अपने ही पक्ष में पारित विधेयकों से अनजान हैं रामपुर के किसान, जानिए क्या है वजह
फरीदपुर निवासी किसान भाई जान का कहना है कि डर इस बात को लेकर है कि सरकार धीरे-धीरे समर्थन मूल्य से हाथ खींच लेगी और किसान ठगे रह जाएंगे। सरकार को स्थिति साफ करना चाहिए।
रामपुर, जेएनएन। किसानों को आर्थिक रूप से मजबूत करने एवं रोजगार के अवसरों को बढ़ाने के उद्देश्य से सरकार ने दो विधेयक पास किए हैं। इसके विरोध में देश के विभिन्न हिस्सों में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। पंजाब की केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर ने इन विधेयकों को किसान विरोधी बताते हुए पद से इस्तीफा दे दिया है।
केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि किसानों को इन विधेयकों के माध्यम से अपनी मर्जी से फसल बेचने की आजादी मिलेगी। न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को बरकरार रखा जाएगा और राज्यों के अधिनियम के अंतर्गत संचालित मंडियां भी राज्य सरकारों के अनुसार चलती रहेंंगी। करार अधिनियम लागू होने से किसान सशक्त होगा और समान स्तर पर एमएनसी, बड़े व्यापारी आदि से करार कर सकेगा। किसानों को कोर्ट-कचहरी के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे। तय समयावधि में विवाद का निपटारा और किसान को भुगतान सुनिश्चित होगा। कृषक उपज व्यापार विधेयक एक इको-सिस्टम बनाएगा। इससे किसानों को अपनी पसंद के अनुसार उपज की बिक्री-खरीद की स्वतंत्रता होगी। इसी बात को लेकर शुक्रवार को जागरण टीम ने किसानों का पक्ष जाना। एक तरफ जहां सरकार द्वारा पारित विधेयक से कई किसान अनभिज्ञ दिखाई दिए तो वहीं कई किसानों ने इसे किसान विरोधी बताया। क्षेत्र के पीपलसाना गांव निवासी किसान सलामत अली ने इन विधेयकों को किसान विरोधी बताया। कहा कि किसानों को फायदा तब होता जब मंडी शुल्क में छूट मिलती। मुकरमपुर गांव के रहने वाले किसान अख्तर अली संसद में पारित विधेयकों से अनजान हैं। अजीमनगर निवासी किसान नोशे अली ने संसद में पारित विधेयकों को किसानों के लिए फायदे का सौदा बताया। उनका कहना है कि विधेयक पास होने से किसानों को फायदा होगा। किसानों को अपनी फसल कहीं भी ले जाकर बेचने की आजादी मिलेगी। इससे वे आर्थिक रूप से मजबूत होंगे।