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Moradabad में धू-धूकर जली रावण की लंका, सुग्रीव और बाली के युद्ध का हुआ मंचन

Moradabad ki Ramlila मुरादाबाद में राम और लक्ष्मण का सीता की खोज में बन बन भटक रहे श्री राम का माता शबरी के आश्रम में जाना और सुग्रीव मित्रता बाली वध सीता खोज और लंका दहन तक की लीला का मंचन किया।

By Tej Prakash SainiEdited By: Samanvay PandeyPublished: Mon, 03 Oct 2022 12:29 PM (IST)Updated: Mon, 03 Oct 2022 12:29 PM (IST)
Moradabad ki Ramlila : मुरादाबाद की रामलीला में राम सुग्रीव संवाद का मंचन। जागरण

जागरण संवाददाता, मुरादाबाद। Moradabad ki Ramlila : मुरादाबाद के लाजपतनगर, दसवां घाट और लाइनपार की रामलीला में राम-सुग्रीव मित्रता, वाली वध व लंका दहन का मंचन किया गया। तीनों ही स्थानों पर राम और लक्ष्मण का सीता की खोज में बन बन भटक रहे श्री राम का माता शबरी के आश्रम में जाना और सुग्रीव मित्रता बाली वध सीता खोज और लंका दहन तक की लीला का मंचन किया।

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भगवान राम ने खाए सबरी के झूठे बेर

भटकते भटकते माता शबरी के आश्रम में पहुंचते हैं और वहां सबरी उनका स्वागत करती हैं और उन्हें फल बेर खिलाती हैं और वह राम को बताती हैं कि ऋषि मुख पर्वत पर कुछ बांदर रहते हैं वहां आप जाओ वह आपकी अवश्य सहायता करेंगे। वहां श्री राम की सुग्रीव से मित्रता होती है।

हनुमान से परिचय और बाली वध

हनुमान से परिचय होता है उसके बाद वाली वध किया गया। व्यवस्था में महेश चंद्र अग्रवाल विनोद सक्सेना मुकुल बंसल श्याम कृष्ण रस्तोगी राजेंद्र अग्रवाल विपिन जेटली अविनाश अग्रवाल शम्मी रस्तोगी अतुल अग्रवाल राजेंद्र खन्ना विवेक शर्मा एके सिंघल केके गुप्ता ओम प्रकाश अग्रवाल का सहयोग रहा।

रामलीला में सीताहरण व जटायू उद्वार

श्रीरामलीला समिति, सिविललाइंस की ओर से स्थित युवा केन्द्र में भरत कैकेई संवाद, पंचवटी में सूर्पनखा का आना और खरदूषण वध, मारीच का सोने का मृग बनना, सीता हरण, जटायु उद्धार का प्रसंग प्रस्तुत किया गया। राम वन गमन के पश्चात भरत-शत्रुघ्न अपने ननिहाल से वापस अयोध्या आते हैं।

जहां उन्हें समाचार मिलता है कि उनकी माता कैकेई ने राजा दशरथ से उनके लिए राजपाट और राम के लिए 14 वर्ष का बनवास वरदान में मांगा, जिसके फलस्वरूप राजा दशरथ राम के वियोग में स्वर्ग सिधार गए तो भरत के क्रोध ने सीमा लांघ दी और अपनी मां का त्याग कर दिया।

भैया राम को वापस लेने भरत निकले

भरत भईया राम को वापस लाने के लिए वन की ओर चल पड़ते हैं और चित्रकूट पहुंच कर भईया राम को वापस अयोध्या चलने की प्रार्थना करते हैं। परंतु राम ने पिता व माता कैकेई के आदेश का पालन करने को वापस जाने से इन्कार कर दिया। भरत राम की खड़ाऊं लेकर वापस अयोध्या चले गए।

रामलीला समिति के संरक्षक शिशिर गुप्ता, डा संजीव राजन, अध्यक्ष सुरेंद्र प्रकाश गुप्ता, महामंत्री पीयूष गुप्ता, कोषाध्यक्ष निर्वेश भटनागर, सुनील गुप्ता, अरविंद गुप्ता, प्रेमनाथ, उपदेश अग्रवाल, संजय धवन, प्रमोद रस्तोगी, शिवांश गुप्ता के साथ साथ पूरी रामलीला समिति ने सराहनीय योगदान दिया।

अगवानपुर में सीता हरण का मंचन

अगवानपुर। नगर में चल रही रामलीला मंचन में पंचवटी में सूर्पणखा की लक्ष्मण द्वारा नाक काटने का मंचन किया गया। बहन के अपमान में श्रीराम-लक्ष्मण के तीरों से खर और दूषण का मारा जाना और मृग का शिकार करने श्री राम का जाना, उसके बाद छल से रावण द्वारा सीता का हरण करने का मंचन दिखाया गया।

सीता की खोज करते समय घायल जटायू से मिलन और उसके उद्वार का मंचन से लेर राम-सुग्रीव से मित्रता का मंचन हुआ। वरुण गुप्ता, सरज़ू विश्नोई, अंचल शर्मा, मुकुल वर्मा, पुष्पेन्द्र शर्मा, अंशुल गुप्ता, अतुल विश्नोई, सुरज तोमर, चन्द्रशेखर भदौरिया, संजय कुमार ने व्यवस्था बनाने में सहयोग किया है।


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