रामगंगा खतरे के निशान से 40 सेमी. ऊपर, गांवों में बाढ़, दिलों में खौफ
रामगंगा का जल स्तर खतरे के निशान से लगभग 40 सेमी. ऊपर पहुंच गया है।
मुरादाबाद : रामगंगा का जल स्तर खतरे के निशान से लगभग 40 सेमी. ऊपर पहुंच गया है। कमोबेश तीन दर्जन गांवों में पानी व एक दर्जन से अधिक कच्चे मकान गिर गए हैं। अनेक गांवों का संपर्क मुख्यालय से टूट गया है। नदी का पानी काजीपुरा तटबंध व बलिया बल्लभगढ़ के किनारे को छूने लगा है। रायभूड़ व गोपालपुर गांव के चारों ओर पानी भरने से ग्रामीणों की आवाजाही बंद हो गई है। स्कूलों में पानी भरने से बच्चे स्कूल नहीं जा रहे हैं। पूरी रात ग्रामीणों ने छतों व गांव में पहरा देकर गुजारी। दिनभर जारी रहा पानी का चढ़ाव
सोमवार की सुबह छह बजे रामगंगा 190.50 मी. व सुबह आठ बजे खतरे का निशान पार करते हुए 190.73 तक पहुंच गई। दिन भर पानी का चढ़ाव जारी रहा। देर शाम तक जल स्तर 191.00 मी. यानी खतरे के निशान से 50 सेमी. ऊपर बहने के कयास लगाए जा रहे थे। विभागीय अधिकारियों का कहना है कि खो व हरेवली बैराज से लगभग 46,596 क्यूसेक पानी छोड़ा गया है जो करीब 10-12 घंटे में महानगर की सीमा में दाखिल होकर गुजरेगा। फिलवक्त पानी बढ़ने से ग्रामीणों में दहशत है। सभी ने सुरक्षित स्थानों की तलाश शुरू कर दी है। कई स्थानों पर पुलिस को सर्तक कर दिया गया है। महकमे को भी चौकसी बरतने के निर्देश दिए गए हैं। स्थिति की जानकारी के लिए कंट्रोल रूम बनाया गया है। बाढ़ की चपेट में दर्जनों गांव
रामगंगा की बाढ़ की चपेट में दर्जनों गांव हैं। गांव मल्लीवाला, रायभूड़ा गोपालपुर, महदूद कलमी, मूलावाहन, लालूवाला, रुस्तमपुर तिगरी, मिलक लालूवाला, पूरनपुर चकरपुर, सेहल, जैतपुर बिसाहट, हिरनखेड़ा, गदईखेड़ा, भैयानगला, घोसीपुरा, नाजरपुर, हृदयनाजरपुर, दौलतपुर अजमतपुर, बीरपुबरियार के जंगल व घरों में पानी भरने लगा है। रुस्तमपुर तिगरी के डॉ. फहीम अहमद व मिलक लालूवाला के सुलेमान ने बताया कि नदी का पानी गांव में तेजी से फैल रहा है। सिहाली खद्दर के मुहम्मद रिजवान व मुहम्मद इमरान ने रामगंगा का पानी फैलने की बात कही है। ग्रामीणों ने छत पर बैठकर गुजारी रात
बाढ़ के पानी से प्रभावित गांवों में दहशत का माहौल है। ग्रामीणों ने पूरी रात छत पर बैठकर व गांव के चारों ओर पहरा देकर गुजारी। प्रभावित गांवों से रातभर जागते रहो की आवाजें आती रहीं। प्रभावित परिवारों सुरक्षित स्थानों की तलाश शुरू कर दी है। दो दिन में सामान्य हो जाएगी स्थिति : अधिशासी अभियंता
रामगंगा का पानी बढ़ रहा है। देर रात से उतरना शुरू हो जाएगा। दो दिन में स्थिति सामान्य हो जाएगी।
मनोज कुमार, अधिशासी अभियंता बाढ़ खंड
कोसी उफनी, प्रानपुर मार्ग पर एक फीट पानी
लगातार हो रही बारिश और रामनगर बैराज से पानी छोड़ दिए जाने से कोसी नदी में बाढ़ आ गई। रामपुर शहर से दो किलोमीटर दूर प्रानपुर मार्ग पर पानी आ गया। एक फुट पानी रोड पर बहने से लोग घबरा गए। तेज धार को देखकर कुछ लोग वापस लौटने लगे, जबकि कई लोग धार के बीच से ही अपने वाहनों को निकालकर ले गए। बढ़ गया नदियों का जलस्तर
जिले में छह दिन से लगातार बारिश हो रही है। सोमवार को भी खूब पानी बरसा। बारिश के पानी से ही नदियों का जल स्तर बढ़ गया, लेकिन कोसी में रामनगर बैराज से भी दस हजार क्यूसेक पानी छोड़ दिया गया, जिसकी धार लालपुर पुल के पास आकर और तेज हो गई। इससे सोमवार दोपहर प्रानपुर रोड पर भी पानी आ गया। रोड पर लगभग एक फीट से ज्यादा पानी चल रहा था। पानी की धार को देख लोग घबरा गए और रोड पर जाम लग गया। मौके पर पहुंची पुलिस
पानी की गति इतनी तेज थी कि कोई भी ऐसी स्थिति में पानी के अंदर जाना नहीं चाह रहा था। जाम एवं पानी की सूचना मिलने पर तुरंत पुलिस वहां पहुंच गई। पुलिस ने लोगों को समझाया। एक एक वाहन को निकलवाया, जबकि अनेक लोग अपने वाहन वापस ले गए। जाम खुलने पर लोगों ने राहत की सांस ली। जलस्तर को बढ़ता देख लोगों में दहशत बनी हुई। रात में और अधिक पानी बढ़ने की संभावना है, ऐसे में प्रशासन ने लोगों को सतर्क रहने की चेतावनी दी है। अपर जिलाधिकारी रामभरत तिवारी ने बताया कि रामनगर बैराज से पानी छोड़े जाने के कारण प्रानपुर रोड पर कोसी का पानी आ गया। बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों में बाढ़ चौकियों पर तैनात कर्मचारियों को सतर्क कर दिया गया है। खादर के गांवों में बाढ़ के हालात
गंगा का जलस्तर लगातार बढ़ने से अमरोहा जिले के गजरौला के खादर क्षेत्र में हजारों बीघा कृषि क्षेत्रफल में खड़ी फसल बाढ़ के पानी से लबालब हैं। किसानों को खेत से पशुओं के लिए चारा लाने के लिए भारी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। इसके साथ ही ग्रामीण शौच के लिए भी ज्यादा परेशान हैं। चारों तरफ पानी से घिरे रहने की वजह से शौच के लिए स्थान नहीं बचा है। पीड़ित ग्रामीणों को प्रशासन से मदद की खासी उम्मीद है। लेकिन अभी कई दिन तक बाढ़ का पानी बढ़ने की आशंका किसानों को ज्यादा परेशान कर रही है। वहीं बाढ़ अफसरों द्वारा खादर किसानों को लगातार अलर्ट किया जा रहा है। भारी मात्रा में छोड़ा जा रहा है पानी
पहाड़ों पर हो रही मूसलधार बरसात की वजह से हरिद्वार व बिजनौर बैराज में स्टॉक किया गया पानी लगातार भारी मात्रा में गंगा में छोड़ा जा रहा है। रविवार को करीब पौने दो लाख क्यूसेक पानी अकेले बिजनौर बैराज से गंगा में डिस्चार्ज किया गया जो सोमवार तड़के तिगरी व ब्रजघाट पहुंच गया। इससे तिगरी गंगा का जलस्तर करीब बीस सेमी बढ़ जाने किसानों में दहशत फेल गई। सोमवार सुबह तिगरी में जलस्तर 200.40 गेज रिकार्ड किया गया। इससे खादर क्षेत्र के गांवों व कृषि क्षेत्रफल में पहले से घुसा पानी करीब एक फीट तक और बढ़ गया। इन गांव के लोगों को ज्यादा परेशानी
शीशोवाली, जाटोवाली, टांकोवाली, ओसीता जग्देपुर व तिगरी के हजारों बीघा से अधिक कृषि क्षेत्रफल में बाढ़ का पानी किसानों के लिए बड़ी मुसीबत बना हुआ है। ग्रामीणों को पशुओं के लिए चारा लाने के किए चार फीट तक गहरे पानी से गुजरकर खेत पर पहुंचना पड़ रहा है। पानी में खड़े-खड़े ही चारा काटकर उसकी गठरी बनानी पड़ रही है। ट्यूब के सहारे खतरे भरे रास्ते से गुजरकर लौटना पड़ रहा है। ऐसे में छोटे कद के किसानों व महिलाओं को ज्यादा परेशानियों का सामना करना पड़ा है। बच्चों का जंगल की तरफ जाना खतरे से खाली नहीं रह गया है। शीशोवाली व जाटोवाली गांव में पशुओं के लिए सूखा स्थान तलाश करना ग्रामीणों के सामने बड़ी चुनौती बनी हुई है। प्रशासन ने अलर्ट जारी किया है कि बुजुर्ग, महिलाएं और बच्चे पानी भरे स्थानों की ओर न जाएं। शौच के लिए स्थान तलाशने में भटक रहे ग्रामीण
गजरौला में गंगा में उफान के चलते खादर क्षेत्र में बाढ़ का पानी ग्रामीणों को इस कदर परेशान किए हैं कि ग्रामीणों को शौच के लिए सूखा स्थान नहीं मिल पा रहा है। ऐसा नहीं है कि गांव में लोगों के घरों में शौचालय नहीं बने हुए हैं लेकिन गंगा का जलस्तर बढ़ने से गड्ढे वाले शौचालय उफन गए हैं। शौचालय में पानी भर गया है। घर से बाहर शौच को सूखा स्थान भी नहीं बचा है। ऐसे में बच्चों और महिलाओं को शौच जाने में भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है और यदि दिन में शौच को जाना हो तो बेशर्मी की दीवार टूट जाती है। पसरी कीचड़ से फैल रहे संक्रामक रोग
खादर के गांव शीशोवाली व जाटोवाली चारों तरफ से बाढ़ के पानी से घिरे हुए हैं। खास बात यह है कि गांव में ज्यादातर लोगों ने बाढ़ की मार से बचने के लिए अपने मकान ऊंचाई पर बना रखे हैं। यदि गांव में बाढ़ का पानी घुस भी जाये तो दो से तीन फीट तक पानी रास्तों पर भरने के बाद भी घरों में नहीं जा पाएगा। लेकिन गांव के जो नीचान वाले हिस्से हैं। उनमें बाढ़ का पानी भरा है और लगभग सभी मांर्गों पर बुरी तरह से कीचड़ एवं जलभराव की स्थिति बनी हुई है। इससे लोगों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। बच्चे एवं बड़े कीचड़ से होकर गुजरने को मजबूर हैं। जिससे संक्रमित बीमारियां फैल रही है। सोमवार को फिर छोड़ा गया 2.11 लाख क्यूसेक पानी
हरिद्वार व बिजनौर बैराज से गंगा में भारी मात्रा में पानी छोड़े जाने से सोमवार को एकाएक गंगा का जलस्तर बीस सेमी बढ़ गया। रविवार को तिगरी में 200.20 गेज रिकार्ड किया गया था। जो सोमवार को बढ़कर 200.40 गेज हो गया। बाढ़ खंड तिगरी के जेई प्रदीप कुमार ने बताया कि सोमवार को फिर हरिद्वार व बिजनौर बैराज से 2.11 लाख क्यूसेक पानी और छोड़ा गया है। इसमें अकेले बिजनौर से 1.45 लाख क्यूसेक पानी शामिल है। यह पानी मंगलवार तड़के तक तिगरी के आसपास पहुंचकर जलस्तर बढ़ाने का काम करेगा। हालांकि तिगरी में खतरे का निशान 202.5 गेज है। गंगा खतरे के निशान से अभी काफी नीचे है।
नदी की तेज धार से अधिकतर स्पर बहे
रामपुर में बांध जगह-जगह से क्षतिग्रस्त होने के साथ ही नदी की धार को रोकने के लिए बनाए अधिकतर स्पर बह गए हैं। क्षेत्र में कोसी नदी उफान पर आ गई है, जिसके चलते नदी ने अपना प्रकोप दिखाना शुरु कर दिया है।नदी की धार ने किसानों के खेतों का कटान शुरू कर दिया है। सैकड़ों एकड़ भूमि नदी में समां गई है, जिससे किसान काफी परेशान हैं। कोसी का जलस्तर बढ़ने पर किसान पशुओं को चराने के लिए नदी पार भी नहीं जा रहे हैं। नदी ने पशुओं के चारे को पूरी तरह नष्ट कर दिया है ।किसान एवं ग्रामीण जान जोखिम में डालकर नदी पार से चारा ला रहे हैं।वहीं पशुओं के सामने भूखे मरने की नौबत आ गई है। लगातार हो रही बारिश से बांध भी कई जगह से क्षतिग्रस्त हो गया है। नदी की धारा को रोकने के लिए बनाए स्पर बह गए हैं या फिर क्षतिग्रस्त हैं। लकड़ी की बेरिके¨डग को चोरी कर लिया गया है। ¨सचाई विभाग के अधिकारियों की लापरवाही के चलते बांध की हालत दयनीय है, जिससे कोसी नदी किनारे बसे एक दर्जन से अधिक गांव के ग्रामीणों एवं किसानों को बाढ़ का भय सता रहा है। राजू, प्रकाश, गो¨वद, हाजी अनवार हुसैन, अख्तर अली, नामे अली आदि का कहना है कि कोसी नदी में खनन माफिया के खनन करने के कारण नदी की धारा प्रभावित हो गई है। नदी किसानों की जमीनों का कटान कर रही है और बांध एवं स्पर क्षतिग्रस्त हो रहे हैं। उन्होंने मरम्मत कराने की मांग की है।
रामगंगा नदी उफनाने से दर्जनों गांवों में तबाही
रामगंगा नदी की बाढ़ ने ठाकुरद्वारा के दर्जनों गावों को चपेट में ले लिया है। गांवों में दो फीट तक पानी आने से घरों में जलभराव हो गया है। बाढ़ में घिरे लोग सुरक्षित स्थानों की तरफ पलायन करने लगे हैं। प्रशासन प्रभावित इलाकों के लिए राहत सामग्री भेजी है। एनडीआरएफ की टीम पहुंच गई है। ग्रामीणों के लिए तीन राहत शिविर बनाए गए है। नदी किनारे बसे गावों में आला अफसर निगाह बनाए हैं। घरों में घुसा पानी
रामगंगा नदी का जलस्तर बढ़ने पर रविवार की रात पानी नदी की सीमायें तोड़कर दर्जनभर गावों में घुस गया है। नदी और सुरजन नगर-डिलारी रोड के बीच बसें गाव पानी में डूब गए। लोग घरों को छोड़कर सुरजन नगर-डिलारी मार्ग पर पहुंच गए। इसके बाद रामगंगा के बढ़ने पानी के साथ डूबते आशियानों को हसरत भरी निगाहों से देखने लगे। इस बीच किसानों ने पशुओं को लाकर भी रोड किनारे बाध दिया। इस बीच डीएम राकेश कुमार सिंह समेत अफसर पहुंचे तो ग्रामीणों ने सुरक्षा की माग की। डीएम ने ग्रामीणों को राहत का आश्वासन दिया। बाढ़ प्रभावित गांव
बहापुर, बलिया, बल्लभगढ़, शेरपुर पट्टी, मलकपुर सेमली, लालापुर पीपलसाना, रायभूड़, चावड़, मुनीमपुर, मीरपुर मोहन चक, दरियापुर, मीरपुर की मंडैया, गंगाधरपुर, मुनीमपुर, पायंदापुर, अलियाबाद, मुस्ताबाद गुलड़िया, बुढ़नपुर, सुल्तानपुर खद्दर, कोठा, गक्खरपुर, ईसापुर भूड़। यह हैं बाढ़ राहत शिविर
1 सरस्वती विद्या मंदिर करनपुर चौराहा
2 एनएस महाविद्यालय करनपुर चौराहा
3 डीएसएएम इंटर कालेज मलकपुर