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नवाब खानदान के खजाने से पांच करोड़ रुपये का सिंहासन गायब, जड़े थे बेशकीमती हीरे

Throne of the Nawab dynasty पिछले साल सुप्रीम कोर्ट ने शरीयत के हिसाब से ही नवाब खानदान की संपत्ति का बंटवारा करने के आदेश दिए थे। दिसंबर 20 तक जिला जज को बंटवारा कराना है।

By Narendra KumarEdited By: Published: Tue, 25 Aug 2020 10:12 PM (IST)Updated: Tue, 25 Aug 2020 10:12 PM (IST)
नवाब खानदान के खजाने से पांच करोड़ रुपये का सिंहासन गायब, जड़े थे बेशकीमती हीरे

रामपुर (मुस्लेमीन)। नवाब खानदान के शाही खजाने से सिंहासन गायब हो गया है। इसकी कीमत करीब पांच करोड़ आंकी गई है। इसके अलावा बेशकीमती पेंटिंग्स समेत अनेक चीजें गायब हैं, जिनकी कीमत करोड़ों में बताई जा रही है।रामपुर रियासत के आखिरी नवाब रजा अली खां की संपत्ति के बंटवारे की प्रकिया चल रही है। संपत्ति के मूल्याकंन और सर्वे के लिए एडवोकेट कमिश्नर नियुक्त किए गए हैं, जो अदालत में अपनी रिपोर्ट सौंप रहे हैं। चल संपत्ति की रिपोर्ट अदालत में सौंप दी गई है। कुल चल चल संपत्ति करीब सवा 64 करोड़ की आंकी गई है। इसमें नवाब के सिंहासन की कीमत पांच करोड़ है। लेकिन, क्रिस्टल से बना यह सिंहासन गायब है। पूर्व मंत्री नवाब काजिम अली खां उर्फ नवेद मियां का कहना है कि करोड़ों रुपये का सामान गायब है। इसकी वसूली उसी से होगी, जिसके कब्जे में था।

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सिंहासन बेशकीमती था। क्रिस्टल से बने सिंहासन में हीरे भी जड़े हुए थे। जबकि इस क्रिस्टल सिंहासन से पहले चांदी का सिंहासन हुआ करता था। उसमें आगे की ओर शेर की दो आकृति बनी थीं। नवाब साहब इनपर हाथ रखकर बैठते थे। कोर्ट में रिपोर्ट सौंपने वाले अधिवक्ता हर्ष गुप्ता बताते हैं कि क्रिस्टल सिंहासन की कीमत करीब पांच करोड़ आंकी गई है। कीमत का आंकलन नोएडा की कंपनी ने किया है। इसके बारे में इंटरनेट पर सर्च करने के बाद ही कीमत तय हुई है। लेकिन, अब यह सिंहासन गायब है। नवाब खानदान के पास 16 कारें भी थीं, जिनकी कीमत करीब चार करोड़ है। प्लाईमाउथ कंपनी की 1957 माडल की दो कारों की कीमत 98 लाख है।

पौने दो सौ साल रहा राज

रामपुर में 1774 से 1949 तक नवाबों का राज रहा। नवाब रजा अली खां आखिरी नवाब थे। इस खानदान की संपत्ति का अब सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद बंटवारा हो रहा है। नवाब खानदान की संपत्ति में अकेली कोठी खास बाग ही 450 एकड़ में है। इसके अंदर ढाई सौ कमरे, सिनेमाघर और शस्त्रागार भी है। कई हथियार तो सोने और रत्न जडि़त हैं। एक बंदूक आठ फीट लंबी है, जिससे दो हजार छर्रे एक साथ निकलते थे। सौ साल पुरानी बंदूकों की कीमत चार चार लाख रुपये है। इसके अलावा शाहबाद में लक्खी बाग, बेनजीर बाग और नवाब रेलवे स्टेशन आदि शामिल हैं। अभी चल संपत्ति की रिपोर्ट सौंपी गई है। इसकी कीमत करीब सवा 64 करोड़ आंकी गई है। पूरी संपत्ति में 16 हिस्सेदार हैं। इन हिस्सेदारों में नवाब रजा अली खां के तीन बेटे और छह बेटियों के परिवार शामिल हैैं। तीनों बेटों और एक बेटी की मौत हो चुकी है। शरीयत के हिसाब से बंटवाराराज परंपरा के मुताबिक बड़ा बेटा ही नवाब की सारी संपत्ति का हकदार होता था। नवाबी खत्म होने पर खानदान के दूसरे सदस्यों ने बंटवारा राज परंपरा के बजाय शरीयत के हिसाब से करने की मांग करते हुए 1972 में कोर्ट में मुकदमा दायर किया। 


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