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निर्माण के बाद ही उखड़ने लगे थे पैनल

मुरादाबाद :प्रदेश को हिलाकर रख देने वाले वाराणसी पुल हादसे के बाद 'दैनिक जागरण' ने जनपद के

By JagranEdited By: Published: Wed, 23 May 2018 01:59 AM (IST)Updated: Wed, 23 May 2018 01:59 AM (IST)
निर्माण के बाद ही उखड़ने लगे थे पैनल
निर्माण के बाद ही उखड़ने लगे थे पैनल

मुरादाबाद :प्रदेश को हिलाकर रख देने वाले वाराणसी पुल हादसे के बाद 'दैनिक जागरण' ने जनपद के जर्जर पुलों की स्थिति को करीब से जाना हैं। मंगलवार को विवेकानंद पुल की पड़ताल की गई हैं, पुल की हालत चार साल से जर्जर है। ऊपर पैनल डालने के बाद अभी तक डामरीकरण तक नहीं हुआ है। निर्माण के एक साल बाद ही पैनल उखड़ने लगे थे। हर बारिश में पुल में एक-एक फीट गहरे गड्ढे होने से सरिए भी ऊपर निकल आते हैं, जो जंग खाकर कमजोर पड़ रहे हैं। सेतु निगम की मानें तो डामरीकरण पीडब्ल्यूडी को करना है।

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लोकसभा का चुनाव 2014 में हुआ था, तब जिला प्रशासन ने पोलिंग पार्टियों के इसी पुल से गुजारने के चलते तेजी से काम पूरा करने के निर्देश दिए थे। चुनाव तक काम पूरा तो हो गया लेकिन डामरीकरण का काम पूरा नहीं होने से इसके ऊपरी पैनल उखड़ गए हैं। जिससे इस पुल की दिन पर दिन हालत आने वाले कुछ सालों में और भी खराब होना तय है। बारिश का पानी पुल पर जमा हो जाता है। पानी निकासी के लिए दोनों तरफ छेद छोड़े गए थे वह मिट्टी से बंद हो जाते हैं। जिन्हें साफ करने के लिए सेतु निगम के कर्मचारी जाते ही नहीं। इससे बारिश का पानी पुल के पैनल में ही समा जाता है। डामरीकरण न होना और पुल पर पानी निकासी की सही व्यवस्था में खामी के अलावा इसकी गुणवत्ता ठीक नहीं है।

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एक साल बाद पीडब्ल्यूडी के अधिकार में आएगा पुल

नए शासनादेश में निर्माण के पांच साल तक निर्माण एजेंसी ही पुल का रखरखाव करेगी, जिससे इसके निर्माण को पांच साल मार्च 2019 में पूरे होंगे। लेकिन यह शासनादेश तो अभी आया है। इससे पहले न तो सेतु निगम ने डामरीकरण कराया और न पीडब्ल्यूडी ने इसकी सुध ली, जबकि पुल के दोनों ओर बाईपास का डामरीकरण हो गया। सेतु निगम अफसरों की मानें तो पीडब्ल्यूडी इस पुल के निर्माण को पांच साल पूरे होने के बाद ही डामरीकरण करेगी। इस पर सवाल ये है कि फिर पांच साल तक सेतु निगम ने इसका डामरीकरण क्यों नहीं कराया? यह जानते हुए भी कि पुल के पैनल जगह-जगह से टूट रहे हैं।

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करीब 36 करोड़ की लागत से बना था पुल

विवेकानंद पुल 600 मीटर लंबा है। वर्ष 2014 में करीब 36 करोड़ रुपये की लागत से बना था। इस पुल के बनने से उत्तराखंड को जाने का रास्ता सुगम हुआ। साथ ही उप्र-उत्तराखंड की सीमा में सैकड़ों गांव व दर्जनों कस्बों और ठाकुरद्वारा को जाने के लिए रास्ता आसान हुआ लेकिन इस पुल की गुणवत्ता में खामी और लापरवाही दोनों पुल को नुकसान पहुंचा रहे हैं।

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वर्जन

यह पुल अगले साल पीडब्ल्यूडी के अंर्तगत आ जाएगा। डामरीकरण पीडब्ल्यूडी ही करेगा। इसको लेकर पीडब्ल्यूडी को पत्र भेजा जा चुका है। पैनल उखड़ने की स्थिति में कई बार मरम्मत करा चुके हैं। इस बार भी बारिश से पहले कराएंगे।

डीके गुप्ता, परियोजना प्रबंधक, सेतु निगम


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