मुरादाबाद में सोने से महंगे बिक रहे कुत्ते, एक महीने के गोल्डन रिट्रीवर की कीमत 45 हजार रुपये
शिटजू छोटी नस्ल का कुत्ता 50 हजार तक बेचा गया। अभी भी लोग नस्लीय कुत्तों की वजह से परेशान हैं। लॉकडाउन के दौरान जो बढ़े हुए दाम थे आज भी उन्ही दाम पर कुत्ते बेचे जा रहे हैं।
मुरादाबाद, जेएनएन। शौक महंगा है। कोरोना काल में शौकीनों ने मनमाने दाम में नस्लीय कुत्ते बेच डालेे। हालात ये थे कि सोने से भी ज्यादा तेजी से कुत्तों के दाम बढ़ गए। इंटरनेट मीडिया पर लोगों ने कुत्तों के फोटो डालने के साथ ही उनके दाम भी तय कर दिए।
मैसेज बॉक्स में जिसने सबसे ज्यादा दाम लगाए उसे ही कुत्ता दे दिया गया। लॉकडाउन में बढ़े कुत्तों के दाम अभी भी वहींं हैंं। नस्लीय कुत्ते पालने वालों की संख्या शहर में कम नहीं है। 22 मार्च के बाद से लोग घरों में ही रहे। नस्लीय कुत्तों को लेकर इंटरनेट मीडिया का सहारा लिया गया। बिजली और इंटरनेट लगातार मिलने की वजह से कुत्ते तलाशने में किसी को कोई दिक्कत नहीं हुई। सबसे ज्यादा गोल्डन रिट्रीवर, लेबराडोर, शिटजू आदि नस्लों के कुत्ते खूब पसंद किए गए। इन कुत्तों की डिमांड इतनी थी कि बढ़ी हुई कीमत पर कुत्ते मंगवाए गए। ब्रीडरों ने 15 से 20 दिन के बच्चे एक-एक माह का बताकर बेच दिए। अब हालात ये हैं कि जो कुत्ता मार्च से पहले 20 हजार में मिल रहा था, वो अब 45 हजार रुपये में दिया गया। नवंबर तक कुत्तों के दाम में कोई कमी नहीं आई है।
कोरोना काल में दाम उम्मीद से ज्यादा बढ़े हैं। आज भी उन्हीं दाम में कुत्ते बेचे जा रहे हैं। जो कुत्ता 15 से 20 हजार का था। आज वो 45 हजार से कम का नहीं है। ब्रीडिंग कराने वालों ने 15-15 दिन के बच्चे बेच दिए। कम से कम एक माह तक बच्चे को मां का दूध पिलाना चाहिए।
शैलेंद्र कुमार वर्मा, पेट एक्सपर्ट
कोरोना काल में लोगों ने कुत्तों को घर में ही रखा। इस वजह से कुत्ते भी बीमार नहीं हुए। जो लोग आए भी वो छोटे नस्लीय कुत्ते लेकर आए थे। मामूली परेशानी थी। परहेज कराने के बाद कुत्ते ठीक हुए।
डॉ. बाबूराम लोधी, पेट डॉक्टर