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बेकार पटरी से तैयार कर दिया यार्ड की लाइन को शिफ्ट करने का उपकरण Moradabad news

नए उपकरण से चार घंटे में 20 कर्मी यार्ड की लाइन को शिफ्ट कर सकेंगे।

By Narendra KumarEdited By: Published: Thu, 06 Feb 2020 04:20 PM (IST)Updated: Thu, 06 Feb 2020 06:30 PM (IST)
बेकार पटरी से तैयार कर दिया यार्ड की लाइन को शिफ्ट करने का उपकरण Moradabad news

मुरादाबाद (प्रदीप चौरसिया)। मुरादाबाद रेल मंडल के इंजीनियर रॉकी तुहर ने स्टेशन के यार्ड की रेल लाइन को शिफ्ट करने के लिए बेकार पटरी से उपकरण तैयार किया है। वर्तमान में यार्ड की लाइन शिफ्ट करने में न्यूनतम 15 घंटे का समय लगता है और 75 रेल कर्मियों को तैनात किया जाता है। नए सिस्टम से चार घंटे में 20 रेल कर्मी यार्ड की लाइन को शिफ्ट कर सकेंगे। तकनीक  हाईस्पीड ट्रेन चलाने में मददगार होगी। इसमें टे्रन को निरस्त नहीं करना पड़ेगा। इस मॉडल को भारतीय रेलवे अपनाने जा रहा है।  

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रेलवे के इंजीनियङ्क्षरग विभाग में सहायक अभियंता के पद पर तैनात रॉकी तुहर ने रेललाइन बदलने के लिए जुगाड़ से उपकरण बनाया है। इसके लिए बेकार पड़ी रेललाइन व ट्रॉली में लगने वाले पहिए को चुना है। पुरानी लाइन और पहिया को जोड़कर एक ट्राली बनाई गई है। इससे काम करने के लिए यार्ड में लूप लाइन को दो स्थानों पर कटा जाता है और जैक द्वारा रेललाइन व स्लीपर को एक साथ उठाकर बनाई गई ट्राली पर रखा जाएगा। इसको 20 कर्मचारी धक्का देकर दूसरे स्थान तक ले जाया जा सकते हैैं और लूप लाइन का विस्तार दे दिया जाएगा। 

रॉकी तुहर बताते हैैं कि इस सिस्टम से 15 घंटे के बजाय छह घंटे में यार्ड का विस्तार, लूप लाइन बदलने का काम होगा। इससे काम करने पर ट्रेनों को निरस्त करने की आवश्यकता नहीं होगी। इस कार्य के लिए कुछ हजार रुपये खर्च करने पड़ेंगे। कम कर्मचारियों में अधिक काम होता है। मंडल रेल प्रबंधक तरुण प्रकाश ने बताया कि मेक इन इंडिया के तहत युवा इंजीनियर ने लूप लाइन का विस्तार करने का उपकरण तैयार किया है। नए उपकरण की रिसर्च डिजाइन एंड स्टेंडर्ड आर्गेनाइजेशन (आरडीएसओ) ने जांच की थी। शीघ्र ही यह सिस्टम भारतीय रेल में सभी जगह अपनाया जाएगा। 

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यह है वर्तमान स्थिति

रेलवे जर्जर लाइन बदलने व तेज गति की ट्रेन चलाने के प्रयास में जुटा है। यार्ड को छोड़ कर अन्य स्थानों पर रेललाइन मशीन द्वारा बदली जा रही हैं। दो घंटे में एक किलोमीटर रेललाइन व स्लीपर बदले जा रहे हैं। यार्ड में पुरानी लाइन के चलते ट्रेनों को 15 से 30 किमी प्रतिघंटा की रफ्तार से चलाना पड़ता है। इसमें रेल यातायात बंद कर 75 रेल कर्मियों की जरूरत होती है। एक यार्ड की लाइन बदलने में 11 लाख रुपये खर्च होते हैं।


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