आलू की उपेक्षा ने बनाया यूपी के किसानों का कचालू
प्रदेश सरकार द्वारा आलू खरीद केंद्र नहीं खोले जाने से किसान परेशान है। आलू का वाजिब मूल्य नहीं मिलने से आर्थिक तंगी में फंसा किसान अगली फसल को लेकर चिंतित है।
मुरादाबाद (रईस शेख)। अन्नदाता की परेशानी कम होने का नाम नहीं ले रही है। गेहंू, धान, गन्ना, मक्का, ज्वार के बाद आलू ने किसानों की कमर तोड़ दी है। पैदावार के सापेक्ष कमोबेश एक लाख क्विंटल आलू किसानों के घर और मंडियों में रखा है। आलू की बिक्री के लिए किसान घर से लेकर मंडी तक चक्कर लगा रहे हैं और दलालों से सिफारिश भी कर रहे हैं। सरकारी तौर पर आलू की खरीद नहीं होने से किसानों की परेशानी में इजाफा हुआ है। फिलहाल, शीतगृह में भंडारित आलू को निकालने में भी किसान परेशानी महसूस कर रहे हैं।
किसान हो रहे हैं परेशान
सालभर में आलू की दो फसलें होती हैं। पहली फसल, शीतगृह में जमा होने के बाद निकाली भी जा चुकी है। किसानों के घर में एकत्र आलू को मंडियों तक ले जाने में दाम कम मिल रहे हैं। हालांकि शासन ने किसानों का ध्यान आलू का मूल्य कम होने से हटाने की मुहिम शुरू की है। किसान तमाम परेशानियों को दरकिनार कर गन्ने की छोल करने में लग गए हैं। उन्होंने आलू की दूसरी फसल की बुआई की तैयारी शुरू कर दी है। जनवरी में बुआई शुरू कर दी जाएगी।
जिले में आलू का क्षेत्र व पैदावार
जनपद में लगभग 65 सौ हेक्टेयर में आलू की खेती की जाती है। इस बार आलू का उत्पादन 1462500 क्विंटल हुआ है। उपज का 12.40 फीसद आलू शीतगृहों में भंडारित किया गया और 75 फीसद आलू मंडी व साप्ताहिक बाजारों के माध्यम से बेच गया है। कमोबेश दस फीसद आलू को व्यवस्थित करने के लिए किसानों को बिचौलियों से मंडी तक ठोकरें खानी पड़ रहीं हैं।
नहीं खुले आलू क्रय केंद्र
किसान वीर सिंह सैनी, जयवीर सिंह व भोला सैनी कहते हैं कि बाजार में आलू सस्ता होने के कारण किसानों को घाटा हो रहा है। आलू सरकारी उपेक्षा की मार झेल रहा है। मंडी में आलू की हालत और भी बदतर है।
आलू के दाम सस्ते होने का कारण सरकारी तौर पर आलू क्रय केंद्र नहीं खोले जाना भी माना जा रहा है। किसान देवेंद्र सिंह, राजकुमार व तोताराम कहते हैं कि सरकार ने साढ़े सात रुपये प्रति किलो आलू खरीद केंद्र खोलने का आश्वासन दिया था, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
किसान आलू की करें बुआई
जिला उद्यान अधिकारी सुनील कुमार का कहना है कि शीतगृहों में भंडारित आलू की निकासी हो गई है। अब किसान अगली फसल की बुआई की तैयारी में लगे हैं। उन्होंने उम्मीद जताई है कि फसल आने तक आलू के दाम नियंत्रित हो जाएंगे।