लेखनी के जरिए महिलाओं को सशक्त बना रहीं सुनंदा, हौसला देख आप भी रह जाएंगे दंग
Women empowerment अपनी लेखनी के जरिये डॉक्टर सुनंदा पराशर ने महिलाओं के मानवीय समानता के अधिकारों की मांग उठाई है।
अमरोहा। जिले के मंडी धनौरा मेंं सुनंदा द्वारा लिखित महिला अधिकारों से संबंधित पुस्तक के सहारे कई कॉलेजों के छात्र-छात्राएं महिला सशक्तीकरण पर शोध कर रहे हैं। उनकी पुस्तक दिल्ली के प्रगति मैदान में लगने वाले पुस्तक मेले में 1997 से लगातार लोगों के आकर्षण का केंद्र बनी हुई है।
नगर के मुहल्ला गांधीनगर में जन्मी असिस्टेंट कमिश्नर एक्साइज दिलावर सिंह की सुपुत्री सुनंदा पाराशर दिल्ली में रहकर अपनी लेखनी के माध्यम से महिला सशक्तीकरण व सामाजिक कार्य में योगदान दे रही हैं। धनौरा की यह बेटी अब दिल्ली में रहती है। लॉकडाउन के दौरान धनौरा आई सुनंदा ने जागरण से विशेष बातचीत में बताया कि उनकी अनन्य प्रकाशन दिल्ली से प्रकाशित पुस्तक हिदी नवजागरण और स्त्री अस्मिता विश्व पुस्तक मेले में वर्ष 1997 से लगातार धूम मचा रही है। मेरठ, लखनऊ व दिल्ली के कई कॉलेजों के विद्यार्थियों को उनके शोध कार्य में ये पुस्तक सहायक साबित हो रही हैं।
रिसर्च पेपर में शामिल हैं किताबें
दिल्ली के जवाहरलाल नेहरु यूनिवर्सिटी व दिल्ली विश्वविद्यालय के रिसर्च पेपर में भी उनकी पुस्तकों को शामिल किया गया हैं। वह उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ व बिहार राज्य में आयोजित महिला सशक्तीकरण को लेकर कार्यशाला में रिसर्च पेपर प्रस्तुत कर चुकी हैं। समय-समय पर उनके कई लेख प्रकाशित भी हुए हैं। डॉक्टर सुनंदा पराशर ने बताया कि उन्होंने 19वीं शताब्दी के आरंभ में प्रकाशित होने वाले अनेक पत्र और पत्रिकाओं में महिलाओं द्वारा लिखे गए लेखों को अपने शोध का विषय बनाया है। इनमें राजनीतिक व सामाजिक के साथ-साथ शिक्षा व सामाजिक अधिकारों के प्रति महिलाओं में चेतना जगाने का प्रयास किया गया है। उनके हिदी नवजागरण और स्त्री अस्मिता पर आधारित लेखों में रचनात्मकता और मौलिकता की खोज की गई हैं।