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जौहर यूनिवर्सिटी के जरिये कोसी नदी में अतिक्रमण और पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने में भी आजम पर जांच Rampur News

जौहर यूनिवर्सिटी के जरिये कोसी नदी में अतिक्रमण और पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने का मामला राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (एनजीटी) पहुंच गया है।

By Narendra KumarEdited By: Published: Sat, 13 Jul 2019 11:38 PM (IST)Updated: Sun, 14 Jul 2019 03:30 PM (IST)
जौहर यूनिवर्सिटी के जरिये कोसी नदी में अतिक्रमण और पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने में भी आजम पर जांच Rampur News
जौहर यूनिवर्सिटी के जरिये कोसी नदी में अतिक्रमण और पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने में भी आजम पर जांच Rampur News

मुरादाबाद, जेएनएन: रामपुर में जौहर यूनिवर्सिटी के जरिये कोसी नदी में अतिक्रमण और पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने का मामला राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (एनजीटी) पहुंच गया है। एनजीटी ने भी शिकायतों की जांच संयुक्त समिति से कराने और उपयुक्त कार्रवाई करने के आदेश दिए हैं। इस मामले में जिला प्रशासन पहले ही जांच कराकर शासन को रिपोर्ट भेज चुका है, जिसमें कहा है कि नदी क्षेत्र की जमीन पर पक्का निर्माण नहीं कराया जा सकता है। इस मामले में पर्यावरणविद शैलेष सिंह की ओर से एनजीटी में याचिका दाखिल की गई थी। याचिका में कोसी नदी के डूब क्षेत्र की जमीन पर निर्माण से नदी के बहाव में अवरोध पैदा करने और जलीय जीव जंतुओं के लिए खतरा पैदा करने का आरोप लगाया गया है।

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यह है जौहर यूनिवर्सिटी का पूरा मामला

दरअसल जौहर यूनिवर्सिटी के पास ही कोसी नदी बहती है। यूनिवर्सिटी और नदी के बीच में एक बांध बना है। इस बांध पर सड़क भी बनी है, जिस पर वाहन भी चलते हैं। प्रशासन ने जो रिपोर्ट तैयार की है, उसमें यूनिवर्सिटी के अंदर भी कोसी नदी की पांच हेक्टेयर जमीन बताई गई है। जिलाधिकारी आन्जनेय कुमार ङ्क्षसह ने पिछले दिनों इसकी जांच कराई थी। इसके लिए 25 मई को राजस्व विभाग की एक टीम यूनिवर्सिटी में पैमाइश के लिए गई थी। टीम का आरोप है कि उन्हें पैमाइश नहीं करने दी गई। टीम ने अपनी रिपोर्ट डीएम को दी। डीएम के आदेश पर नायब तहसीलदार सदर केजी मिश्रा ने अजीमनगर थाने में तहरीर दी। रिपोर्ट में आजम खां समेत यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार आर कुरैशी और मुख्य सुरक्षा अधिकारी आले हसन खां को नामजद किया गया।

एनजीटी के आदेश से पहले ही रामपुर प्रशासन ने करा ली जांच

जिलाधिकारी का कहना है कि आजम ने यूनिवर्सिटी के लिए शासन से इस जमीन की मांग की थी लेकिन, आवंटन नहीं किया गया। मई में इस जमीन के बारे में शासन द्वारा आख्या मांगी गई, तब पता चला कि यह जमीन आवंटन से पहले ही कब्जा ली गई। नदी की जमीन सार्वजनिक उपयोग के लिए है। सामान्यता यह किसी को नहीं दी जा सकती। इसमें कोई पक्का निर्माण भी नहीं किया जा सकता है। ऐसा शासन का नियम भी है और सुप्रीम कोर्ट का आदेश भी है। हमने पहले ही जांच कराकर शासन को रिपोर्ट भेज दी है।

शासन से खरीदी है जमीन

यूनिवर्सिटी के संस्थापक आजम खां का कहना है कि हमने कोई जमीन नहीं कब्जाई है। 40 लाख रुपये देकर जमीन खरीदी है। कुछ जमीन और मिलनी है लेकिन, सरकार ने अभी तक नहीं दी है। हमने नदी क्षेत्र में कोई कब्जा नहीं किया है। नदी के और यूनिवर्सिटी के बीच में तो बांध बना है। नदी की धारा रोके जाने का सवाल ही पैदा नहीं होता है।


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