रेतीली माटी पर सेहत का साहित्य लिख रहे तुलसी Moradabad News
जब तमाम चिकित्सा पद्धति जवाब दे देती हैं मरीज की अंतिम उम्मीद भी टूटने लगती है बड़े-बड़े डॉक्टर हाथ खड़े कर लेते हैं। तब ऐसे में तुलसी इस चुनौती को स्वीकारते हैं।
मुरादाबाद (प्रांजुल श्रीवास्तव)। जब तमाम चिकित्सा पद्धति जवाब दे देती हैं, मरीज की अंतिम उम्मीद भी टूटने लगती है, बड़े-बड़े डॉक्टर हाथ खड़े कर लेते हैं। तब ऐसे में तुलसी इस चुनौती को स्वीकारते हैं। कभी अमरोहा में संघ के प्रचारक व संगठन मंत्री शिव प्रकाश के साथ आरएसएस के बीज बोने वाले तुलसीराम ने कब इस औषधीय पौधों को एक्यूप्रेशर चिकित्सा पद्धति में रुचि लेकर सेवा भाव में लग गए पता ही नहीं चला। शायद यही कारण भी है कि तुलसी के छोटे से दवाखाने में ओमान और अन्य जगहों से भी मरीज पहुंचते हैं।
अमरोहा की हसनपुर तहसील के ओगपुरा गांव में रहने वाले तुलसी बताते हैं कि वे 1986 में संघ प्रचारक शिव प्रकाश के साथ साइकिल प्रचार किया करते थे, लेकिन जब घर की जिम्मेदारियां बढ़ीं तो औषधीय पौधों की खेती करने का विचार बनाया। गंगा किनारे ओगपुरा की रेतीली जमीन पर खेती आसान नहीं थी। मिट्टी अपनी गुणवत्ता खो चुकी थी और अन्य किसान भी थककर हार मान चुके थे। ऐसे समय में तुलसी ने गौ मूत्र और गोबर की खाद से मिट्टी की उर्वरकता बढ़ाने में लग गए। उन्होंने इसके लिए लखनऊ स्थित सीमैप से प्रशिक्षण लिया और खेती करने लग गए। उनकी रुचि को देखते हुए सरकार ने उन्हें बारीकियां सीखने के लिए पांच राज्यों के भ्रमण पर भेजा। यहां से तुलसी जब वापस लौटे तो उन्होंने कभी मुड़ कर नहीं देखा। देखते ही देखते सर्पगंधा, सतावर, एलोवेरा, अश्वगंधा जैसे पौधे उनके खेतों में लहलहाने लगे।
एक एकड़ जमीन की खेती, जुड़ते गए किसान
सीमैप से प्रशिक्षण और पांच प्रदेश के भ्रमण के बाद तुलसीराम ने अपनी एक एकड़ जमीन पर खेती शुरू की। देखते ही देखते फसलें लहलहाने लगीं और औषधीय पौधों के लिए कई ऑर्डर भी उनके पास आने लगे। आर्थिक स्थिति में सुधार आता देख करीब तीन से चार दर्जन किसानों ने भी यही काम शुरू किया। बकौल, तुलसी एक एकड़ जमीन पर ये खेती करने वाले किसान चार से पांच लाख रुपये साल में कमा रहे हैं।
आंध्र प्रदेश के दोस्त से सीखी एक्यूप्रेशर चिकित्सा
तुलसी बताते हैं कि औषधीय पौधों की खेती सीखने के लिए वे कई प्रदेशों में जाया करते थे। इसी दौरान आंध्र प्रदेश में उनकी दोस्ती टी. सुमैया से हुई। उन्होंने बताया कि टी. सुमैया खेती देखने के लिए उनके घर आकर रुके थे। इसी दौरान तुलसी की पत्नी के हाथ में दर्द रहता था, टी. सुमैया ने एक्यूप्रेशर चिकित्सा पद्धति से उनका इलाज किया। इससे प्रभावित होकर ही उन्होंने इस पद्धति को सीखा और लोगों का मुफ्त इलाज करना शुरू किया। वे बताते हैं कि उनकी चिकित्सा प्रसिद्ध होने के बाद उनके मरीज भी बढ़ते गए। इसी बीच उन्होंने मुरादाबाद में आकर अपना दवाखाना खोल लिया। यहां रहने से वे अपने खेतों से दूर हो गए। इसी कमी को पूरा करने के लिए तुलसी अब छतों पर खेती करने का विचार बना रहे हैं। उन्होंने बताया कि छतों पर खाद डाल कर कुछ पौधों का काम शुरू किया है, इसे अब और आगे ले जाना है।