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निजी स्कूलों पर शिकंजे से मिलेगी अभिभावकों को राहत

मुरादाबाद : सरकार ने सीबीएसई, आइसीएसई और उप्र बोर्ड के स्कूलों पर शिकंजा कसने को जो

By JagranEdited By: Published: Thu, 05 Apr 2018 02:14 AM (IST)Updated: Thu, 05 Apr 2018 02:14 AM (IST)
निजी स्कूलों पर शिकंजे से मिलेगी अभिभावकों को राहत
निजी स्कूलों पर शिकंजे से मिलेगी अभिभावकों को राहत

मुरादाबाद :

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सरकार ने सीबीएसई, आइसीएसई और उप्र बोर्ड के स्कूलों पर शिकंजा कसने को जो अध्यादेश का प्रारूप तैयार किया है, इससे अभिभावकों को काफी राहत मिलने की उम्मीद है। बशर्ते स्कूल संचालक इस अध्यादेश का पालन करें।

स्कूल संचालकों ने 12 से 15 फीसद तक इस बार फीस वृद्धि की है, लेकिन अध्यादेश में सात से आठ फीसद तक ही फीस वृद्धि कर सकते हैं। क्या अब स्कूलों को अतिरिक्त वसूली गई फीस अभिभावकों को रिफंड करनी होगी। पिछले सालों के आंकड़ों पर नजर डालें तो बेहद चौकाने वाले हैं। सरकार ने सालाना बीस हजार से ज्यादा शुल्क नहीं लेने का मसौदा अध्यादेश में तैयार किया है, लेकिन नामचीन स्कूलों में कक्षा छह से आठवीं तक नजर डालें तो 2500 रुपये महीना फीस थी। दो हजार रुपये के हिसाब से 24,000 रुपये ट्यूशन फीस और छह हजार रुपये से आठ हजार रुपये री-एडमीशन के नाम पर इस बार वसूल रहे हैं। स्कूलों ने गुमराह करने के लिए इसे वार्षिक शुल्क का नाम दे रखा है। पिछले सालों में जिला प्रशासन ने स्कूलों से फीस का ब्योरा लिया था। इस बार अभी तक कोई ब्योरा नहीं लिया है और न ही स्कूल संचालक पिछले दो सालों में जिला प्रशासन की बैठक में लिए निर्णय का पालन कर रहे हैं। ऑनलाइन पंजीयन दो से तीन स्कूलों को छोड़कर कहीं नहीं हो रहे हैं।

महानगर में तीन दर्जन से अधिक पब्लिक स्कूल हैं। इसमें सीबीएसई के ज्यादा हैं और आइसीएसई के छह स्कूल संचालित हैं। सीबीएसई में डेढ़ दर्जन स्कूल ऐसे हैं जिनकी ट्यूशन फीस 20 हजार रुपये सालाना से अधिक बैठती है। इस कानून का उल्लंघन करने पर जुर्माने की व्यवस्था भी होगी। जिससे अब तक बेलगाम पब्लिक स्कूलों को ज्यादा शुल्क वसूलने पर यह आर्थिक दंड देना होगा। अभिभावकों को प्रदेश सरकार का यह कदम बहुत ही उम्दा लगा है।

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:इनसेट:

ऐसे करते हैं प्रवेश के समय वसूली

-रजिस्ट्रेशन फीस-1500 से 2000(नॉन रिफंडेवल)

-एडमीशन फीस 12 से 15 फीसद हर साल बढ़ोत्तरी। अगर जूनियर कक्षा की 2000 फीस है तो सालाना 24000 रुपये। कई स्कूलों में इससे ज्यादा है तो कई में इससे कुछ कम भी है।

-कॉशन मनी रिफंडेवल (यह अभिभावकों के बिना हस्तक्षेप के स्वयं स्कूल संचालक स्कूल छोड़ने पर नहीं देते)।

-परीक्षा शुल्क कम से कम 5000 तो नामचीन स्कूलों ने निर्धारित कर रखा है, जो जायज नहीं।

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:इनसेट:

साल भर में फीस का अंतर (12 से 15 फीसद बढ़ोत्तरी के साथ)

नर्सरी से पांचवीं

2017-18 2018-19

1800 2040-2100

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छठी से आठवीं

2000 2240-2300

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नवीं से दसवीं

2200 2440-2500

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11वीं से 12वीं

2400 2640-2700

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नोट::यह फीस बढ़ोत्तरी कुछ स्कूलों के पिछले साल की फीस स्ट्रेक्चर के आधार पर है, जिसका डीआइओएस आफिस में ब्योरा जमा किया था। कुछ स्कूलों की फीस इससे अधिक व कम भी है।

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उप्र सरकार के अध्यादेश से बहुत राहत मिलेगी। पुराने छात्रों से हर साल ऐसे फीस वसूलते हैं जैसे नया प्रवेश कराया हो।

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उप्र सरकार का बहुत अच्छा कदम है। सात से आठ फीसद फीस बढ़ेगी तो कम से हमारे वेतन वृद्धि के दायरे में रहेगी।

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साल में जितना वेतन नहीं बढ़ता था स्कूल संचालक उससे ज्यादा फीस बढ़ा देते हैं। अब कुछ तो राहत मिलेगी।

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फीस हर साल बढ़ाते हैं, सुविधाएं हर साल नहीं बढ़तीं। नाम के नामचीन स्कूल हैं। देर से ही सही लेकिन अच्छा कदम है।

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प्रधानाचार्य से बातचीत पिछले साल डीएम के साथ जो बैठक हुई थी, उतनी ही फीस वृद्धि करते हैं। अध्यादेश आया तो जैसा सभी स्कूल करेंगे वैसा हम करने को तैयार हैं।

सुनीता भटनागर, प्रधानाचार्या, बोनी एनी पब्लिक

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इस बार फीस बढ़ोत्तरी जरूर की है लेकिन 10 से 12 फीसद के बीच ही बढ़ाई है। अध्यादेश में क्या नियम हैं इसके बारे में अभी कुछ कहना मुश्किल है।

मैथ्यूज, प्रधानाचार्य, पीएमएस


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