आंखों के सामने नदी में समा गए दो भाई, मां बोली-मेरी तो दुनिया ही उजड़ गई
हादसे के बाद ननिहाल के परिवार के लोगों में मातम का माहौल है। बिहार से रविंद्र के परिवार के लोग भी सूचना मिलने पर यहां आ रहे हैं।
मुरादाबाद। स्कूल बंद होने की वजह से बच्चे घर में थे। मन नहीं लग रहा था। मुहल्ले के लोगों के साथ राजमिस्त्री रविंद्र के तीन बेटे भी मछली पकड़ने चले गए। मछली पकड़ते समय गौरव नहाने के लिए गागन नदी में गहराई की ओर चला गया और डूबने लगा। उसे बचाने के चक्कर में बड़ा भाई भी डूब गया। दो बेटों के नदी में समा जाने से मां बैजंती का बुरा हाल है। वह रोते-बिलखते यही कह रही है कि मेरे बेटे मछली मारकर लाने की कहकर गए थे। मैं उनके इंतजार कर रही थी। लेकिन, शाम को उनके डूबने की खबर आ गई। गौरव ने सबसे पहले अपनी मां को भी फोन करके बताया कि मम्मी जल्दी आ जाओ दोनों भाई डूब गए। राज मिस्त्री रविंद्र मूलरूप से पटना (बिहार) के दानापुर के रहने वाले हैं। बताते हैं कि काम से सिलसिले में रविंद्र मुरादाबाद आए तो पेपटपुरा (एकता कालोनी) की रहने वाले रामदयाल की बेटी बैजंती से उनकी शादी हो गई। इसके बाद यहीं के होकर रह गए। राजमिस्त्री के तीन लड़कों में शिवम सबसे बड़ा है। उसके छोटा गौरव और तीसरे नंबर का अमन है। भाइयों के डूबने पर अमन ने सबसे पहले अपनी मां को फोन करके बताया कि दोनों भाई डूब गए हैं।
अमन के फोन आने के ही पूरे परिवार में कोहराम मच गया। रविंद्र अपने ससुराल के लोगों को लेकर मौके पर पहुंच गए। वहां जाकर देखा तो गोताखोर उनके बेटों को तलाशने में लगे थे। मेरे पले पलाए लाल चले गए, अब क्या होगा मां बैजंती ने रोते -बिलखते कह रही थी कि भगवान मैंने ऐसी क्या गलती कर दी। मेरे दोनों बेटे चले गए। अब क्या होगा। मैं कैसे अपना जीवन काटूंगी। बहुत मेहनत से तंगहाली में बेटों को पाला था। अब दोनों हमारा सहारा बनते। ऐसे वक्त पर भगवान उनको अपने पास कैसे बुला सकते हो। आपने ही तो मुझे मेरे लाल दिए थे। अब इनके बिना कैसे जी पाऊंगी। हमें तो बिहार जाना था। बरसात न होती तो मैं अपने बेटों के साथ ससुराल में होती।
पिता की मदद करके खुद बनाई बाउंड्री
राजमिस्त्री के घर पहुंचे लोग शिवम और गौरव के व्यवहार की तारीफ करते नहीं थक रहे थे। शिवम महाराज पब्लिक स्कूल सम्राट अशोक नगर में कक्षा सात में पढ़ता था। गौरव इसी स्कूल में कक्षा छह का छात्र है। दोनों के स्कूल के साथी भी खबर लगने पर मातम पुर्सी करने घर पहुंचे। मां ने बताया कि उनके बेटे बहुत मेहनती थे। उन्होंने पिता के साथ मिलकर खुद ही अपने घर की बाउंड्रीवाल बनाई थी। स्वजनों के साथ रोया पेपटपुरा, कई घरों में नहीं जले चूल्हेमां बैजंती का रोना-बिलखना देखकर पेपटपुरा में सभी की पलकें भीग गईं। रविंद्र के घर के आसपास किसी के घर चूल्हा नहीं जला। छोटा बेटा अमन इकलौता रह गया। उसे लिपटकर बैजंती बार-बार बेहोश हो जाती है। परिवार की महिलाएं किसी तरह उसे संभाल रही थीं। मां कभी तेज-तेज रोने लगती तो कभी एकदम चुप होकर बैठ जाती है। दो बेटों के गागन नदी में डूबने से पूरा रविंद्र कुमार का हाल बुरा है।