अस्पतालों में इस्तेमाल हो रही खराब फैब्रिक की पीपीई किट
अस्पतालों में इस्तेमाल हो रही खराब फैब्रिक की पीपीई किट।
मुरादाबाद, जेएनएन। चंद रुपये बचाने की खातिर कोरोना से जंग लड़ रहे डॉक्टर और पैरामेडिकल स्टाफ की जिदगी खतरे में डाली जा रही है। जिला अस्पताल, महिला अस्पताल की नई बिल्डिग, विवेकानंद नर्सिंग कालेज, एमआइटी में लगे डॉक्टरों को कोरोना वायरस का पूरा पूरा खतरा है। क्योंकि ये किट दिखाने के लिए हैं। कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए नाकाफी हैं। पीपीई किट को लेकर स्वास्थ्य विभाग ने भी पड़ताल शुरू कर दी है। कारपोरेशन से मिली किट में कितना सामान कम और सिटरा आदि से एप्रूव्ड है या नहीं इसकी भी जांच की जाएगी। बाजार से भी सस्ते के चक्कर में पीपीई किट खरीदी गईं हैं।
ये बोले सीएमओ
पीपीई किट कारपोरेशन से आई है। क्या सामान कम है इसकी जानकारी नहीं है। इसके अलावा क्वालिटी भी चेक की जाएगी। जो भी सामान कम निकला है। उसके लिए भी पता करके मुख्यालय को जानकारी देंगे।
डॉ. एमसी गर्ग, सीएमओ मुरादाबाद ये हैं मानक
- 90 जीएसएम हो कपड़े की मोटाई
- सिटरा यानी साउथ इंडियन टैक्सटाइल एंड रिसर्च एसोसिएशन से एप्रूव्ड का बेच नंबर पड़ा हो
- लेमिनेटेड यानी वाटर प्रूफ हो
- एल्कोहल प्रूफ
- हुड के साथ
- शू कवर
- री इंफोर्स्ड लेमिनेशन हो
- एप्रूवल वाला यूटीआर नंबर होना जरूरी जिससे नंबर स्कैन कर कंपनी से एप्रूवल का पता लग सके
- किट पर मैन्यूफैक्चर का नाम और नंबर होना जरूरी
- पीपीई किट की हर सिलाई पर टेपिग हो
- जिप पर तीन से चार इंच का कवर हो
- एक्स-एल साइज होना चाहिए कारपोरेशन किट में ये सामान कम
सीएमओ स्टोर में कोरोना वायरस से लड़ने के लिए कारपोरेशन लखनऊ ने टेपिग वाली पीपीई किट तो भेजी है लेकिन, उसमें एप्रूवल का कोई नंबर नहीं पड़ा है। इसके साथ ही उसमें शू कवर के अलावा ग्लब्ज, एन-95 मास्क और फेस शीट नहीं है। कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए सिर्फ सस्ते चश्मे भेज दिए गए हैं। अभी सीएमएसडी स्टोर में 2,125 पीपीई किट स्टॉक में हैं।