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पहले शौचालय बनवाना फिर बारात लेकर आना

मुरादाबाद : 11 अगस्त 2017 को पहले ही दिन 13.10 करोड़ तथा कुल 132 करोड़ रुपये का कारोबार

By JagranEdited By: Published: Tue, 22 May 2018 07:05 AM (IST)Updated: Tue, 22 May 2018 07:05 AM (IST)
पहले शौचालय बनवाना फिर बारात लेकर आना
पहले शौचालय बनवाना फिर बारात लेकर आना

मुरादाबाद : 11 अगस्त 2017 को पहले ही दिन 13.10 करोड़ तथा कुल 132 करोड़ रुपये का कारोबार करने वाली अक्षय कुमार अभिनीत व श्रीनारायण ¨सह के निर्देशन वाली फिल्म टॉयलेट एक प्रेम कथा ने देश में शौचालय विहीन हजारों परिवारों के लिए एक संदेश दे दिया। महाराजगंज जनपद से टॉयलेट न होने पर एक बहू ने जो आवाज उठाई उस पर फिल्म तो बन गई लेकिन धरातल पर इसके मूर्तरूप होने का इंतजार तमाम परिवारों को आज भी है। सम्भल में भी टॉयलेट एक नई कहानी लिखने को बेताब है। 19 जून को जिस अरमान के साथ सम्भल के एक युवक ने मुरादाबाद की युवती से निकाह का सपना संजोया वह टूटने की स्थिति में पहुंच चुका है। युवती ने युवक से शादी करने से इन्कार करते हुए एक शर्त रख दी। शर्त भी अनूठी, अनोखी और संदेशपरक। युवती ने कहा जब टॉयलेट बनवाना तब बारात लेकर आना। पेशे से मजदूर युवक के पास इतना पैसा भी नहीं है कि वह टॉयलेट बनवा ले। नतीजतन उसने प्रधान के दर फरियाद की। ब्लाक मुख्यालय पर मिन्नत की। यहां तक कहा साहब टॉयलेट बनवा दो नहीं तो शादी नहीं होगी। जब सुनवाई कहीं नहीं हुई और शादी का दिन नजदीक आने लगा तो युवक दिल्ली के लिए निकल गया। अब वह दिल्ली में हाड़तोड़ मेहनत कर टॉयलेट के लिए रकम इकट्ठी करने में जुटा है।

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गांव सिहावली का है मामला

सम्भल तहसील क्षेत्र के ग्राम सिहावली निवासी रफीक पुत्र स्व. जलालुद्दीन की शादी मुरादाबाद जनपद के रतनपुर गांव निवासी स्व. अकबर की बेटी सबली से तय हुई थी। दोनों का निकाह 19 जून को तय था। इस दिन बारात जानी थी। रफीक शादी की तैयारियों में जुट गया। कुछ दिनों पहले रफीक के यहां रतनपुर से सूचना आई कि सबली ने निकाह से मना कर दिया है। जब रफीक ने कारण जानना चाहा तो टॉयलेट न होना बताया गया। इसके बाद रफीक ने भावी ससुरालियों को आश्वासन दिया और प्रधान राम रखी के पुत्र ओमकार यादव से सम्पर्क किया। यहां से पता चला कि प्रस्ताव जा चुका है। ब्लाक पर रुका है। रफीक ब्लाक तक पहुंचा तो मालूम चला कि धन नहीं है। थक हारकर रफीक खुद ही शौचालय के लिए जरूरी धनराशि को कमाने के लिए दिल्ली के लिए निकल पड़ा। रफीक ने कहा कि बहुत प्रयास किया लेकिन सफलता नहीं मिली।

खुद कमाकर बनवा दूंगा शौचालय

दो दिन पहले ही दिल्ली के सराय काले खां के निकट भिवाड़ी में एक कंस्ट्रक्शन कंपनी में काम मिल गया। सुबह आठ बजे से शाम के 4 बजे तक काम करता हूं 600 रुपये रोज मिलते हैं। दो दिन में 1000 रुपये इकट्ठे हो गए हैं। मैं खुद कमाकर शौचालय बनवा लूंगा।

रफीक, सिहावली

भेजा जा चुका है प्रस्ताव

मैंने अपने प्रयास से गांव में 26 शौचालय बनवा दिए। 10 शौचालय आवास के साथ बने। शेष 290 शौचालय के लिए प्रस्ताव ब्लाक को भेजा गया है। सहमति पत्र भी नहीं मिला है। धन मिला तो शौचालय बनवा दिए जाएंगे।

रामरखी, प्रधान सिहावली

शौचालय के लिए है पर्याप्त धन

शौचालय मद में हमारे पास पर्याप्त धन है। यह बात समझ से परे है कि वहां शौचालय के लिए लोग परेशान हैं और शौचालय नहीं बनवाए गए। इस फाइल को गंभीरता के साथ देखा जाएगा। इस गांव में जिसकी भी डिमांड आई है उन सबको शौचालय की धनराशि दी जाएगी।

शंभू नाथ तिवारी, सीडीओ सम्भल


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