शिक्षक दिवस : शिक्षक से एक मां की अपेक्षा...Moradabad News
शिक्षक दिवस पर मुरादाबाद के साहित्यकारों ने भी अपने गुरुजनों को अलग अंदाज में याद किया। रचनाओं के माध्यम से जीवन में गुरु की महत्ता पर प्रकाश डाला।
मुरादाबाद, जेएनएन। शिक्षक दिवस पर शिक्षण संस्थानों समेत विभिन्न जगहों पर कार्यक्रमों का आयोजन हुआ। इसी कड़ी में साहित्यकारों और कवियों ने भी अपनी रचनाओं के माध्यम से शिक्षक की महत्ता पर प्रकाश डाला। प्रस्तुत हैं प्रमुख अंश...
एक मां अनेक सपने संजोकर
अपने बच्चे को विद्यालय भेजती है,
वह सोचती है कि
उसका बच्चा वहां जाकर
सीखेगा जीवन की अच्छाइयों को ,
पढ़ेगा जिंदगी की सच्चाइयों को ,
यहीं से वह शुरू करेगा
अपने साथी बनाना और उनको पहचानना ,
यहीं से वह सीखेगा मां के अतिरिक्त
दूसरों पर भी विश्वास करना।
पहला विश्वास करेगा
अपने पहले शिक्षक पर,
वह मानेगा कि
उसके शिक्षक ने जो सिखाया है
वह ही सब सही है
बाकी सब गलत ,
फिर उस पर वह इतना विश्वास
करेगा कि
मां की बात भी उसे गलत लगने
लगेगी।
यह सच है कि
शिक्षक पथ प्रदर्शक है -
एक शिशु का,एक बालक का
उस बालक का जिसे भविष्य में
एक मनुष्य बनना है,
उस बालक का जिसे भविष्य में एक नागरिक बनना है,
उस बालक का जिसे भविष्य में एक संचालक बनना है,
संचालक किसी देश का,
विश्व का या मानवता का।
हर मां चाहती है कि
उसका अबोध बालक
भविष्य मेें बड़ा होकर जब
विद्यालय से बाहर आए तो
वह सच्चे अर्थ में
सुबोध होकर आए
जिससे वह मानवता का वाहक बने और
मां के संजोए सपनों को पूरा करे।
एक मां की यही अपेक्षा है कि
उसके अबोध बालक का शिक्षक
जिस पर वह अपनी मां से भी
ज्यादा विश्वास करता है
ऐसा हो, जो उसे सही ज्ञान दे
जैसे मां उसका पालन
पौष्टिकता से पूर्ण
भोजन देकर करना चाहती है
वैसे ही शिक्षक उसे
ऐसी शिक्षा और ज्ञान दे,
जो उसके सर्वांगीण विकास में
सहयोगी हो।
-डॉ. रीता सिंह
प्रज्ज्वलित जो भानु के समान औरों के लिए
बांट रहा दिन रैन बनके ज्ञान औरों के लिए
इस धरा पर ईश का स्वरूप है वह सद्गुरु
जन्म उसका स्वयं है वरदान औरों के लिए
-मोनिका, मासूम