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धर्म संसद में धर्म की रक्षा के लिए संतों का मंथन

मुरादाबाद : ¨हदू युवा सेना की ओर से आयोजित धर्म संसद में संतों ने ¨हदू धर्म की रक्षा पर मंथ

By JagranEdited By: Published: Tue, 19 Jun 2018 02:10 AM (IST)Updated: Tue, 19 Jun 2018 02:10 AM (IST)
धर्म संसद में धर्म की रक्षा के लिए संतों का मंथन
धर्म संसद में धर्म की रक्षा के लिए संतों का मंथन

मुरादाबाद : ¨हदू युवा सेना की ओर से आयोजित धर्म संसद में संतों ने ¨हदू धर्म की रक्षा पर मंथन किया। धर्म की रक्षा के लिए सभी संगठनों को एकजुट होने का आह्वान किया गया। संतो ने कहा कि एकजुट नहीं होंगे तो धर्म नहीं बचेगा। धर्म गुरुओं ने अमेरिका पर कड़े प्रहार किए। मुख्य अतिथि अच्युतानंद तीर्थ ने कहा कि होली-दीपावली को शहीद सैनिकों के घर जाकर खुशियां बांटीं जाएं। पिछले एक माह में कई सैनिक देश की रक्षा में शहीद हुए तो हमारा भी कर्तव्य है कि त्योहारों पर उन्हें अपने पन का अहसास कराएं। स्वामी आशीष आनंद ने कहा कि अमेरिका की गोद में बैठकर देश का प्रतिनिधित्व नहीं किया जा सकता। धर्म संसद से यह संदेश देते हुए कहा कि दोबारा प्रधानमंत्री अमेरिका नहीं भारत का नागरिक बनाएगा। संतों ने अमेरिका के राष्ट्रपति द्वारा आरएसएस व विश्व ¨हदू परिषद पर की गई टिप्पणी की निंदा की। जूना अखाड़ा के धर्म गुरु एवं सशक्त ¨हदू राष्ट्र दल की राष्ट्रीय अध्यक्ष मुनिश्वर गिरि ने कहा कि अफगानिस्तान भारत का हिस्सा था लेकिन छठी शताब्दी में ¨हदुओं पर अत्याचार किया गया और अफगानिस्तान से ¨हदुओं को सत्ता से बेदखल कर दिया गया। आज चिंता ¨हदुत्व को बचाने पर है। सभी संगठन एकजुट होंगे तभी धर्म की रक्षा होगी। धर्म संसद की अध्यक्षता कर रहे हरिद्वार से आए महामंडेश्वर प्रेमानंद स्वामी ने कहा कि सबसे बड़ा धर्म सनातन धर्म है। इसकी रक्षा करना हम धर्म गुरुओं की जिम्मेदारी है लेकिन इनको मोहरा बनाकर सत्ता सुख भोगने से बाज आना चाहिए। इस मौके पर महामंडलेश्वर डॉ.विवेकानंद स्वामी, धर्म संसद के रक्षामंत्री नरसिन्हा नंद, स्वाभिमान मंच के अध्यक्ष चेतनानंद सरस्वती, ¨हदू युवा सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष अंश चेतन्य महाराज, राष्ट्रीय संरक्षक यति कृष्णानंद महाराज व पंडित अधीर कौशिक, उत्तराखंड के वरिष्ठ समाज सेवी जेपी बडौनी, ब्रह्मानंद गिरि, परविंद्र आचार्य, कृष्णवीर फौजी चांदपुर, ¨हदू युवा सेना के पश्चिमी उप्र प्रभारी रवि सैनी समेत अन्य कार्यकर्ता मौजूद रहे। संचालन साहित्यकार व कवि संजीव एकल ने किया।

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