प्रचार सामग्री की छपाई को लेकर निर्धारित किए गए नियम, प्रिंटिंग प्रेस संचालकों पर आयोग की नजर
संचालक पोस्टर और बैनर की छपाई करने के दौरान दावेदारों या प्रत्याशियों से स्वप्रमाणित घोषणा पत्र और उसके दो जानने वाले लोगों के नाम और पते को भी अपने पास जानकारी के रूप में पहले से ही हासिल करेंगे।
मुरादाबाद, संवाद सहयोगी। सम्भल में चुनावों के दौरान पोस्टर, बैनर और पंफलेट के जरिए गली मुहल्ले और सार्वजनिक स्थलों को पाटने का काम करने वाले दावेदारों पर इस बार आयोग की सीधी नजर रहेगी। अब वह प्रतिबंधित स्थानों पर पोस्टर व बैनर चिपका कर आचार संहिता के उल्लंघन पर बचते नजर नहीं आएंगे। इसकी निगरानी पंफलेट और बैनर की छपाई करने वाले प्रिंटिंग प्रेस संचालकों पर नकेल कस कर की जाएगी। नियमों के बंधन में बांध कर उन्हें काम करने के लिए निर्देशित किया जा रहा है।
जिला निर्वाचन अधिकारी संजीव रंजन के निर्देश पर जिले के वरिष्ठ कोषाधिकारी की ओर से जिले के सभी प्रिंटिंग प्रेस संचालकों को निर्देश दिए गए हैं कि कोई भी प्रकाशक या मुद्रक अपनी प्रिंटिंग प्रेस के जरिए ऐसी किसी भी प्रकार की सामग्री को प्रकाशित या छपाई का कार्य नहीं करेगा, जिसके पोस्टर बैनर या पंफलेट पर उसके मुद्रक या प्रकाशक का नाम और पता अंकित न हो। संचालक पोस्टर और बैनर की छपाई करने के दौरान दावेदारों या प्रत्याशियों से स्वप्रमाणित घोषणा पत्र और उसके दो जानने वाले लोगों के नाम और पते को भी अपने पास जानकारी के रूप में पहले से ही हासिल करेंगे, उसके बाद ही छपाई का कार्य शुरू कर सकेंगे। यहां बता दें कि प्रचार-प्रसार सामग्री की छपाई के लिए मुद्रक या प्रकाशक का नाम पते के साथ अंकित करना इसलिए जरूरी हो गया है कि जिनके द्वारा पोस्टर बैनर सार्वजनिक स्थल प्रतिबंधित स्थानों पर लगाए जाते हैं। उन पर कार्रवाई करने के लिए पुलिस और प्रशासन अधिकारियों को तलाश करनी पड़ती है। कई बार ऐसा होता है कि अज्ञात लोगों के द्वारा पोस्टर और बैनर लगा दिए जाते हैं। जब कार्रवाई की नौबत आती है तो प्रत्याशी या दावेदार इस बात को कहकर खारिज कर देता है कि इन पोस्टर को उसके द्वारा नहीं लगाया गया है और उसके खिलाफ अज्ञात लोगों के द्वारा पोस्टर लगाकर साजिश की जा रही है। इसके चलते अब पोस्टर या बैनर पर मुद्रक और प्रकाशक का नाम अंकित करना जरूरी होगा। अगर किसी भी प्रिंटिंग प्रेस पर ऐसी राजनीतिक या चुनाव प्रचार-प्रसार सामग्री प्रिंट होती पाई जाती है, जिस पर प्रकाशक का नाम नहीं होता है तो लोक जनप्रतिनिधित्व अधिनियम के तहत कार्रवाई की जाएगी।