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नियम पंद्रह को सख्ती से लागू कर दिया जाए तो किसानों की समस्या का हो समाधान

किसानों का गन्ना बकाया भुगतान न करने के लिए मिलों के प्रबंधन के पास बहाने तो बहुत होते हैं,कभी कहते हैं 29 रुपये किलो चीनी बिक रही है, जबकि एक किलो चीनी बनाने में लागत 32 रुपये आती है। मिलों से बैगास(खोई), मैली और शीरे आदि बिकता है।

By RashidEdited By: Published: Thu, 10 Jan 2019 02:29 PM (IST)Updated: Thu, 10 Jan 2019 03:05 PM (IST)
नियम पंद्रह को सख्ती से लागू कर दिया जाए तो किसानों की समस्या का हो समाधान

मुरादाबाद । किसानों का गन्ना बकाया भुगतान न करने के लिए मिलों के प्रबंधन के पास बहाने तो बहुत होते हैं, कभी कहते हैं 29 रुपये किलो चीनी बिक रही है, जबकि एक किलो चीनी बनाने में लागत 32 रुपये आती है। मिलों से बैगास(खोई), मैली और शीरे आदि बिकता है। सरकार से मिलने वाली सब्सिडी किसकी जेब में जाती है। इसका जिक्र कोई नहीं करता। सरकारें भी किसानों के बजाए मिल मालिकों पर मेहरबान रहती हैं। अफसर मिलों में मौज करते हैं। जानकारों की माने तो यदि 52 साल पहले गन्ना मूल्य भुगतान को लेकर बने नियम 15 को सख्ती से लागू कर दिया जाए तो किसानों की समस्या का समाधान हो सकता है। इस नियम के तहत 15 दिन में गन्ना बकाया भुगतान न करने पर ब्याज देने का प्रावधान है, लेकिन किसी सरकार ने इसे लागू ही नहीं किया। मुरादाबाद मंडल के पांचों जिलों में 22 चीनी मिलें है। प्रशासन और गन्ना अधिकारियों का दावा है कि पिछले पेराई सत्र का गन्ने का 98.13 फीसद भुगतान चीनी मिलें कर चुकी हैं। नए पेराई सत्र का भुगतान हो रहा है। अब तक किसानों को 40.48 फीसद गन्ने का भुगतान किया जा चुका है।

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पंद्रह फीसद ब्याज देने का है नियम

1966 में शुगर कंट्रोल एक्ट 33ए बनाया गया। इसके तहत 15 दिन में किसानों के गन्ना भुगतान मूल्य का भुगतान करने वाली मिलों को 15 फीसद ब्याज देने का नियम था, लेकिन कोई कोई सरकार इसे लागू ही नहीं करा पाई। सरकार जब तक किसानों को एजेंडे में शामिल करे। कारोबारियों को आम आदमी के रेट में चीनी बेचती रहेगी, यह समस्या बनी रहेगी। हरपाल सिंह, राष्ट्रीय अध्यक्ष, भाकियू असली

फसलों के भी दाम बढ़ाने की हो व्यवस्था

किसानों की समस्या का हल सरकार के हाथ में है। हमें खेती से लिए खाद से लेकर सभी सामान मंहगे खरीदने पड़ते हैं और सरकार चीनी कारोबारियों को भी कंट्रोल रेट पर बेच रही है। उनके लिए अलग रेट तय होने चाहिए। चीनी के रेट कम होने से गन्ने किसानों की हालत खराब है। स्वामीनाथन की रिपोर्ट में अन्य सामानों की तरह किसान की फसलों के दाम भी बढ़ाने की व्यवस्था है, इसीलिए तो सरकार लागू नहीं कर रही है। महेंद्र सिंह रन्धावा, मंडल अध्यक्ष, भाकियू(टिकैत)

भुगतान के लिए बनाया जा रहा दवाब

नियम यह है कि 15 दिन में भुगतान न करने वाली मिलें पंद्रह फीसद ब्याज देंगी, लेकिन कुछ चीनी मिलें को किसानों का तय गन्ना बकाया भुगतान करने में दिक्कत कर रही हैं। वह चीनी के दाम से लागत ज्यादा होने की बात करती हैं। ऐसी मिलों पर भुगतान को दवाब बनाया जा रहा है। किसान शांति बनाए रखें। कई मिलों ने पंद्रह दिन में भुगतान करने का भरोसा दिलाया है।

- राजेश कुमार सिंह, उपगन्ना आयुक्त, मुरादाबाद मंडल


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