कप्तान के बदलते ही टूट गई बंदिशों की दीवार Rampur News
परिवर्तन तो प्रकृति का नियम ही है। यह बात रामपुर के कप्तान पर भी सटीक बैठती है। उनके जाने से वर्दी वालों की चाल ही बदल गई है।
(मुस्लेमीन)रामपुर। कप्तान बदलते ही महकमे में बहुत कुछ बदल गया है। वर्दी वालों की चाल बदल गई है। कप्तान के आगे पीछे दौड़ लगाने वाले अब सड़कों पर गश्त कर रहे हैं, जबकि पहले सिर्फ कप्तान के पीछे दौड़ते थे। कप्तान को भी दौडऩे का बड़ा शौक था। वह दस किलोमीटर तक की दौड़ लगाते थे। साथ में वर्दी वालों को भी दौड़ाते थे। कप्तान को दौड़ लगाने के साथ ही शाही अंदाज में रहने का भी शौक था। उन्होंने अपने आवास के आसपास सड़क पर बैरियर लगवा दिए थे, ताकि लोगों को लगे कि वीआइपी आवास के सामने से गुजर रहे हैं। ऐसे बैरियर अन्य किसी के घर के आसपास नहीं लगे। इनसे लोगों को भी परेशानी हो रही थी। कई बार तो बाइक सवार गिरते-गिरते बचे। अब नए कप्तान ने बैरियर सड़क से हटाकर किनारे लगवा दिए हैं। लोगों को आने जाने में कोई दिक्कत नहीं हो रही है।
कप्तान के चहेते परेशान
पुराने कप्तान के चहेते वर्दी वाले बड़े परेशान हैं। दरअसल वे भी कप्तान के नक्शे कदम पर चल रहे थे। सत्ता पक्ष के नेताओं को भी नजरअंदाज कर रहे थे लेकिन, अब नेताजी नजर टेढ़ी किए हैं और इन्हे शिकार बनाने की चाल चल रहे हैं। उनके कई चहेते रामपुरी खां साहब की मदद करने के आरोप में भी फंस गए हैं। वर्दी वालों की लापरवाही से खां साहब की कई मामलों में जमानत मंजूर हो गई। अब इनकी जांच पड़ताल चल रही है और कार्रवाई की तलवार भी उनकी गर्दन पर लटक रही है। इसलिए वे परेशान हैं। उन्हें लग रहा है कि अब उन्हें बचाने वाला कोई नहीं है। पुराने कप्तान की जो सेवा की है, वह भी काम नहीं आएगी। उन्होंने जो लापरवाही की है, उसकी सजा मिल सकती है। अपने को बचाने के लिए तरह-तरह के जुगाड़ लगा रहे हैं लेकिन, फिलहाल दाल नहीं गल रही है।
बुरे दौर में साथ निभाया
रामपुरी खां साहब का बुरे दौर में सिर्फ एक ही नेता जी ने साथ निभाया है। खां साहब जब आत्मसमर्पण करने के लिए कोर्ट पहुंचे तो उनसे मिलने के लिए उनके करीबी नेताजी भी वहां पहुंच गए। जबकि दूसरे नेता मुकदमा दर्ज होते ही जिला छोड़ गए हैं। नेताजी की हिम्मत को दाद देनी पड़ेगी। करीब आधा दर्जन मुकदमों में नामजद होते हुए भी कचहरी में पहुंच गए और पुलिस वालों से भी उलझ गए। बोले, जब हमारा नेता जेल में है तो फिर हम जेल से बाहर क्यों रहें। जेल जाने से नहीं डरते। वर्दी वालों ने उन्हें समझाया भी लेकिन, वह नहीं माने। इसके बाद वर्दी वालों ने उन्हें दबोच लिया और जेल भेज दिया। नेता जी आजकल जेल की हवा खा रहे हैं। वर्दी वालों ने भी उनपर कानून का पूरा शिकंजा कस दिया है। उन्हें रिमांड पर लेकर लूट का माल भी बरामद किया था।
हाथ मलते रह गए चेले
शाही खानदान का खजाना खाली निकला। इससे खजाना मिलने की आस लगाए बैठे चेले बड़े मायूस हैं। उन्हें उम्मीद थी कि खजाना निकलेगा तो साहब लोग उन्हें भी कुछ न कुछ जरूर देंगे लेकिन, खजाने में माल निकलने के बजाय सिर्फ खाली बॉक्स ही निकले। सारा माल पहले ही गायब हो गया। इससे चेले बड़े परेशान हैं। अब वे जायदाद के बंटवारे का इंतजार कर रहे हैं। नवाबों की अरबों की जायदाद है, जिसके 16 हिस्सेदार हैं। चेले अब उम्मीद लगा रहे हैं कि अगर जायदाद का बंटवारा होगा तो जमीन की खरीद-फरोख्त में कुछ कमीशन उनके भी हाथ लग जाएगा। बस यही एक सहारा बचा है लेकिन, बंटवारा होने में भी अभी टाइम लगेगा। अभी तो जायदाद का सर्वे और सत्यापन का ही काम चल रहा है। इसके बाद कोर्ट में रिपोर्ट जाएगी और उसके बाद ही कोर्ट बंटवारा कर सकेगा। चेलों को तब तक इंतेजार ही करना पड़ेगा।