रामगंगा की स्वच्छता अभी दूर की कौड़ी
मुरादाबाद : दावे लाख हों लेकिन महानगर के नाले व ढेला का दूषित पानी रामगंगा की स्वच्छता पर स
मुरादाबाद : दावे लाख हों लेकिन महानगर के नाले व ढेला का दूषित पानी रामगंगा की स्वच्छता पर सवाल खड़े कर रहा है। अभी तक नालों का गंदा पानी रोकने का प्लान तैयार किया गया है और ना ही ढेला का दूषित पानी रोकने का बंदोबस्त। यानी समय रहते रामगंगा को स्वच्छ करना दूर की कौड़ी नजर आ रहा है।
शासन का मंसूबा 15 सितंबर तक गंगा एवं सहायक नदियों को स्वच्छ करने का है। इसके लिए नालों का गंदा पानी वाटर ट्रीटमेंट प्लांट के जरिए स्वच्छ कर नदियों में छोड़ने को आधार बनाया गया है। फिलहाल अभी तक ऐसी ठोस नीति तैयार नहीं की गई है जोकि रामगंगा का नीर स्वच्छ कर पाए। ढेला:
ढेला में उत्तराखंड की एक दर्जन गत्ता फैक्ट्रियों का दूषित पानी छोड़ा जाता है। यही पानी रामगंगा की धार में मिल जाता है। यानी नदी के पानी को भी दूषित कर देता है। हालांकि क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के वैज्ञानिक सहायक विमल राजपूत ने उत्तराखंड का गंदा पानी रोकने व फैक्ट्रियों में वाटर ट्रीटमेंट प्लांट संचालित होने का दावा किया है। मर जाते हैं जीव-जंतु
महानगर के नालों व ढेला के दूषित पानी से रामगंगा की स्वच्छता पर सवाल खड़े हो गए हैं। समय सीमा तक रामगंगा स्वच्छ हो पाएगी इसके आसार कम हैं। अलबत्ता यह बात दीगर है कि जिला प्रशासन रामगंगा की स्वच्छता के दावे कर रहा है? खास बात ये है कि दूषित पानी से जल में रहने वाले जीव-जंतु व मछलियां मर जाती हैं। क्षेत्रवासियों की जुबानी
तुमड़िया के नदीम, जाहिदपुर- सीकमपुर के पूर्व प्रधान मुहम्मद इरशाद, पीपलसाना के जाहिद सलमानी कहते हैं कि कभी-कभी ढेला का पानी काला हो जाता है। शिकायत के बावजूद कार्रवाई नहीं होती।