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तीर्थंकर महावीर विश्वविद्यालय का एग्रीकल्चर कालेज इंडिया की प्राइवेट यूनिवर्सिटीज के टाप 10 में शामिल

Tirthankar Mahaveer University News तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी का कालेज आफ एग्रीकल्चर साइंसेज इंडियन काउंसिल आफ एग्रीकल्चर रिसर्च को आइसीएआर की मान्यता मिली है। इस मान्यता से टीएमयू का एग्रीकल्चर कालेज अब देशभर के निजी विश्वविद्यालयों की सूची में टाप 10 में आ गया है।

By Samanvay PandeyEdited By: Published: Sat, 18 Sep 2021 09:09 AM (IST)Updated: Sat, 18 Sep 2021 09:09 AM (IST)
तीर्थंकर महावीर विश्वविद्यालय का एग्रीकल्चर कालेज इंडिया की प्राइवेट यूनिवर्सिटीज के टाप 10 में शामिल
कृषि कालेज को मिली इंडियन काउंसिल आफ एग्रीकल्चर रिसर्च-आइसीएआर की मान्यता।

मुरादाबाद, जेएनएन। Tirthankar Mahaveer University News : तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी का कालेज आफ एग्रीकल्चर साइंसेज इंडियन काउंसिल आफ एग्रीकल्चर रिसर्च को आइसीएआर की मान्यता मिली है। इस मान्यता से टीएमयू का एग्रीकल्चर कालेज अब देशभर के निजी विश्वविद्यालयों की सूची में टाप 10 में आ गया है। एक्रीडिटेशन के बाद टीएमयू एग्रीकल्चर कालेज के न केवल बीएससी-कृषि छात्रों बल्कि फैकल्टी के लिए भी उड़ान के और रास्ते खुल गए हैं।

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कृषि मंत्रालय के अधीन आइसीएआर की ओर से देशभर में लगभग 73 सेंट्रल एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटीज और डीम्ड यूनिवर्सिटी संचालित होती हैं। किसी भी कृषि विश्वविद्यालय का आइसीएआर से एक्रीडिटेशन हो जाए तो वहां के छात्रों की उच्च शिक्षा और रिसर्च के लिए केंद्रीय और डीम्ड विश्वविद्यालयों में प्रवेश की राह आसान हो जाती है। आइसीएआर न केवल एक्रीडिटेड कालेजों को अनुसंधान और प्रोजेक्ट्स की सहूलियत मुहैया कराता है, बल्कि राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय कांफ्रेंस, वर्कशाप के लिए फंड भी रिलीज करता है।

आइसीएआर से पासआउट या आइसीएआर के एक्रीडिटेड संस्थानों के छात्रों को संस्थानों में प्राथमिकता दी जाती है। टीएमयू का कालेज आफ एग्रीकल्चर साइंसेज 2014 में स्थापित हुआ। कालेज से अब तक करीब 300 विद्यार्थी बीएससी कृषि से पासआउट हो चुके हैं। टीएमयू एग्रीकल्चर कालेज एक्रीडिटेशन के बाद देशभर की प्राइवेट यूनिवर्सिटीज में नौवें स्थान पर पहुंच गया है। नार्थ इंडिया में तीसरी, जबकि यूपी की रैंकिंग में नंबर दो आ गया है। पद्मश्री से विभूषित सुशील सहाय कहते हैं कि आइसीएआर देश की प्रतिष्ठित संस्था है।

एग्रीकल्चर कालेज के छात्रों का अब प्लेसमेंट और बेहतर होगाः अब एग्रीकल्चर कालेज के छात्रों की न केवल स्टडी बल्कि प्लेसमेंट भी अच्छा होगा। आर्गेनिक खेती के लिए 2019 में पद्मश्री से अलंकृत भारत भूषण त्यागी कहते हैं कि एग्रीकल्चर सेक्टर में जाने वाले युवाओं के लिए स्वर्णिम द्वार खुल गए हैं। सरकार भी कृषि व्यवसाय को सर्वोच्च प्राथमिकता दे रही है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर क्वालिटी एवं आर्गेनिक फूड की डिमांड दिनों-दिन बढ़ रही है। भारतीय उत्पादों पर वैश्विक बाजार की नजर है। महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी यूनिवर्सिटी, उदयपुर के वाइस चांसलर प्रो. नरेंद्र सिंह राठौर कहते हैं कि आइसीएआर से एक्रीडिटेशन केंद्र सरकार का एक ऐसा सर्टिफिकेट है, जिससे वैश्विक द्वार खुल जाते हैं।

कालेज में हैं आधुनिक लैब और लाइब्रेरीः एग्रीकल्चर कालेज में आइसीएआर मानकों के मुताबिक सभी फैकल्टी न केवल नेट और पीएचडी है, बल्कि कालेज कैंपस में अति आधुनिक लैब्स और लाइब्रेरी भी हैं। प्रेक्टिकल के लिए यूनिवर्सिटी कैम्पस में रिसर्च फॉमिंग है। औषधि वाटिका मे दाल-चीनी, अर्जुन, अजवाइन, छोटी इलाइची, हींग आदि से महक रही है। उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड के सैकड़ों काश्तकार उन्नत खेती करने के मद्देनजर इस रिसर्च फार्म का भ्रमण करते हैं। गार्डन मैंटिनेंस डिवाइस बनाकर प्रो. एमपी सिंह और डा. देवेंद्र पाल की टीम को दो भारतीय पेटेंट्स भी मिल चुके हैं। टीएमयू एग्रीकल्चर कॉलेज से 2021 में पासआउट सोनभद्र की छात्रा निकिता गोयल ने यूपीसीएटीईटी की परीक्षा में तेइसवीं रैंक पाई है।

बीएससी कृषि में सीमित सीटें ही शेषः निदेशक छात्र कल्याण प्रो. एमपी सिंह ने आइसीएआर से मिली मान्यता का सारा श्रेय कुलाधिपति सुरेश जैन, ग्रुप वाइस चेयरमैन मनीष जैन, एमजीबी अक्षत जैन, कुलपति प्रो. रघुवीर सिंह, रजिस्ट्रार डा. आदित्य शर्मा के संग-संग कालेज की फैकल्टी और छात्रों को दिया। उन्होंने बताया कि चार वर्षीय बीएससी (ऑनर्स) कृषि पाठ्यक्रम सीमित सीटें ही शेष हैं।


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