World Environment Day : लॉकडाउन में दिखा अलग नजारा, 40 साल बाद नजर आए उत्तराखंड के पहाड़ Rampur News
World Environment Day लॉकडाउन में भले ही लोगों को कुछ परेशानी का सामना करना पड़ा लेकिन इससे पर्यावरण को आबोहवा काफी स्वच्छ हो चुकी है।
रामपुर, जेएनएन। कोरोना वायरस के देशभर में जहां कई नकारात्मक प्रभाव देखने को मिले। वहीं इस दौरान हुए लॉकडाउन ने प्रकृति और पर्यावरण पर कई सकारात्मक प्रभाव भी छोड़े। जिन्होंने दुनिया भर को नये सिरे से सोचने पर विवश कर दिया। कारण यह है कि दो महीने का यह लॉकडाउन प्रदूषण को पूरी तरह निगल गया। रामपुर की आबोहवा काफी शुद्ध हुई है। वातावरण इतना शुद्ध हुआ कि लोगों को 40 साल बाद उत्तराखंड के पहाड़ भी दिखाई दे गए।
कई बार दिखा मनमोहक नजारा
लॉकडाउन में यह नजारा कई बार देखने को मिला। इसकी सबसे ज्यादा खुशी पर्यावरण प्रेमियों को हुई, जो निरंतर इसके लिए काम कर रहे हैं। जो पर्यावरण की सुरक्षा को कई साल से पौधरोपण करते आ रहे हैं। शुक्रवार को विश्व पर्यावरण दिवस है। अपने शहर के लोग भी पर्यावरण को बचाए रखने का संकल्प ले रहे हैं। यह बोले पर्यावरण प्रेमी पर्यावरण की सुरक्षा आज के माहौल में बहुत आवश्यक हो गई है। जनपद में इस वर्ष 18 लाख 85 हजार पौधे लगाने का टारगेट आया है। विभिन्न विभागों को इसकी जिम्मेदारी सौंपी गई है।
मनरेगा के अंतर्गत आठ लाख 63 हजार पौधे लगाए जाने हैं। इसके लिए गडढे खोदे जा रहे हैं। शुक्रवार को अभियान के तौर पर ग्राम पंचायतों में शत प्रतिशत कार्य पूरा किया जाएगा। इसके साथ ही पिछले वर्षों में लगाए गए पौधों के संरक्षण का कार्य भी इस अवसर पर हम करेंगे।
शिवेंद्र कुमार सिंह , मुख्य विकास अधिकारी
पर्यावरण सुरक्षा और जल संरक्षण की दिशा में हम वर्षों से कार्य करते आ रहे हैं। खिसकते जल स्तर को उठाने के लिए हमारी ओर से बहुत कार्य किए गए हैं। इस के साथ ही पौधारोपण भी हमारे द्वारा समय-समय पर किया जाता है। इस बार भी पौधारोपण किया जाएगा।
केपी सिंह, निदेशक, रेडिको खेतान
तीन वर्ष पहले नागपुर में कुछ पौधे लगाए थे। उस दौरान अचानक स्वास्थ्य बिगड़ा। पता चला कि दिल में छह ब्लॉकेज हैं। उन पौधों की दुआओं का ही असर मानता हूं कि आपरेशन सफल हुआ और मैं आज स्वस्थ हूं। इस पर्यावरण दिवस पर घर में तुलसी का पौधा लगाऊंगा।
सखावत हुसैन खां, प्रसिद्ध शास्त्रीय गायक
लॉकडाउन ने हमें पर्यावरण के महत्व के विषय में काफी कुछ सिखा दिया। अब भी हम नहीं सुधरे तो कभी नहीं सुधर सकते। मैं तो हर बार की तरह इस बार भी पौधे लगाऊंगा। आप सब भी अवश्य लगाएं।
संदीप सोनी, राष्ट्रीय अध्यक्ष, उद्योग व्यापार प्रतिनिधि मंडल
पर्यावरण दिवस का उद्देश्य हमें इस की सुरक्षा को ले कर जागरूक करना है। हम लोगों को चाहिए कि इस की महत्ता को समझें। अधिक से अधिक पौधे लगाएं। मैं स्वयं इस अवसर पर पौधे लगाऊंगा।
शैलेंद्र शर्मा, जिलाध्यक्ष उद्योग व्यापार मंडल
मानव जीवन में पर्यावरण की महत्ता क्या है, यह बताने की आवश्यकता नहीं है। स्वच्छ पर्यावरण हमारे लिए संजीवनी का कार्य करता है। इसके लिए अधिक से अधिक पौधे लगाना चाहिए। मैं पौधे लगाऊंगा, आप भी अधिक से अधिक पौधे लगाने का प्रयास करें।
राजीव मांगलिक, वरिष्ठ उपाध्यक्ष, स्वर्गधाम जीर्णोद्धार समिति
पर्यावरण सुरक्षा में हम सब का योगदान बहुत अनिवार्य है। हर व्यक्ति को इस के लिए आगे आना होगा। हम सब मिलजुल कर कार्य करेंगे, तब ही पर्यावरण को प्रदूषणमुक्त कर पाएंगे। सब लोग इस अवसर पर अधिक से अधिक पौधे लगाएं।
आकाश सक्सेना, पश्चिमी उत्तर प्रदेश संयोजक, भाजपा लघु उद्योग प्रकोष्ठ
हरा-भरा पर्यावरण शुरू से आकर्षित करता रहा है। संयोग से नौकरी भी खेती-बाड़ी से जुड़े पद पर ही मिली। पौधे लगाना आदत में शामिल है। प्रकृति के सानिध्य में रहते हैं तो जब भी समय मिलता है, पौधे लगा देते हैं। इस बार भी पौधे लगाना है।
हेमराज सिंह, जिला गन्ना अधिकारी
जो पर्यावरण का महत्व नहीं भी समझता होगा, उसे भी लॉकडाउन ने समझा दिया है। प्रदूषणमुक्त हुआ पर्यावरण लोगों की आंखें खोलने के लिए काफी है। अब भी नहीं चेते तो पछताना पड़गा। पौधे हर हाल में लगाएं।
नवीन कुमार सिंह, जिला क्रीड़ा अधिकारी
शिक्षक होने के नाते अपने दायित्व को हम समझते हैं। पर्यावरण की सुरक्षा में पौधों के योगदान के विषय में बच्चों को नियमित रूप से हम बताते हैं। इस पर्यावरण दिवस पर भी हम हर हाल में पौधारोपण करेंगे।
कैलाश बाबू, जिलाध्यक्ष उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ
अधिक से अधिक पौधे लगा कर ही हम पर्यावरण को प्रदूषण से बचा सकते हैं। हम सब को इस बात को समझना चाहिए। भविष्य के दुष्परिणामों से बचना है तो पौधों की महत्ता को समझना ही होगा। हम आज पौधे लगाएंगे। आप सब भी पौधे लगाएं।
कपिल वाष्र्णेय, सहायक क्षेत्रीय प्रबंधक, परिवहन विभाग
हमारा तो प्रकृति से बहुत निकट का नाता है। ऐसे में पेड़-पौधों से प्रेम होना स्वाभाविक ही है। वास्तव में हम सब को ही प्रकृति से प्रेम करना चाहिए। पेड़ पौधे ही हैं जो हमें जीने के लिए प्राण वायु देते हैं। इ
न्हें सहेज कर रखना चाहिए। डॉ. अमरजीत सिंह राठी, फसल वैज्ञानिक