आओ इनसे सीखें भाईचारा, यहां पूजा और नमाज होती है साथ-साथ
रामपुर का भमरौआ गांव गंगा जमुनी तहजीब की मिसाल है। यहां प्राचीन शिव मंदिर है और मंदिर के सामने मस्जिद तथा सामने मजार शरीफ है। खास बात यह है कि भंडारे में भी मुसलमान शामिल होते हैं।
रामपुर [मुस्लेमीन] ।
देश में हिंदू-मुस्लिम की खाई को बढ़ाने की कोशिश करने वाले चंद सिरफिरों के कामयाब होने की कतई गुंजाइश नहीं है, क्योंकि देश की बुनियाद में एकता और सौहार्द बेहद मजबूत है। मशहूर शायर डॉ. इकबाल की पंक्तियां-मजहब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना, हिंदी हैं हम वतन हिंदोस्तां हमारा। इनके मायने को सही में साकार कर रहे हैं भमरौआ गांव के लोग। यह गांव गंगा जमुनी तहजीब की मिसाल है। यहां प्राचीन शिव मंदिर है, जहां सालभर में कई लाख श्रद्धालु हाजिरी लगाते हैं। मंदिर पर सालभर कार्यक्रम होते रहते हैं, जिनमें मुसलमान भी सहयोग करते हैं।भंडारे में भी मुसलमान शामिल होते हैं। खास बात यह मंदिर से सटी हुई मजार है और सामने मस्जिद है। औ र मजबूती यह है कि मस्जिद से जब अजान होती है तो मंदिर का लाउडस्पीकर शांत हो जाता है और जब मंदिर में पूजा होती है तो मस्जिद का लाउडस्पीकर नहीं बोलता।
रामपुर शहर से सटे भमरौआ गांव की आबादी करीब तीन हजार है। यहां श्री पातालेश्वर महादेव मंदिर है। इसी मंदिर की वजह से इस गांव की जिले में ही नहीं, बल्कि दूर दूर तक पहचान है।गांव में केवल चंद हिंदू परिवार हैं, बाकी सब मुसलमान हैं। मंदिर पर सालभर कार्यक्रम होते रहते हैं। प्रत्येक सोमवार को बड़ी संख्या में श्रद्धालु जलाभिषेक करते हैं, जबकि महाशिवरात्रि पर और सावन माह में तो श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है।
नवाब ने बनवाया था मंदिर
मंदिर के प्रमुख सेवादार संदीप अग्रवाल बताते कहते हैं कि सावन में आखिरी सोमवार को तो यहां एक लाख से ज्यादा श्रद्धालु आते हैं। तब यहां मेला भी लगता है। मंदिर पर होने वाले कार्यक्रमों में मुसलमान भी सहयोग करते हैं। मुस्लिम बस्ती में बने इस मंदिर का निर्माण नवाब अहमद अली खां ने 1788 में कराया था।
मुसलमान भी करते हैं सहयोग
ग्राम प्रधान मुहम्मद असलम का कहना है हमारे गांव में लोग आपस में झगड़ते नहीं, बल्कि एक दूसरे का सहयोग करते हैं। एक दूसरे की धार्मिक भावनाओं का पूरा ख्याल रखते हैं। गांव में कभी सांप्रदायिक तनाव नहीं हुआ है। रामपुर में पुलिस अधीक्षक रहे डा. विपिन ताडा भी भमरौआ केसांप्रदायिक सौहार्द से बेहद प्रभावित हुए। पिछले माह उन्होंने गांव पहुंचकर अगल-बगल में मंदिर व मजार और सामने मंस्जिद देखी तो जमकर तारीफ की। बोले, मुस्लिम आबादी के बीच में इतना बड़ा मंदिर और मंदिर में होने वाले कार्यक्रमों में मुस्लिम भाइयों का भी सहयोग करना वाकई काबिले तारीफ है।