कभी खुद बेरोजगार थे अब लोगों को रोजगार देने का रखते हैं माद्दा
520
मुरादाबाद : ओडीओपी समिट लोगों के सपनों को पूरा करने का जरिया बनती नजर आई। आयोजन से उद्यमियों के दिलों में अच्छे कारोबार और रोजगार उत्पन्न करने की उम्मीद भी जाग गई। समिट के दौरान लगी हस्तशिल्प प्रदर्शनी में अन्य जिलों से आए उद्यमियों का कहना था कि एक जिला एक उत्पाद योजना के तहत हस्तशिल्प सहित अपने हुनर को दिखाने का मौका भी मिल रहा है। वित्तीय सहायता के जरिए कारोबार के भी आगे बढऩे की उम्मीद है।
पांच लाख का मिला था लोन
गाजियाबाद के सुरेंद्र सिंह का कहना है कि ओडीओपी योजना के तहत पांच लाख का लोन मिला था, मैंने आइआइटी किया है तो एलईडी बल्ब व ट्रांसफार्मर बनाने का काम जानता था। यह रुपया इसी काम में लगा दिया। इस समय 20 लोगों को रोजगार दे रहा हूं। छह महीने बाद सीलिंग फैन भी लांच करने की योजना है।
मददगार साबित होगी समिट
संत कबीर नगर के सत्य नारायण सिंह ने बताया कि यह समिट हम उद्यमियों के लिए मददगार साबित होगी। संत कबीर नगर में पीतल के कारोबार के लिए 39.79 लाख का लोन प्रस्तावित हुआ है। यह लोन मिलता है तो हम सभी कारोबारियों को पैसे के लिए किसी का मुंह नहीं देखना पड़ेगा, कारोबार अच्छा चलेगा।
50 कारीगर कर रहे काम
मुरादाबाद के बाबूराम यादव का कहना है कि इस समय 50 कारीगर मेरे यहां काम कर रहे हैं। यह समिट हम छोटे उद्यमियों के लिए काफी सफल होने वाली है। कोई भी कारोबार पैसे से खड़ा होता है। अगर सरकार की योजनाओं के तहत पैसा मिलता है तो आगे और भी लोगों को काम दे सकूंगा।
कारोबार का होगा विस्तार
कानपुर देहात के अशोक तिवारी ने बताया कि कइयों के पास हुनर तो है, लेकिन पैसा नहीं है। हम लोगों का स्टील के बर्तन का काम है, कई लोगों को रोजगार दिया है। अगर और पैसा मिलेगा तो कारोबार का विस्तार होगा। समिट से कई उम्मीदें हैं। हर जिले का कारोबारी इस ओर आस लगाए देख रहा है।
पैसे की कमी बनती है रोड़ा
एटा के अली मोहम्मद का कहना है कि एटा घंटियों और घुंघरू के लिए जाना जाता है। यह समिट वाकई सराहनीय प्रयास है, मुझे चार लाख रुपये का लोन मिला है। इससे कारोबार को आगे बढ़ाने की योजना है। पैसे की कमी ही किसी भी कारोबार में रोड़ा होती है, यह पैसा पर्याप्त है। खुशी है कि काम आगे बढ़ेगा।
समिट से हैं उम्मीदें
शामली के परविंदर ने बताया कि जैनरिम और धुरों को बनाने में कई लोगों की जरूरत होती है। इस काम में कई रोजगार उत्पन्न होते हैं। समिट से कई उम्मीदें हैं, हमारे यहां का कारोबारी पैसे और तकनीकि के अभाव में अपने परंपरागत काम से विस्थापित हो रहा है। इस तरह के आयोजन कारोबारियों को वापस काम पर लौटाएंगे।
वित्तीय सहायता मिलती हो काम बढ़ता आगे
अलीगढ़ के लल्लूसिंह का कहना है कि अलीगढ़ का परंपरागत काम तालों का है। इस समय इस काम में अलीगढ़ के कई युवा लगे हुए हैं। पैसे के अभाव में वे काम छोड़ रहे हैं। समिट ऐसे ही युवाओं के लिए हैं। मैं इस समय 150 लोगों को रोजगार दे रहा हूं। मेरे जैसे बहुत से हैं अगर वित्तीय सहायता मिलती है तो करीब दस हजार और लोगों को रोजगार मिलेगा।