पुराने राशन कार्ड काटने और नए बनाने का तरीका कोटेदारों को बना रहा अमीर Sambhal news
गरीबों को सस्ती दरों पर राशन मुहैया कराने के लिए सरकार चाहे जितना जतन करे लेकिन प्रत्येक माह नए बहाने से कोटेदार गरीबों के राशन को हड़पने में कामयाब रहते हैं।
बहजोई (सम्भल): गरीबों को सस्ती दरों पर राशन मुहैया कराने के लिए सरकार चाहे जितना जतन करे लेकिन प्रत्येक माह नए बहाने से कोटेदार गरीबों के राशन को हड़पने में कामयाब रहते हैं। अब हर दुकान पर पॉश मशीन शुरू होने के बाद प्रॉस्की की सुविधा के अलावा पुराने राशन कार्ड को अपात्र बताकर काटने और नए जुडऩे का बहाना कोटेदारों को अमीर बना रहा है।
शासन की सख्ती के बावजूद जिले में खाद्यान्न माफिया व कोटेदारों का गठजोड़ काफी मजबूत है। खाद्यान्न उठान की नियत तिथि से पहले ही माफिया गरीबों के अनाज पर डाका डाल देते हैं। ब्लॉकवार गोदामों पर खाद्यान्न वितरण की तिथि निर्धारित है। समय से कोटेदार खाद्यान्न का उठान तो करते हैं, लेकिन यह गरीबों तक पहुंचता है या नहीं, इसकी तहकीकात कोई नहीं करता। इसका ही फायदा माफिया उठा रहे हैं। उनकी पैनी निगाहें गरीबों के निवाले पर है। वे समय का इंतजार करते रहते हैं कि कब किस गांव का खाद्यान्न बंटना है। उसके बाद गोदाम से ही गरीबों का निवाला व्यापारियों तक पहुंच जाता है।
घर बैठे हो जाता है सत्यापन
खाद्यान्न पात्रों को मिले इसके लिए अलग-अलग विभागों के कर्मियों की ड्यूटी भी लगाई जाती है। वितरण तिथि के पहले गांवों में कोटेदारों की ओर से बनाए गए गोदाम में राशन का सत्यापन करना होता है। उसके बाद वितरण के समय मौके पर मौजूद रहना होता है, मगर शायद ही कहीं वितरण अधिकारी मौके पर मिले। माफियाओं के साथ मिलकर कोटेदार सत्यापन अधिकारी से उसके घर पर ही सत्यापन कार्य पूरा करा लेते हैं।
80 फीसदी ग्रामीण व 20 फीसदी शहरी हैं कार्डधारक
जनपद में कुल 15.68 लाख अर्थात 1568976 सदस्यों के 404275 राशन कार्ड हैं, जिनमें 3055 कार्ड अंत्योदय परिवारों के लिए प्रदान किए गए है जबकि 381220 कार्ड पात्र गृहस्थी के लिए आवंटित है। विभाग की ओर ऑनलाइन बनाए गए राशन कार्डों में 70442 कार्ड शहरी क्षेत्र की सभी नगर पालिका व नगर पंचायतों में बनाए गए है जबकि ग्रामीण क्षेत्र की सभी 556 पंचायतों में 333833 परिवारों को राशन कार्ड दर्ज हैं।
गरीब लगाते रहते हैं कोटेदार के घरों का चक्कर
सार्वजनिक प्रणाली पर खाद्यान्न माफिया इस कदर हावी हैं कि कई कोटेदारों को सिर्फ कागजों पर हस्ताक्षर तक सीमित रहना पड़ता है। ज्यादा दबाव हुआ तो उन्हें भी कुछ फायदा पहुंचा दिया जाता है। कोटेदारों की कुंडली रख खाद्यान्न डकारने में माहिर यह माफिया सफेदपोशों के साथ मिलकर कोटेदारों को बीच-बीच में कार्रवाई कराने की धमकी तक देते रहते हैं। अगर उन्हें गठजोड़ में कोटेदार भारी लगा तो मौका देखते ही दुकान निलंबित कराकर दूसरे को कोटा भी माफिया दिला देते हैं। इस पर उनका साथ विभागीय कर्मी भी निभाने में नहीं संकोचते। गरीब राशन कार्ड धारक जिनके घर में कोटे के राशन की बदौलत चूल्हा जलता है वे दिन-रात कोटेदार के घरों का चक्कर लगाया करते हैं और उनका निवाला बिक चुका होता है। इस दौरान कोटेदार कार्डधारकों को उनके राशन कार्ड कटने की सूचना देता है और नए बनवाने के लिए फीडिंग के रुपये लेता है बाबजूद इसके उसे तीन माह बाद राशन मिलने का भरोसा दिया जाता है।
क्या कहते हैं जिम्मेदार
राशन कार्ड कटने का सिलसिला इसलिए नहीं थम पा रहा कि कुछ लोग एक सदस्य के नाम कार्ड बनवा लेते हैं जबकि उनके अन्य सदस्यों का पता दूसरे स्थान का होता है जिसे कंप्यूटर डुप्लीकेसी के माध्यम बता देता है जिसकी रिपोर्ट लखनऊ में भी देख ली जाती है। जिसके बाद उन्हें काट दिया जा रहा है। नए कार्ड बनने के बाद उनको राशन मिलने पर समय लगता है। बात रही कोटेदारों के द्वारा कार्डधारकों को कार्ड कटने की बात कहकर गुमराह करने की तो ऐसी शिकायत हमारे पास भी आती हैं जिन पर अंकुश लगाने का प्रयास किया जा रहाहै।- अभय प्रताप ङ्क्षसह, जिला पूर्ति अधिकारी, सम्भल