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थैले बनाने वाली फैब्रिक से बनाई जा रही पीपीई किट Moradabad News

यूटीआर नंबर नहीं स्कैन करने से एप्रूवल का नहीं लगता पता। कारपोरेशन से आई किट में सामान कम 2125 पीपीई किट स्टॉक में। मंडल के सभी जिलों में है कोरोना का कहर।

By Ravi SinghEdited By: Published: Mon, 25 May 2020 02:24 PM (IST)Updated: Mon, 25 May 2020 02:24 PM (IST)
थैले बनाने वाली फैब्रिक से बनाई जा रही पीपीई किट Moradabad News

मुरादाबाद (मेहंदी अशरफी)। कोरोना संकट काल में पीपीई (पर्सनल प्रोटेक्शन इक्यूपमेंट) किट की उपयोगिता बढ़ गई है। सरकारी अस्पताल हो या निजी नर्सिंगहोम, हर जगह मरीजों की देखभाल करने वाले खुद को संक्रमण से बचाने के लिए पीपीई किट पहनकर काम कर रहे हैं। खपत बढऩे पर बाजार में थैले बनाने वाली फैब्रिक से पीपीई किट बनाई जा रही है। ऐसी किट पर यूटीआर नंबर नहीं है, जिसको स्कैन करके विस्तृत जानकारी पता हो सके। इसकी जानकारी भी खाद्य एवं औषधि प्रशासन के पास है। कार्रवाई के लिए नियम नहीं होने पर चुप्पी है। वहीं कारपोरेशन से जिला अस्पताल में आई किट में भी सामान कम मिला है।

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नॉन वुवन स्पन बाउन फैब्रिक थैली बनाने के काम में आता है। मुनाफे के लिए कुछ होलसेलर इस फैब्रिक से पीपीई किट बनाकर सस्ते दाम में बेच रहे हैं। एप्रूव्ड पीपीई किट सात सौ से आठ सौ रुपये में हैं तो डुब्लीकेट किट महज तीन सौ से चार सौ रुपये में मिल रही हैं। इससे कोरोना वॉरियर्स की ङ्क्षजदगी खतरे में पडऩे की आशंका है। डॉक्टरों व सफाई कर्मचारियों को थैली वाली फैब्रिक से तैयार गाउन मिल रहा है, तभी तो सरकारी अस्पताल व नगर निगम के सफाई कर्मचारी कोरोना संक्रमित मिले हैं। यूटीआर यूनिक ट्रांजेक्शन रेफ्रेंस नंबर होता है। इससे कंपनी के नाम से लेकर बैंक के लेन-देन तक की जानकारी रहती है।

ये हैं मानक

-90 जीएसएम होनी चाहिए कपड़े की मोटाई।

-सिटरा यानी साउथ इंडियन टैक्सटाइल एंड रिसर्च एसोसिएशन से एप्रूव्ड का बैच नंबर पड़ा हो।

-लेमिनेटेड यानी वाटर प्रूफ, अल्कोहल प्रूफ।

-हुड के साथ, शू-कवर।

-किट पर यूटीआर नंबर होना जरूरी।

-पीपीई किट की हर सिलाई पर टेङ्क्षपग हो।

-जिप पर तीन से चार इंच का कवर हो।

-एक्सल साइज होना चाहिए

कारपोरेशन किट में एप्रूवल नंबर, एन 95 मास्क और फेस शीट नहीं

मुख्य चिकित्सा अधिकारी स्टोर में कोरोना से लडऩे के लिए कारपोरेशन लखनऊ ने टेङ्क्षपग वाली पीपीई किट तो भेजी है लेकिन, उसमें एप्रूवल का कोई नंबर नहीं पड़ा है। उसमें शू-कवर के अलावा ग्लब्ज, एन-95 मास्क और फेस शीट नहीं है। सस्ते चश्मे भेज दिए गए हैं। अभी दवा भंडार स्टोर में 2,125 पीपीई किट रखी हैं।

जिला अस्पताल के लिए सामान कारपोरेशन भेजता है। जेम पोर्टल पर ही खरीदारी की जा रही है। जो सामान कम था उसे लोकल स्तर पर पूरा कराकर टीमों को दिया गया है।

-डॉ जीएस मर्तोलिया, इंचार्ज, दवा भंडार स्टोर, जिला अस्पताल।

हमने सिर्फ एप्रूव्ड ही पीपीई किट बेची है। पीपीई किट के नाम पर मार्केट में थैली वाले फैब्रिक की किट बनाकर बेची गई हैं। इसकी जानकारी हम लोगों ने ड्रग विभाग को भी दी है।

-विपुल गर्ग, होलसेल कारोबारी।

डुप्लीकेट पीपीई किट बनाने वालों के लिए कोई रेगुलेशन नहीं हैं। ये वस्त्र मंत्रालय के अधीन है। हम लोग इस वजह से इन पर कोई कार्रवाई नहीं कर सकते हैं। इस तरह की कई सूचनाएं मिल चुकी हैं।

-नरेश दीपक मोहन, ड्रग इंस्पेक्टर।  


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