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गुजरात के महामहिम की रगों में गुरुकुल का राग, बेटी के बाद पौत्री को भी भेजा अमरोहा

यह राजनेताओं की एक अलग पीढ़ी है। कहीं भी रहें भारतीय संस्कृति संस्कृत और संस्कार का राग रग-रग मेंं रहता है। गुजरात के महामहिम और संस्कृत के विद्वान आचार्य डॉ. देवव्रत चार गुरुकुल स्थापित कराकर हजारों को संस्कारित करा चुके हैैं।

By Abhishek PandeyEdited By: Published: Fri, 23 Oct 2020 09:31 AM (IST)Updated: Fri, 23 Oct 2020 01:45 PM (IST)
गुजरात के महामहिम की रगों में गुरुकुल का राग

अमरोहा [अनिल अवस्थी]। यह राजनेताओं की एक अलग पीढ़ी है। कहीं भी रहें भारतीय संस्कृति, संस्कृत और संस्कार का राग रग-रग मेंं रहता है। गुजरात के महामहिम और संस्कृत के विद्वान आचार्य डॉ. देवव्रत चार गुरुकुल स्थापित कराकर हजारों को संस्कारित करा चुके हैैं। अपनी बेटी मनीषा को अमरोहा गुरुकुल में शिक्षा दिलाई। अब पौत्री वरेण्या को भी यहीं के गुरुकुल में ही संस्कार दिला रहे हैैं। यह इस गुरुकुल के लिए भी खास है, क्योंकि उनकी पीढ़ी यहां संस्कार ले रही है।

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आचार्य देवव्रत का यहां चोटीपुरा स्थित श्रीमद दयानंद कन्या गुरुकुल महाविद्यालय से खास लगाव है। यहां का अनुशासन व पठन-पाठन उन्हेंं बहुत पसंद है। इसकी देशभर में ख्याति भी है। 16 प्रांतों की बेटियां संस्कारों की शिक्षा ले रही हैं। यहां से निकली वंदना उत्तराखंड कैडर की आइएएस हैं, तो सुमंगला तीरंदाजी में ओलंपिक का सफर तय कर चुकी हैं। आचार्य डॉ. देवव्रत ने वर्ष 1997 में अपनी बेटी मनीषा के लिए भी अमरोहा गुरुकुल का चुनाव किया। वर्ष 2000 तक मनीषा यहीं पढ़ीं। अब वह कुरुक्षेत्र के डीएवी कालेज में वाइस प्रिंसिपल हैं।

संस्कृत प्रेमी राज्यपाल आधुनिक के साथ वैदिक शिक्षा को भी जरूरी मानते हैैं। इसलिए स्वयं भी अब तक चार गुरुकुल स्थापित कर चुके हैं। इनमें अंबाला स्थित चमन वाटिका बेटियों के लिए है। इसकी कमान राज्यपाल की पुत्रवधू कविता संभालती हैं। इसके अलावा नीलोखेड़ी करनाल, कुरुक्षेत्र व ज्योतिसर में भी एक-एक गुरुकुल संचालित करा रहे हैैं। बेटे गौरव सोनीपत के ग्राम पाउटी में खेती देखते हैं।

राज्यपाल की पौत्री वरेण्या है। वरेण्या ने कक्षा सात तक चमन वाटिया के साथ अंग्रेजी स्कूलों में पढ़ाई की। परंतु संस्कृत बोलने में हिचकती हैं। उनके दादा उन्हें संस्कृत में भी पारंगत देखना चाहते हैं। इसलिए उन्हें अमरोहा के गुरुकुल भेजा है। उन्होंने खुद गुरुकुल की प्राचार्य सुमेधा से फोन पर बात कर पौत्री को दीक्षित करने का आग्रह किया। एक माह से वरेण्या को यहां संस्कृत और वैदिक संस्कार सिखाए जा रहे हैं।

एक फोन काल तक नहीं

आचार्य सुमेधा ने बताया कि वरेण्या अपने दादा आचार्य देवव्रत की लाड़ली है। फोन पर बात करने से पौत्री को कहीं पीड़ा न हो इसलिए यहां आने के बाद एक बार भी बात नहीं की। वह आचार्य सुमेधा से फोन पर हालचाल लेते हैं। वहीं, वरेण्या पढ़ाई पूरी करने के बाद आइपीएस बनना चाहती हैैं।  


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