चौराहों से गायब सीसीटीवी,कंपनी मांग रही पैसा
मुरादाबाद:यातायात व्यवस्था को ठीक करने के साथ ही अपराधियों पर पैनी नजर रखने के लिए चौरा
मुरादाबाद:यातायात व्यवस्था को ठीक करने के साथ ही अपराधियों पर पैनी नजर रखने के लिए चौराहों पर सीसीटीवी लगाये गये थे, लेकिन मौजूदा समय में चौराहों और महत्वपूर्ण स्थलों से सीसीटीवी गायब है या फिर खराब हो चुके है। मजे की बात यह है कि इन सीसीटीवी के बारे में अधिकारियों को भी नहीं पता है।
शहर में सीसीटीवी लगाने के लिए साल 2014 में प्रशासन और पुलिस ने एक संयुक्त कमेटी गठित की थी। जिसके बाद शहरी क्षेत्र में 106 सीसीटीवी लगाने का फैसला किया था,लेकिन इस फैसले के बाद सीसीटीवी खरीद को लेकर मामला फंस गया था। पुलिस विभाग में किसी मद में पर्याप्त धनराशि उपलब्ध न होने पर तत्कालीन जिलाधिकारी ने रायफल क्लब से 13 लाख 49 हजार रुपये का बजट जारी करने का निर्णय लिया था। इस बजट के जारी होने के बाद निजी कंपनी के द्वारा शहरी क्षेत्र में 106 सीसीटीवी के साथ ही डीवीआर चौराहों और महत्वपूर्ण स्थानों में लगाए थे। लॉजिकल इफ्रांटेक कंपनी ने इस सीसीटीवी को लगाने के साथ ही उनके मेंटीनेंस की जिम्मेदारी ली थी। रायफल क्लब से सीसीटीवी लगने के दौरान 11 लाख 50 हजार रुपये का भुगतान भी संबंधित कंपनी को जारी कर दिया था। मौजूदा समय यह सीसीटीवी किस हालत में यह किसी भी अफसर को जानकारी नहीं है। वहीं सीसीटीवी को लगाने वाली कंपनी के प्रतिनिधि यह कहने में लगे हुए हैं,उनका अनुबंध साल 2017 तक था,लिहाजा सीसीटीवी की क्या स्थिति है,उन्हें इस संबंध में कोई जानकारी नहीं है। हालांकि कंपनी के प्रतिनिधि आए दिन अपने शेष भुगतान को लेने के लिए कलेक्ट्रेट के चक्कर काट रहे हैं। वहीं अफसर भी इस भुगतान को लेकर हैरान है। मौजूदा अफसरों के पास भी इन सीसीटीवी को लेकर कोई जानकारी नहीं है। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर इतनी बड़ी धनराशि के खर्च होने के बाद शहर में लगाए गए सीसीटीवी कहां और किस हालत हैं। इन सीसीटीवी की देखरेख का जिम्मा किस समिति का सौंपा गया था। वहीं जब सीसीटीवी का संबंध सीधे सुरक्षा व्यवस्था है,तो फिर रायफल क्लब के महत्वपूर्ण बजट से पैसा आखिर क्यों जारी किया गया। इन सभी सवालों के जवाब किसी भी अफसर के पास फिलहाल मौजूद नहीं है।
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त्योहारों में मंगाए गए किराए के सीसीटीवी
शहर की कानून व्यवस्था को मजबूत रखने के लिए त्योहारों के अवसर पर पुलिस व प्रशासनिक अफसर महत्वपूर्ण स्थलों की निगरानी करने के लिए सीसीटीवी लगाने का काम करते हैं। ईद,बकरीद के साथ कांवड़ यात्रा के दौरान सड़कों पर सीसीटीवी लगाए जाते हैं। यह सीसीटीवी किराए पर मंगाकर लगाए जाते हैं। पुलिस और प्रशासन के पास इतनी बड़ी संख्या में जब सीसीटीवी मौजूद है,तो शायद अफसरों को किराए पर लेने की जरूरत ही न पड़ती।
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केवल एक साल तक किया मेंटीनेंस
सीसीटीवी लगाने वाली निजी कंपनी के प्रतिनिधि नवीन कुमार ने बताया कि सीसीटीवी की खरीद के समय में जो बजट जारी किया गया था,उस बजट में एक साल के मेंटीनेंस का चार्ज शामिल था,लेकिन अगले दो वर्षो के लिए उन्हें कोई मेंटीनेंस चार्ज नहीं दिया गया। मौजूदा समय में सीसीटीवी की क्या स्थित है,इस संबंध में उनके पास कोई जानकारी नहीं है।
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सीसीटीवी की खरीद में गड़बड़ी का अंदेशा
रायफल क्लब के बजट से 106 सीसीटीवी खरीदे गए थे,इतनी बड़ी संख्या में सीसीटीवी की खरीद होने के बाद इनका उपयोग और लाभ कितना हुआ इस संबंध में किसी के पास कोई सूचना नहीं है। कंपनी के प्रतिनिधि के मुताबिक एक सीसीटीवी की खरीद में उस समय लगभग पांच हजार रुपये खर्च किए गए थे। इतने बड़े पैमाने में शहर में सीसीटीवी लगे,लेकिन इन सीसीटीवी के स्थानों के बारे में कोई जानकारी नहीं है। इन सभी सवालों के बीच सीसीटीवी की खरीद में गड़बड़ी का अंदेशा नजर आ रहा है।
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वर्जन---
निजी कंपनी के द्वारा कहां सीसीटीवी लगाए थे,जिनका भुगतान पूर्व में रायफल क्लब से किया गया था। अभी कंपनी के शेष भुगतान को रोका गया है। इन सीसीटीवी के संबंध में पर्याप्त जानकारी मेरे पास नहीं हैं,लेकिन यह जांच का विषय है।
विनय कुमार सिंह,नगर मजिस्ट्रेट