शौचालय की राशि में हेराफेरी, प्रबंधक के खिलाफ कार्रवाई के आदेश
मुरादाबाद : सम्भल ब्लाक के ग्राम माडली समसपुर में शौचालय निर्माण के दौरान धन के हेराफेरी कि
मुरादाबाद : सम्भल ब्लाक के ग्राम माडली समसपुर में शौचालय निर्माण के दौरान धन के हेराफेरी किए जाने का मामला प्रकाश में आया है। इसमें प्रथमा बैंक देहपा शाखा प्रबंधक गजेंद्र ¨सह की भी संलिप्तता सामने आई है।
ठेकेदार के खाते में भेज दी राशि
बैंक प्रबंधक ने गांव के 35 शौचालय की तकरीबन 2.10 लाख रुपये की धनराशि साठगांठ कर लाभार्थियों के खाते में भेजने के बजाए सीधे ठेकेदार के ही खाते में हस्तांतरित कर दी है। इसके अलावा इसी गांव में 307 शौचालय ऐसे भी हैं जिसके लिए धन तो खर्च कर दिया गया लेकिन इसे मानक के अनुरूप नहीं बनाया गया।
डीएम ने की कार्रवाई की संस्तुति
गांव के सचिव, ब्लाक के एडीओ के साथ ही खंड प्रेरक भी कार्रवाई की जद में है। शाखा प्रबंधक के खिलाफ डीएम आनंद कुमार ¨सह की संस्तुति मिलने के बाद सीडीओ शंभू नाथ तिवारी ने डीपीआरओ को मुकदमा दर्ज कराने का निर्देश दिया है।
शौचालय निर्माण में बरती गई अनियमितता
सम्भल ब्लाक के ग्राम माडली समसपुर में शौचालय निर्माण में भारी अनियमितता बरती गई है। इसकी शिकायत भाजपा नेता सुभाष चंद्र शर्मा ने की थी। शिकायत पर सीडीओ ने सम्भल के बीडीओ से जांच कराई। जांच में यह पाया गया कि यहां बनाए गए 307 शौचालय में मानकों की खुलेआम धज्जियां उड़ाई गई हैं। यहां शासन के मानक को पूरा नहीं किया गया है। इसके अलावा इस गांव के 35 लाभार्थी ऐसे हैं जिनके शौचालय का पैसा उनके खाते में नहीं भेजा गया था। यह पैसा शाखा प्रबंधक गजेंद्र ¨सह ने साठगांठ कर माडली समसपुर के इरफान पुत्र अतीक के खाते में सीधे हस्तांतरित कर दिए गए।
लाभार्थी के खाते में ही जानी चाहिए धनराशि
शासन का निर्देश है कि पारदर्शिता के लिए लाभार्थी का धन उसके खाते में ही जाना चाहिए। यह धनराशि 2 लाख 10 हजार रुपये है। रिपोर्ट के आधार पर बीडीओ ने 307 शौचालय में लापरवाही पर ग्राम पंचायत सचिव के खिलाफ कार्रवाई, एडीओ व खंड प्रेरक पर शिथिल पर्यवेक्षण के आधार पर कार्रवाई तथा शाखा प्रबंधक के खिलाफ एफआइआर की बात कही गई। इस रिपोर्ट को सीडीओ ने डीएम के समक्ष रखा तो उन्होंने तत्काल ही सहमति जताई। इसके बाद डीपीआरओ को तत्काल कार्रवाई के लिए निर्देशित किया गया है। सीडीओ शंभूनाथ तिवारी ने कहा कि एफआइआर जल्द से जल्द कराई जाएगी। यह अनियमितता की श्रेणी में आता है। पैसा किसी भी हालत में ठेकेदार या संस्था के खाते में नहीं जाना चाहिए था। यह लाभार्थियों का पैसा है। उन्हीं को मिलना चाहिए।
सबकी सहमति से हुआ
जो भी पैसा ठेकेदार के खाते में दिया गया है उसे मैंने अपने मन से नहीं किया है। ग्राम प्रधान, बीडीओ, सचिव सबकी सहमति थी। खाता धारकों ने धन निकासी का फार्म भरा था और पैसा ठेकेदार के खाते में डालने की सहमति दी थी। इसकी रसीद भी हमारे पास है। जिस समय यह मामला हुआ उस समय नोटबंदी थी और पैसा भी हमारे पास नहीं था। ऐसे में सबने मिलकर यह सहमति दी थी। विभागीय जांच, शासन की जांच व डीपीआरओ की जांच में भी मैंने यही बात बताई थी।
गजेंद्र ¨सह, मैनेजर प्रथमा बैंक देहपा