50 फीसद तक कम हुई रेडीमेड गारमेंट्स की खरीद moradabad news
बाजार में छाई मंदी का असर हर ट्रेड पर दिखाई देने लगा है। पीतल उद्योग हो या आटोमोबाइल सेक्टर हर जगह से खरीदार कम हो रहे हैं।
मुरादाबाद, जेएनएन। बाजार में छाई मंदी का असर हर ट्रेड पर दिखाई देने लगा है। पीतल उद्योग हो या आटोमोबाइल सेक्टर हर जगह से खरीदार कम हो रहे हैं। सबसे ज्यादा असर सराफा बाजार में दिख रहा है। मंदी की चोट रेडीमेड गारमेंट्स के बाजार पर भी पड़ी है। बाजार से खरीदार कम हो गए हैं। कई दुकानें ऐसी हैं जहां पूरे दिन ग्राहक का इंतजार करते- करते दुकानदार की शाम हो जाती है। व्यापारियों का कहना है कि पिछले दो महीने में व्यापार 50 फीसद तक गिर गया है।
दो महीने पहले टाउनहाल से लेकर गंज बाजार, गुरहट्टी, बुद्ध बाजार जैसे कई इलाके भीड़-भाड़ से गुलजार रहते थे। अब यहां से खरीदार गायब है। आलम यह है कि जो व्यापारी हर सप्ताह माल मंगा रहे थे, वे दो से तीन सप्ताह में माल लेने जा रहे हैं। रेडीमेड गारमेंट्स के विक्रेता कमल सक्सेना का कहना है कि अगस्त-सितंबर में आने वाले त्योहारों को देखते हुए खरीदारी बढ़ जाती थी लेकिन, इस बार बाजार पूरी तरह से ठप हो चुका है।
ऑनलाइन मार्केट का पड़ रहा असर
रेडीमेड गारमेंट्स पर सबसे ज्यादा असर ऑनलाइन मार्केट का पड़ रहा है। व्यापारियों का कहना है ज्यादातर लोग कपड़ों की खरीद ऑनलाइन कर रहे हैं। इस कारण बाजार में ग्राहक नहीं पहुंच रहे हैं। ऑनलाइन मार्केट के कारण 30 फीसद व्यापार कम हुआ है।
स्टॉक करना भूले ग्राहक
व्यापारियों का कहना है कि हर व्यापारी ग्राहकों के लिए माल का स्टॉक तैयार रखता था। अब ग्राहक ही नहीं आ रहे हैं। इसलिए स्टॉक भी व्यापारी नहीं रख रहे हैं। व्यापारी राहुल गगनेजा का कहना है रेडीमेट गारमेंट्स के ज्यादातर व्यापारी हर सप्ताह माल मंगाते थे, लेकिन अब महीने में एक से दो बार ही माल मंगा रहे हंै।
पांच महीने पहले मैं जो भी माल मंगवाता था, उसमें ही 50 फीसद की कमी आ गई है। दुकान पर दिन में दस ग्राहक भी नहीं आते, लोग अब जरूरत भर का ही सामान खरीद रहे हैं।
- कमल कुमार सक्सेना, कपड़ा व्यापारी।
दो महीने में व्यापार काफी तेजी से गिरा है। ग्राहक बाजार में नहीं आ रहा है। इस कारण व्यापारी माल नहीं मंगा रहे। सबसे ज्यादा मार ऑनलाइन मार्केट की वजह से पड़ी है।
- राहुल गगनेजा, कपड़ा व्यापारी।
आदमी अब सिर्फ जरूरत भर का ही सामान खरीद रहा है। उसने जरूरत के अलावा खरीदारी करना छोड़ दिया है, दरअसल लोगों के पास पैसा ही नहीं बचा है।
- विकास बिंदल, कपड़ा व्यापारी।
सहालग शुरू होने वाले हंै, जिस वजह से कुछ न कुछ खरीदा ही जाएगा। अब इतनी महंगाई है कि कोई ज्यादा सामान नहीं खरीद रहा है। अतिरिक्त की नहीं सोच रहा।
मुहम्मद आसिफ, ग्राहक।
पहले ग्राहक एक कपड़ा खरीदने आते थे, लेकिन उससे ज्यादा की खरीदारी करते थे। अब इतना पैसा ही नहीं है लोगों के पास कि जरूरत से ज्यादा सोच सके।
- मनु प्रताप सिंह, ग्राहक