कीजिए फूलों की खेती, मुनाफे से महकेगी जिंदगी की बगिया
मुरादाबाद : सम्भल के चन्दौसी में परंपरागत खेती से हटकर कुछ किसान अब नया करने लगे हैं। इ
मुरादाबाद : सम्भल के चन्दौसी में परंपरागत खेती से हटकर कुछ किसान अब नया करने लगे हैं। इसी में शामिल है फूलों की खेती, जो किसानों के लिए मुनाफे का सौदा बन रही है। चन्दौसी में भी फूलों की खेती खूब फल-फूल रही है। यहां उगाए गए विभिन्न प्रजाति के फूलों को आसपास के जिलों समेत कई राज्यों में भी सप्लाई किया जा रहा है। चन्दौसी से फूलों का लगभग 15 से 20 लाख सालाना का कारोबार होता है।
इन जगहों पर होती है खेती
चन्दौसी के जनेटा, पथरा, मई सादिकपुर, उमरा गोपालपुर, कैथल देवरखेड़ा आदि स्थानों में फूलों की खेती की जा रही है। मौसम के मुताबिक यहां गेंदा, गुलाब, रजनीगंधा तथा ग्लेडियोलस (ग्लेडियस) के फूल उगाये जाते हैं। इन फूलों की सप्लाई मुरादाबाद और बरेली की मंडी में की जाती है। इसके अलावा दिल्ली और राजस्थान में भी डिमांड के अनुसार इन्हें भेजा जाता है। हालांकि गर्मी के मौसम में यह कारोबार कुछ धीमा हो जाता है। चन्दौसी में उगाये जा रहे फूलों की अलग-अलग प्रजातियां शामिल हैं। गुलाब को परमानेंट क्रॉप के रूप में जाना जाता है। पूरे साल इसका उत्पादन होता है जबकि लूज फ्लॉवर (देसी गुलाब) के उत्पादन का खास समय होता है। इसी तरह लोकल ग्लेडियोलस (ऑरेंज) को गर्मियों में जबकि मल्टीकलर ग्लेडियोलस को सितंबर से फरवरी तक उगाया जाता है। सफेद रजनीगंधा की पैदावार का समय बरसात यानी जून-जुलाई में होता है। इसके अलावा यहां सीजनल फूल जैसे डहलिया, डेजी, कैलेंडुला आदि के फूल भी उगाये जाते हैं। गेंदा और गुलाब की खेती करने वाले गांव पथरा निवासी गंगा¨सह बताते हैं कि गेंदा का फूल 10 से 20 रुपये और गुलाब का फूल 80 रुपये प्रति किलो तक बिकता है। ज्यादातर शादी के सीजन में इसकी मांग होती है।
सालाना 20 लाख रुपये तक का कारोबार
ग्राम कैथल में नर्सरी चलाने वाले जितेंद्र सक्सेना बताते हैं कि चन्दौसी से सालाना तकरीबन 20 लाख रुपये का फूलों का कारोबार होता है। तमाम किसान इनकी खेती करके फायदा उठा रहे हैं।
पारंपरिक खेती से हटा ध्यान
चन्दौसी के कैथल, पथरा समेत गुन्नौर के कई स्थानों पर फूलों की खेती की जा रही है। किसानों का रुझान भी पारंपरिक खेती से हटकर फूलों की खेती की तरफ हुआा है। इससे उन्हें भी लाभ है। विभाग द्वारा कई योजनाएं भी किसानों के लिए समय-समय पर आती हैं जिसका लाभ वे उठा सकते हैं। इस समय जो लघु सीमांत किसान लूज फ्लॉवर जैसे गेंदा, देसी गुलाब आदि की खेती कर रहे हैं, उनके लिए 16 हजार रुपये प्रति हेक्टेयर तथा बड़े किसानों के लिए 10 हजार रुपये प्रति हेक्टेयर अनुदान दिए जाने की व्यवस्था है।
जगदीश प्रसाद, जिला उद्यान अधिकारी, सम्भल