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रेहाना की जिद से गांवों में फैल रही शिक्षा की रोशनी

मुरादाबाद के कुंदरकी ब्लाक में रहने वाली रेहामा रहमान नोबेल पुरस्कार विजेता मलाला के गुलमकई नेटवर्क से जुड़ी हैं। वह वर्षों से शिक्षा के क्षेत्र में कार्य कर रही हैं।

By Edited By: Published: Mon, 15 Oct 2018 06:05 AM (IST)Updated: Mon, 15 Oct 2018 05:35 PM (IST)
रेहाना की जिद से गांवों में फैल रही शिक्षा की रोशनी

मुरादाबाद [मोहसिन पाशा]। इंसान जब कुछ ठान लेता है तो उसके लिए कुछ भी असंभव नहीं है। चाहे शहर हो या गांव। जहां चाह होती है, वहां राह बन ही जाती है। फिर यही चाह नारी शक्ति की हो तो उसकी रफ्तार और बढ़ जाती है। मूलरूप से फतेहपुर जिले के हसवा गांव की रहने वाली रेहाना रहमान ऐसी ही नारी शक्ति हैं, जिन्होंने कुंदरकी खादर के उन गांवों में शिक्षा की अलख जगाई, जहां शाम ढलते ही लोग जाने से डरते थे। बांहपुर गांव में 17 साल पहले स्कूल खोलकर क्षेत्र के लोगों को शिक्षा के लिए जागरूक करना शुरू किया।

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शिक्षित होने का आंकड़ा १४ फीसद से बढ़कर ६५ फीसद हुआ

इस नतीजा यह हुआ कि पहले क्षेत्र के गांवों में जहां 14 फीसद लोग शिक्षित थे, आज यह आंकड़ा बढ़कर 65 फीसद हो गया। साक्षरता प्रभारी की जिम्मेदारी रेहाना के पास दरअसल, वर्ष 1991 में तत्कालीन जिलाधिकारी विद्याराम गर्ग ने जिला साक्षरता समिति बनाकर कुंदरकी ब्लाक की महिला साक्षरता प्रभारी की जिम्मेदारी रेहाना रहमान को दी थी। उनके पति एचआर सनी को बिलारी तहसील का साक्षरता प्रभारी बनाया था। तब फतेहपुर जिले से आकर रेहाना ने साक्षरता में सबसे पिछड़ी तखतपुर आशा न्याय पंचायत के बांहपुर गांव में प्रौढ़ शिक्षा केंद्र खोला। शिक्षा के प्रति जागरूक करने की शुरुआत की।

महिलाएं भी ३.५ फीसद से ५४ फीसद हुईं शिक्षित 

उस समय न्याय पंचायत तखतपुर आशा के बांहपुर, अब्दुल्लापुर, मोहन तखतपुर, मजरा, रूपपुर गदीपुरा, मंसूरपुर, जैतबाड़ा आदि गांवों में 3.5 फीसद महिलाएं शिक्षित थीं, जबकि पुरुष 14 फीसद पढ़े लिखे थे। यहीं पर उन्होंने नव भारत समाज कल्याण समिति बनाकर एक स्कूल खोल दिया। रात को स्कूल परिसर में ही रहने लगीं। अब इस खादर इलाके में उन गरीब परिवारों की बेटियां भी स्कूल में दाखिला ले रहीं हैं, जिनका शिक्षा से कभी नाता नहीं रहा। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक इस इलाके में अब 54 फीसद महिलाएं और 65 फीसद पुरुष पढ़े लिखे हैं।

50 फीसद बच्चों से नहीं ली जाती फीस

रेहाना रहमान बताती हैं कि उनके स्कूल में 50 फीसद बच्चों से फीस नहीं ली जाती है। वर्तमान में वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक जे रविन्दर गौड ने उन्हें महिला ¨हसा के मामले सुलझाने के लिए पुलिस परामर्श केंद्र में काउंसलर की जिम्मेदारी भी दे रखी है। नोबल पुरस्कार विजेता मलाला यूसुफ जई ने उन्हें अपने गुलमकई नेटवर्क से जोड़ा है। वे मलाला फंड, इंटरनेशनल की तरफ से बालिका शिक्षा पर मुरादाबाद में काम कर रहीं हैं। मिले कई पुरस्कार वर्ष 2002 में उत्तर प्रदेश की उपवन संस्था ने प्रेम भाई सम्मान से पुरस्कृत किया। वर्ष 2007 में सीएमआइआइ, दिल्ली की तरफ से तत्कालीन गृहमंत्री शिवराज पाटिल ने सर्वेट ऑफ द पुअर अवार्ड से सम्मानित किया। वर्ष 2013 में तत्कालीन केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल ने गाडफ्रेफिलिप्स अवार्ड दिया। वर्ष 2014 केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी ने वूमेन अवार्ड देकर सम्मानित किया।


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