में ही मशरूम की फसल तैयार कर दी। दिल्ली, चंडीगढ़ और बेंगलूरू की दवा कंपनियों से उन्हें आर्डर मिल रहे हैं। वहीं फसल में खासा मुनाफा होने से अन्य ग्रामीण भी इसकी खेती के लिए प्रेरित हो रहे हैं।
मुहल्ला कोट पूर्वी के मोहित शर्मा ने कमरे में आस्टर मशरूम की खेती कर दिल्ली, पंजाब समेत कई प्रांतों में जिले की पहचान बनाई है। मोहित शर्मा करीब आठ माह से अपने ही घर के कमरे में आस्टर मशरूम की खेती कर रहे हैं। वर्ष 2017 में मोहित ने हिमाचल प्रदेश के सोलन जिले के खुम्भ निदेशालय में मशरूम की खेती के लिए करीब 10 दिन का प्रशिक्षण लिया था। प्रशिक्षण के बाद मोहित ने अपने घर के कमरे में ही आस्टर मशरूम की खेती करने की तैयारी कर ली। घर के कमरे में 50 से अधिक पॉलीथीन में मशरूम को लगा कर खेती शुरू की। आस्टर मशरूम की छत्ते की तरह खेती होती है।
मोहित बताते हैं कि आस्टर मशरूम की फसल तैयार करने के लिए कमरे का तापमान 10 से 25 डिग्री सेल्सियस और नमी 70 से 90 प्रतिशत रखनी होती है। पहली फसल एक माह में तैयार हो जाती है। अब आसपास के गांव के लोग भी उनसे मशरूम की खेती के बारे में जानकारी लेने लगे हैं। मोहित ने बताया कि इसकी डिमांड अब अन्य राज्यों से आनी शुरू हो गई है। चंडीगढ़ और दिल्ली समेत बेंगलूरू की दवा कंपनियों से एक कुंतल मशरूम का आर्डर मिल चुका है। प्रति बैग 30 रुपये की लागत लगा कर 300 रुपये का मुनाफा कमाया जा सकता है। जबकि बाजार में मशरूम का भाव 200 रुपये प्रति किलोग्राम है।
ऐसे की जाती है खेती
मोहित ने बताया कि कमरे में इसकी खेती करने के लिए एक टैंक में 100 लीटर पानी भर कर उसमें 10 किलोग्राम भूसा भिगोया जाता है। पांच ग्राम वेबस्टीन पाउडर और 125 एमएल फार्मेटिन भी टैंक में घोली जाती है। इसे घोलने के बाद 24 घंटे तक फर्श पर सुखाया जाता है। सूखने के बाद इसमें सात सौ ग्राम बीज मिलाकर पैकेट तैयार किए जाते हैं। इतने सामान से पांच बैग तैयार होते हैं। इसके बाद इन्हें लटका दिया जाता है। एक माह में मशरूम तैयार हो जाएगा। इसी प्रयोग पर छह माह तक मशरूम आते रहेंगे। बताया कि मशरूम की अलग-अलग प्रजाति होती हैं, जिसमें आस्टर भी एक है। आस्टर मशरूम का बीज दिल्ली में उपलब्ध है।