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बढ़ सकती हैं सोनाक्षी सिन्हा की मुश्किलें, सह-आरोपित की अग्रिम जमानत याचिका खारिज Moradabad News

जेएनएन मुरादाबाद धोखाधड़ी के मुकदमे में सोनाक्षी सिन्हा के साथ बनाए गए सह-आरोपित अभिषेक सुमन सिन्हा की जमानत याचिका की अर्जी को अदालत ने खारिज कर दिया।

By Narendra KumarEdited By: Published: Fri, 27 Sep 2019 07:48 AM (IST)Updated: Fri, 27 Sep 2019 08:15 AM (IST)
बढ़ सकती हैं सोनाक्षी सिन्हा की मुश्किलें, सह-आरोपित की अग्रिम जमानत याचिका खारिज Moradabad News

जेएनएन, मुरादाबाद : बॉलीवुड अभिनेत्री सोनाक्षी सिन्हा की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। कटघर थाने में दर्ज धोखाधड़ी के मुकदमे में सोनाक्षी सिन्हा के साथ बनाए गए सह-आरोपित अभिषेक सुमन सिन्हा की जमानत याचिका की अर्जी को अदालत ने सुनवाई के बाद खारिज कर दिया। अपर जिला एवं सत्र न्यायधीश पंचम की कोर्ट ने जमानत याचिका को खारिज करने का आदेश जारी किया। यह मामला उस समय सुर्खियों में आया जब देश की राजधानी दिल्ली में आयोजित ब्यूटी फैशन अवार्ड समारोह में भाग लेने के लिए बॉलीवुड अभिनेत्री सोनाक्षी सिन्हा ने लाखों रुपये लेने के बाद भी कार्यक्रम में प्रस्तुति नहीं दी थी। इसके कारण आयोजकों को काफी नुकसान उठाना पड़ा था।

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इस मामले कटघर थाना क्षेत्र निवासी प्रमोद कुमार शर्मा ने बॉलीवुड अभिनेत्री के साथ ही अन्य लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था। मुकदमे की मुख्य आरोपित सोनाक्षी सिन्हा हाईकोर्ट से जमानत पर है, जबकि सह आरोपित की ओर से मुरादाबाद जिला एवं सत्र न्यायधीश की कोर्ट में अग्रिम जमानत के लिए अर्जी दाखिल की गई थी। बुधवार को अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई अपर जिला एवं सत्र न्यायधीश पंचम अनिल कुमार की कोर्ट में हुई। आरोपित की ओर से लखनऊ के अधिवक्ताओं ने दलील देते हुए कोर्ट में अपना पक्ष रखा। दोनो पक्षों के अधिवक्ताओं की दलील सुनने के बाद कोर्ट ने इस मामले में आरोपित की संलिप्तता को मानते हुए अग्रिम जमानत अर्जी की याचिका को खारिज करने का आदेश दिया।

पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम के केस का दिया हवाला

कोर्ट में सुनवाई के दौरान अदालत में अधिवक्ता ने अग्रिम जमानत लेने के लिए पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम के केस का हवाला देते हुए कहा कि पी. चिदंबरम बनाम डायरेक्टर आफ इंफोर्समेंट में सुप्रीम कोर्ट ने माना है कि विशेष रूप से आर्थिक अपराध से जुड़े केस में अग्रिम जमानत का अर्थ यह कि वह विवेचना को प्रभावित करेगा। लेकिन यहां पर केवल अग्रिम जमानत का हक उन्हें ही मिलना चाहिए, जिन पर झूठे आरोप लगाए गए हो। ऐसे में वादी पक्ष के अधिवक्ता ने कहा कि यह मामला अलग है। इसमें सभी साक्ष्य अदालत के समक्ष है। ऐसे में आरोपित को जमानत नहीं मिलनी चाहिए।


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