दूरियां मिटाने के लिए Azam Khan के करीब आ रहे Akhilesh Yadav, समाजवादी पार्टी के लिए अच्छे संकेत
Akhilesh Yadav coming closer to Azam Khan सपा के राष्ट्रीय महासचिव एवं शहर विधायक आजम खां और उनके करीबियों के खिलाफ साल 2019 में बड़े पैमाने पर मुकदमे दर्ज हुए। आजम खां पर पहले से ही 91 मुकदमे थे। अब तीन और हो गए हैं।
रामपुर, (मुस्लेमीन)। Akhilesh Yadav and Azam Khan News: सपा मुखिया अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) आखिरकार आजम खां (Azam Khan) के समर्थन में खुलकर सामने आ गए। इसके जरिये वह आजम समर्थकों के दिलों में बनीं दूरियां कम करने की कोशिश में लगे हैं। रामपुर के सपाइयों ने कई बार अखिलेश की कार्यशैली को लेकर नाराजगी जताई। इस नारजगी को भांपकर ही सपा ने आजम खां प्रकरण को विधानसभा में उठाने के साथ ही राज्यपाल आनंदीबेन पटेल (Anandiben Patel) के सामने भी रखा है।
सपा के राष्ट्रीय महासचिव एवं शहर विधायक आजम खां और उनके करीबियों के खिलाफ साल 2019 में बड़े पैमाने पर मुकदमे दर्ज हुए। आजम खां पर पहले से ही 91 मुकदमे थे। अब तीन और हो गए हैं। पहले स्थानीय सपाई अखिलेश यादव पर खुलकर साथ न देने के आरोप लगाते रहे। आजम खां के मीडिया प्रभारी फसाहत अली खां शानू ने तो विधानसभा चुनाव के बाद यहां तक कह दिया था कि अखिलेश यादव को हमारे कपड़े से बदबू आती है।
आजम पर दो नए मुकदमों से आक्रोशित हैं सपाई
पिछले माह आजम खां पर दो मुकदमे दर्ज हुए तो स्थानीय सपाइयों ने आंदोलन का ऐलान किया, लेकिन प्रशासन ने अनुमति नहीं दी। सपा के प्रतिनिधि मंडल ने लखनऊ में पुलिस महानिदेशक से मुलाकात की तो रामपुर के सपाइयों ने इसमें बड़े नेताओं के शामिल न होने पर भी आपत्ति जताई थी। सपा के पूर्व जिलाध्यक्ष वीरेंद्र गोयल ने तो पार्टी अध्यक्ष को पत्र लिखकर एक माह के लिए रामपुर आने और अत्याचार से बचाने की मांग की थी।
आजम से मिलने दिल्ली पहुंचे थे अखिलेश
इस सबके बाद अखिलेश को भी नाराजगी का अहसास हुआ। सप्ताहभर पहले वह आजम खां का हालचाल जानने दिल्ली पहुंचे। अब खुलकर आजम खां के बचाव में उतर आए हैं। दो दिन पहले पूर्व विधानसभा अध्यक्ष माता प्रसाद पांडेय ने विधानसभा में मुद्दा उठाया। शुक्रवार को अखिलेश यादव विधायकों को साथ लेकर राज्यपाल से मिले और आजम खां पर फर्जी मुकदमे दर्ज कराने की बात कही। आजम खां और अखिलेश यादव के बीच घटती दूरियां सपा के लिए अच्छे संकेत हैं।
यूनिवर्सिटी पर संकट के बादल
आजम खां की जौहर यूनिवर्सिटी पर भी संकट के बादल मंडराने लगे हैं। शुरू से ही यह यूनिवर्सिटी विवादों से घिरी रही है। पहले यह सरकारी यूनिवर्सिटी बनाई जा रही थी। कैबिनेट में प्रस्ताव भी पास कर दिया था, लेकिन आजम खां इसका कुलाधिपति बनना चाह रहे थे। राज्यपाल ने इसे मंजूरी नहीं दी। इस पर आजम खां ने इसे निजी विश्वविद्यालय बनाया। इसकी जमीनों को लेकर भी विवाद पैदा हो गया।
आजम पर किसानों की जमीन कब्जाने का भी आरोप
वर्ष 2019 में 26 किसानों ने जबरन जमीन कब्जाने का आरोप लगाते हुए मुकदमे कराए। शत्रु संपत्ति और ग्राम समाज की भूमि भी कब्जाने का आरोप लगाया। प्रशासन ने भू माफिया घोषित कर दिया। प्रशासन ने नियमों का उल्लंघन करने के आरोप में यूनिवर्सिटी की जमीन भी सरकारी घोषित कर दी। हालांकि दो माह पहले सुप्रीम कोर्ट ने जमीन वापस करा दी। अब फिर प्रशासन ने यूनिवर्सिटी और आजम खां के खिलाफ शिकंजा कसते हुए कार्रवाई की है।
यूनिवर्सिटी से मिला चोरी का सामान
आजम खां पर भी मुकदमा दर्ज कराया है और यूनिवर्सिटी के दो कर्मचारियों को जेल भेज दिया है। यूनिवर्सिटी से चोरी का सामान और पालिका की जमीन में दबी मशीन बरामद होने से छवि भी प्रभावित हो रही है। पुलिस ने अदालत से यूनिवर्सिटी में तलाशी के लिए सर्च वारंट भी मांगा है। पुलिस अधीक्षक अशोक कुमार शुक्ला का कहना है कि यूनिवर्सिटी से बड़ी मात्रा में चोरी माल बरामद हुआ है और भी सामान मिलने की उम्मीद है। इसीलिए सर्च वारंट मांगा गया है।