Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    जीएसटी चोरी पर सख्ती: नई फर्मों पर जांच शुरू, रिटर्न से ई-वे बिल तक होगा ऑडिट

    Updated: Fri, 14 Nov 2025 10:33 PM (IST)

    368 करोड़ की जीएसटी चोरी के बाद राज्यकर विभाग ने नई और संदिग्ध फर्मों की जांच शुरू की है। एक करोड़ से अधिक टर्नओवर वाली फर्मों के रिटर्न, ई-वे बिल और बैंक लेनदेन का मिलान किया जा रहा है। मुरादाबाद जोन में अधिकारियों को 25-25 फर्मों का भौतिक सत्यापन सौंपा गया है।

    Hero Image

    प्रतीकात्‍मक च‍ित्र

    जागरण संवाददाता, मुरादाबाद। प्रदेश में सामने आए 1,970 करोड़ रुपये के टर्नओवर पर 368 करोड़ रुपये की जीएसटी चोरी प्रकरण ने राज्यकर विभाग को झकझोर कर रख दिया है। बोगस फर्म के जरिए किए गए इस बड़े फर्जीवाड़े के बाद अब विभाग अलर्ट मोड में है। यही कारण है कि अब खंडवार सेंट्रल जीएसटी के दायरे में आने वाली नई और संदिग्ध फर्मों की गहन जांच शुरू कर दी गई है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    पिछले एक वर्ष में पंजीकृत उन सभी फर्मों को जांच के दायरे में शामिल किया गया है जिनका टर्नओवर एक करोड़ रुपये या इससे अधिक है। विभाग को संदेह है कि इस अवधि में कई ऐसी फर्में बनाई गई हैं जिनका कोई वास्तविक व्यापारिक ढांचा नहीं है, लेकिन कागजों में करोड़ों रुपये का लेनदेन दिखाया गया है।

    जिन नई फर्मों का चयन जांच के लिए किया गया है, उनमें ऐसे कारोबारी भी शामिल हैं जिनके पास भौतिक व्यापारिक इकाई (फिजिकल यूनिट) नहीं पाई गई है। ऐसे मामलों में यह आशंका बढ़ जाती है कि फर्म केवल बिलिंग के उद्देश्य से बनाई गई है और इसके माध्यम से फर्जी इनपुट टैक्स क्रेडिट (आइटीसी) का खेल खेला जा रहा है।

    इसी संदिग्ध गतिविधि को रोकने के लिए राज्यकर विभाग ने ऐसी फर्म की पूरी कुंडली खंगालनी शुरू कर दी है। परंपरागत दस्तावेजों से लेकर डिजिटल लेनदेन और पोर्टल पर अपलोड सभी रिटर्न का बारीकी से मिलान किया जा रहा है। जांच प्रक्रिया को तेजी से पूरा करने के लिए विभाग ने अपने अधिकारियों को 25-25 फर्मों का जिम्मा सौंपा है।

    यह पहली बार है जब इतनी बड़ी संख्या में फर्मों की समांतर और गहन जांच की जा रही है। प्रत्येक अधिकारी को न केवल फर्म का जीएसटीआर-1 और जीएसटीआर-3बी रिटर्न देखना है, बल्कि उससे जुड़े ई-वे बिल, खरीद-बिक्री के बिल, परिवहन विवरण और मोबाइल नंबरों की भी सत्यता जांचनी है।

    अधिकारियों के अनुसार, कई बार फर्जी फर्म ऐसे मोबाइल नंबर पर पंजीकृत की जाती हैं जो कुछ समय बाद बंद हो जाते हैं। इसलिए इस बार मोबाइल नंबरों की सक्रियता, लोकेशन और उनसे जुड़े बैंक खातों की भी जांच की जा रही है। राज्यकर विभाग की इकाइयां भी पोर्टल पर तेजी से डेटा खंगाल रही हैं ताकि यह पता लगाया जा सके कि किन फर्मों ने अचानक बड़ी मात्रा में आइटीसी क्लेम किया है।

    चूंकि बोगस फर्मों के पिछले नेटवर्क में भी यही तरीका अपनाया गया था। कम समय में करोड़ों का टर्नओवर और भारी मात्रा में आइटीसी क्लेम करने वालों पर नजर है। इस बार विभाग कोई जोखिम लेना नहीं चाहता। टीम यह जांच भी कर रही है कि कहीं किसी बड़ी फर्म ने इन नई फर्म से बिना वास्तविक माल खरीदे खरीद दिखाकर टैक्स बचाने का प्रयास तो नहीं किया। केंद्रीय जीएसटी में पंजीकृत फर्मों का पुराना रिकार्ड भी खंगाला जा रहा है। कई मामलों में पहले भी आइटीसी में गड़बड़ी मिल चुकी है, इसलिए संदेह है कि कुछ फर्म अब भी उसी नेटवर्क से जुड़ी हो सकती हैं।

    जांच में फंसेंगे कई घपलेबाज

    राज्यकर एसआइबी ग्रेड टू अपर आयुक्त आरए सेठ के अनुसार, खंडवार जांच कराने के पीछे राज्यकर विभाग का उद्देश्य यह है कि वास्तविक कारोबार की जानकारी हो सके। इसमें असली कारोबार कितना है और कितना कागजी है। ई-वे बिल और रिटर्न मिलान से यह साफ हो सकेगा कि कोई माल वास्तव में एक स्थान से दूसरे स्थान पर गया भी या नहीं।

    राज्यकर विभाग के अधिकारियों के अनुसार, बड़े स्तर की जांच से न केवल पहले की चोरी का पूरा जाल पकड़ में आएगा, बल्कि भविष्य में कोई व्यापारी फर्जी फर्म खोलकर टैक्स की हेराफेरी करने से पहले सौ बार सोचेगा। आने वाले दिनों में इस जांच का दायरा और भी बढ़ाया जा सकता है, ताकि प्रदेश में जीएसटी चोरी की न हो सके।

     

    सेंट्रल जीएसटी की फर्म की जांच शुरू करा दी गई है। इसमें मुरादाबाद जोन के खंडवार अधिकारियों को जिम्मेदारी दी गई है। इनका भौतिक सत्यापन कराने के साथ ही बिलों की भी जांच होगी। कई बिंदुओं पर जांच हो रही है। इससे

    - अशोक कुमार सिंह, अपर आयुक्त, ग्रेड वन, राज्यकर 


    यह भी पढ़ें- जीएसटी : ‘स्लीपिंग मॉड्यूल’ फर्मों से अरबों की जीएसटी चोरी, एसआइबी और एसआइटी की बड़ी कार्रवाई

     

    यह भी पढ़ें- फर्जी जीएसटी नेटवर्क का भंडाफोड़: एक ही नंबर से दर्जनों फर्मों का पंजीकरण, एसआइटी जांच में खुलासा