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साल दर साल और नीचे दब रहीं भ्रष्टाचार की फाइलें, आरोपितों पर नहीं रही कार्रवाई

Corruption in Moradabad तीन साल में पांच बड़े घोटालों के मामलों में अब नहीं हुई कोई कार्रवाई। भ्रष्टाचार करके दफ्तरों में मजे से डटे आरोपित।

By Narendra KumarEdited By: Published: Sat, 12 Sep 2020 12:10 PM (IST)Updated: Sat, 12 Sep 2020 12:10 PM (IST)
साल दर साल और नीचे दब रहीं भ्रष्टाचार की फाइलें, आरोपितों पर नहीं रही कार्रवाई

मुरादाबाद, जेएनएन। भ्रष्टाचार के मामलों का निस्तारण न होने को लेकर केंद्रीय सतर्कता आयोग ने चिंता व्यक्त की है। राज्य सरकार ने जो मामला सामने आ जाता है,उसमें तेजी के साथ कार्रवाई करती है। लेकिन जो मामले दबे हैं,उनकी जांच के नाम फाइलों को और नीचे दबा दिया जाता है।

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मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भ्रष्टाचार को लेकर सख्त नीति अपनाने की बात कही थी। लेकिन, जिले में अभी तक एक भी मामले में ऐसी कोई बानगी देखने को नहीं मिली है। भ्रष्टाचार के आरोप में संलिप्त अफसरों से लेकर बाबू तक आराम से काम करने में जुटे हुए हैं। लेकिन उनके खिलाफ कोई कानूनी कार्रवाई नहीं की गई। वहीं जो कार्रवाई भी गई उनमें जांच के नाम पर केवल लीपा-पोती करने का काम किया गया। मुरादाबाद में चार बड़े घोटाले हुए,जिसमें सीलिंग भूमि घोटाला,कोषागार घोटाला, जेल भूमि घोटाला, मंडी समिति शुल्क घोटाले का नाम शामिल है। लेकिन इन घोटालों में जांच के नाम पर तीन साल से केवल खानापूर्ति की कार्रवाई की जा रही है। भ्रष्टाचार को लेकर जो नीति निर्धारण मौजूदा सरकार ने तय किया था,उसका अनुपालन स्थानीय अधिकारियों के साथ ही शासन के अधिकारियों के द्वारा नहीं किया जा रहा है। हालांकि जितने भी घोटाले हुए उनमें ज्यादातर समाजवादी सरकार के कार्यकाल में किए गए।

सीलिंग भूमि घोटाला

दो सौ करोड़ रुपये के इस घोटाले में 68000 वर्ग मीटर जमीन को नियम विरूद्ध आदेश जारी करके छोड़ दिया गया था। इस मामले में 23 अक्टूबर 2018 को सिविल लाइन थाने में नौ आरोपितों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया था। लेकिन आज तक एक भी आरोपी को जेल नहीं भेजा गया। वहीं मामले की जांच विजिलेंस दो साल से कर रही है। कोषागार घोटाला14 करोड़ रुपये के कोषागार घोटाले में फर्जी प्रपत्रों के जरिए आठ सालों तक एरियर का भुगतान किया दूसरे के खातों में किया गया था। मार्च 2018 में मौजूदा जिलाधिकारी राकेश कुमार सिंह ने इस खेल को पकड़ा था। सिविल लाइन थाने में पांच अलग-अलग मुकदमें दर्ज कराए गए। लेकिन एक भी सरकारी कर्मचारी को जेल भेजने की कार्रवाई नहीं की गई। इस मामले में कुल नौ बाबू आरोपित पाए गए थे।

मंडी शुल्क घोटाला

मंडी समिति में मंडी निरीक्षक के द्वारा व्यापारियों से शुल्क वसूलकर 35 लाख रुपये से ज्यादा की रकम खुद के खाते में जमा कर ली गई थी। इस मामले में मुकदमा दर्ज किया गया था। आरोपित कर्मचारी सेवानिवृत्त भी हो गया। लेकिन उसके खिलाफ केवल मुकदमा दर्ज करके कार्रवाई को खत्म कर दिया गया।

जेल भूमि घोटाला

मूढ़ापांडे के सिरसखेड़ा गांव में साल 2017 में 41 हेक्टेयर भूमि जेल निर्माण के लिए खरीदी गई थी। जिसमें पहले उद्यमियों को प्रशासनिक अधिकारियों की मिलीभगत से किसानों से जमीन खरीदी थी,इसके बाद प्रशासन ने उन्हें चार गुना मुआवजा की धनराशि देकर जमीन को खरीद लिया। वहीं वक्फ की जमीन पर भी कब्जा किया गया था। इस मामले में मूढ़ापांडे थाने में 22 अक्टूबर 2018 को विजिलेंस के द्वारा नौ अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया था। लेकिन अभी तक किसी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई।

भ्रष्टाचार के सभी मामलों को पकड़ा गया है। जो भी दोषी रहें हैं, उनके खिलाफ पुलिस के साथ ही अन्य जांच एजेंसियों के स्तर से कार्रवाई होनी है। स्थानीय प्रशासन ने सभी कर्मचारियों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई की है।लक्ष्मीशंकर सिंह,एडीएम प्रशासन


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