रामपुर के वृद्धाश्रम की जांच भी होगी क्योंकि सुविधाओं का है अभाव Rampur News
किसी के बीमार होने पर चेकअप को नहीं आते चिकित्सक किसी को डेढ़ साल तो किसी को दो महीनों से नहीं मिली है ग्रांट।
रामपुर, जेएनएन : जिले के वृद्धाश्रमों को सुविधाओं के नाम पर कुछ भी नहीं मिल पा रहा, जिसके चलते वे अभावों से जूझ रहे हैं। हाल यह है कि किसी के बीमार होने पर इसके लिए जिम्मेदार सरकारी चिकित्सक भी अपनी जिम्मेदारियों से मुंह मोड़ जाते हैं। इन्हें मिलने वाली ग्रांट भी समय पर नहीं मिल पाती, जिसके चलते इनके संचालकों को हर बात के लिए परेशानी का सामना करना पड़ता है। इसके बावजूद समस्याओं का निस्तारण करने के स्थान पर इनकी जांच करवाने की बात सरकार द्वारा की जा रही है।
प्रदेश के वृद्धाश्रमों में असुविधाओं की बात कहते हुए सरकार ने 74 वृद्धाश्रमों की जांच करवाने का फैसला लिया है। इसमें रामपुर का नाम भी शामिल है।
इधर जिले के दोनों वृद्धाश्रम सुविधाओं के अभाव में समस्याओं का सामना करने को विवश हैं। जनपद के पटवाई गांव स्थित वृद्धाश्रम में कुल चार कमरे हैं। इनमें कुल 25 वृद्ध हैं, जिनमें से 13 पुरुष 12 महिलाएं हैं। इसके संचालक जमील अहमद बताते हैं कि आश्रम को सरकार से मिलने वाली ग्रांट की धनराशि डेढ़ वर्ष से उन्हें नहीं मिली है। इस कारण बहुत परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। आश्रम में रहने वाले लोगों को प्रतिदिन राशन चाहिए। इसके लिए कुछ भी करके उन्हें राशन जुटाना पड़ता है। इस चक्कर में अब तक वह काफी उधार कर चुके हैं। उनका कहना है कि सरकार द्वारा सुविधाएं समय पर मिलती रहें तो कोई परेशानी सामने नहीं आए। उधर ताशका स्थित वृद्धाश्रम में 10 बड़े हॉल हैं, जिनमें 15 पलंग आते हैं। इसके अलावा छह छोटे कमरे हैं। एक मनोरंजन कक्ष व एक चिकित्सा कक्ष के अलावा एक डायङ्क्षनग हॉल भी है। यहां पर 150 वृद्धों की क्षमता है। वर्तमान में 78 वृद्धों का पंजीकरण है, जिनमें से 46 पुरुष व 32 महिलायें हैं। संचालक माहेश्वरी हंस बताती हैं कि दो माह से ग्रांट नहीं मिली है। इससे कुछ परेशानी आ रही है। राशन आदि का सामान उधार उठाना पड़ रहा है। उनके अनुसार सबसे अधिक परेशानी चिकित्सा को लेकर आती है। आश्रम में कोई वृद्ध बीमार हों तो सूचना के बावजूद चिकित्सक नहीं आते। मेडिकल चेकअप के लिए चिकित्सक नहीं आते और आ भी जाएं तो दवायें हमसे ही मांगी जाती हैं। उधर बार-बार फोन करने के बाद काफी देर से एंबुलेंस भेजी जाती है। जरा सी कोई बात होने पर भी रोगी को मुरादाबाद रेफर कर दिया जाता है। उसका उपचार यहां पर नहीं किया जाता। इस सबसे हमें बहुत परेशानी होती है। उनका कहना है कि वह कई बार सीएमओ को लिख चुकी हैं, उसके बावजूद सुनवाई नहीं की जा रही। उन्होंने बताया कि यदि समाजसेवियों का अपेक्षा के अनुरूप सहयोग मिल जाए तो सार समस्याओं का अंत हो जाए।