कानून के खौफ से थमा तीन तलाक
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मुस्लेमीन, रामपुर : केंद्र सरकार की ओर से कानून बनाए जाने के बाद से तीन तलाक के मामले थम गए हैं। पहले शरई अदालत में महीनेभर में कई मामले आते थे, लेकिन छह माह से इस अदालत में एक भी मामला नहीं आया। सरकार ने तीन तलाक के मामले में तीन साल सजा का प्रावधान किया है। इसी डर से लोग अब तीन तलाक नहीं दे रहे हैं।
कई बार सुर्खियों में रहा तीन तलाक का मामला
देश में करीब डेढ़ साल में तीन तलाक का मामला कई बार सुर्खियों में रहा। रामपुर में भी जरा सी बात पर पत्नी को तीन तलाक देने के मामले सामने आए। दिसंबर 2017 की बात है, जब अजीमनगर थाने के नगलिया आकिल गांव में एक ट्रक चालक ने देर से सोकर उठने पर पत्नी को तलाक दे दिया था। इसी थाने के डोंकपुरी टांडा में एक युवक ने फोन पर ही तीन तलाक दे दिया था। दोनों मामले पुलिस तक पहुंचे और कार्रवाई भी हुई। देशभर में अन्य स्थानों पर भी ऐसे मामले होते रहे। इसके विरोध में कुछ मुस्लिम महिलाएं सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गईं। 22 अगस्त-17 को कोर्ट ने तीन तलाक को असंवैधानिक ठहराया। इसकी रोकथाम के लिए केंद्र सरकार को कानून बनाने की नसीहत दी। इसके बाद तीन तलाक को लेकर कानून बना। लोकसभा में इसे मंजूरी भी मिल गई। राज्यसभा में पास होने से पहले ही सरकार ने अध्यादेश के जरिये कानून बना दिया। इसमें सजा का भी प्रावधान किया जा गया है। कानून बनते ही तीन तलाक के मामलों पर ब्रेक लग गया है।
रामपुर में है शरई अदालत
रामपुर में शरई अदालत है, जिसमें काफी संख्या में तलाक के मामले आते रहे हैं, लेकिन छह माह से एक भी मामला नहीं आया। यहां मदरसा जामे उल उसूम फुरकानियां मिस्टनगंज में दारुल कजा (शरई अदालत) लगती है। इसके नायब सदर मुफ्ती मकसूद बताते हैं कि तीन तलाक से संबंधित मुकदमे अब नहीं आ रहे हैं। छह माह से एक भी मामला महीं आया है। यह अच्छी बात है। वह कहते हैं यह सब कानून के खौफ की वजह से हुआ है
जमीयत उलमा ने चलाई मुहिम
जमीयत उलमा ए ङ्क्षहद ने मुहिम के तहत जगह-जगह जलसा कर लोगों को आगाह किया कि वे तीन तलाक न दें। जमीयत के जिला सदर मौलाना असलम जावेद कासमी कहते हैं कि छोटी सी बात पर तीन तलाक देना गुनाह है। कानून बनने से लोगों में जागरूकता आई है और डर भी पैदा हुआ है। अब लोग तीन तलाक नहीं दे रहे हैं।