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गुरुकुल की दीवारें ही बयां कर रहीं बदहाल शिक्षा की कहानी moradabad news

प्राथमिक विद्यालयों में व्यवस्था को चाक चौबंद करने के लिए कंपोजिट ग्रांट में अच्छा बजट जारी होता है। विद्यालयों में बिजली की व्यवस्था के लिए हर स्कूल को 21 हजार रुपये मिल थे।

By Narendra KumarEdited By: Published: Sat, 14 Sep 2019 08:15 AM (IST)Updated: Sat, 14 Sep 2019 08:15 AM (IST)
गुरुकुल की दीवारें ही बयां कर रहीं बदहाल शिक्षा की कहानी moradabad news

 मुरादाबाद। प्राथमिक विद्यालयों में व्यवस्था को चाक चौबंद करने के लिए कंपोजिट ग्रांट में अच्छा बजट जारी होता है। विद्यालयों में बिजली की व्यवस्था के लिए हर स्कूल को 21 हजार रुपये मिल थे। वहीं शिक्षक खुद मोटा वेतन भी उठाते हैं। इसके बावजूद प्राथमिक व उच्च प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षा का हाल वहां की दीवारें ही बयां कर देती हैं।

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इन विद्यालयों का हाल देखने के लिए बेसिक शिक्षा अधिकारी योगेंद्र कुमार ने शुक्रवार को जनपद के दस स्कूलों का निरीक्षण किया, जहां खामियां ही खामियां मिलीं। कहीं बच्चे थे तो अध्यापक गायब तो कहीं तहरी से आलू ही गायब मिला। आलम यह रहा कि दस स्कूलों में सिर्फ दो विद्यालय ऐसे मिला जहां व्यवस्थाएं दुरुस्त मिलीं।

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समय - 8:30 मिनट

प्राथमिक विद्यायल त्रिलोकपुर

बेसिक शिक्षा अधिकारी सुबह साढ़े आठ बजे प्राथमिक विद्यालय त्रिलोकपुर पहुंचे। यहां बच्चे तो उपस्थित थे, लेकिन एक भी अध्यापक मौके पर नहीं मिला। स्कूल का भवन जर्जर था। पूछने पर पता चला कि अभी तक कोई अध्यापक ही नहीं पहुंचा है। प्रधानाध्यापक के कमरे में ताला लटकता मिला।

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समय - 8:45 मिनट

प्राथमिक विद्यालय राजाबाला मंझरा

राजाबाला मंझरा प्राथमिक विद्यालय में समय होने के एक घंटे बाद भी प्रधानाध्यापक स्कूल नहीं पहुंचे थे। स्कूल में एक अध्यापक मिलीं। रसोई घर गंदा मिला। पूछने पर पता चला कि प्रधानाध्यापक स्कूल नहीं पहुंचे हैं। यहां सभी बच्चे भी एक ही कक्षा में बैठे मिले।

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समय - 8:55 मिनट

उच्च प्राथमिक विद्यालय त्रिलोकपुर

यहां पर दो शिक्षकों की तैनाती मिली, लेकिन बेसिक शिक्षा अधिकारी को मौके पर एक ही शिक्षक मिला। स्कूल में बने शौचालय में ताले पड़े थे, तो कुछ शौचालय के दरवाजे ही टूटे हुए थे। इसके अलावा बच्चे भी सभी एक ही कक्षा में बैठे मिले।

समय - 9:30 मिनट

प्राथमिक विद्यालय मिलक गोधी

प्रा. विद्यालय पहुंचे बेसिक शिक्षा अधिकारी को यहां पर जर्जर इमारत मिली। स्कूल से प्रधानाध्यापक और सहायक अध्यापक नदारत थे। सिर्फ एक शिक्षा मित्र के भरोसे ही स्कूल मिला। रजिस्टर पर भी उपस्थिति चढ़ाई नहीं गई थी। मिड-डे-मील में बन रही तहरी में सिर्फ चावल ही पकाए जा रहे थे।

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यहां मिली बेहतर व्यवस्था

समय - 10 बजे

प्राथमिक विद्यालय भगतपुर रतन

यहां स्कूल तक जाने वाली सड़क पर कीचड़ भरा हुआ मिला। इसके अलावा स्कूल के अंदर की व्यवस्था चाकचौबंद मिली। बच्चों को शिक्षक भी उपस्थिति मिले, साथ ही उनकी पढ़ाई के लिए लिए सभी संसाधन मौजूद थे।

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समय - 12 बजे

प्राथमिक विद्यालय डिलरा रायपुर

स्कूल में सबसे बेहतर व्यवस्थाएं मिलीं। बच्चों के पढऩे के लिए स्मार्ट क्लास तैयार कराई गई थी। साफ-सफाई भी बेहतर थी। यहां पर मीना मंच का गठन भी किया गया था, इसके अलावा स्कूल में लाइब्रेरी भी बनाई गई थी।  


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