आशाओं के लिए नजीर बनीं पानो देवी, एनएचएम की डॉक्यूमेंट्री फिल्म में आएंगी नजर Rampur News
ईंट भट्टे पर प्रसव पीड़ा से तड़प रही महिला की मदद करके चर्चा में आईं एनएचएम निदेशक कार्यालय से आई टीम ने बनाई डॉक्यूमेंट्री।
रामपुर (भास्कर ङ्क्षसह)। पानो देवी, रामपुर जिले की बिलासपुर तहसील में आशा कार्यकत्र्री हैं। अपने काम को वह इतनी शिद्दत से करती हैं कि अन्य आशाओं के लिए नजीर बन गई हैं। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) निदेशक लखनऊ कार्यालय से आई टीम ने उन पर एक डॉक्यूमेंट्री फिल्म भी बनाई है। डॉक्यूमेंट्री के लिए मिशन निदेशालय ने उनका चयन ऐसे काम से प्रभावित होकर किया, जिसमें उन्होंने अपनी सूझबूझ से प्रसव पीडि़ता और उसके नवजात की जान बचाई। एनएचएम की ओर से अब यह फिल्म स्वास्थ्य विभाग के कार्यक्रमों में आशाओं को दिखाई जाएगी, ताकि उन्हें इससे प्रेरणा मिल सके।
एक घटना ने दिलाया सम्मान
बिलासपुर तहसील की ग्राम पिपालिया में रहने वाली पानो देवी जनवरी 2013 से आशा के रूप में काम कर रही हैं। वह बताती हैं कि करीब चार महीने पहले वह किसी काम से जा रही थीं। गांव की सीमा के बाहर ईंट भट्ठे के पास से गुजरते समय अचानक किसी महिला के चीखने की आवाज सुनाई दी। वह चीख को पहचान गईं कि पास ही कोई प्रसव पीडि़ता है। इस पर वह भट्ठे के अन्दर गईं तो एक टेंट में चारपाई पर पड़ी महिला प्रसव पीड़ा से तड़प रही थी। पास ही उसका पति खड़ा था। तीन साल का बच्चा अपनी मां को चीखते तड़पते देखकर रो रहा था। वहां कोई उनकी मदद करने वाला नहीं था। मैं उस महिला के पास गई। उसे दिलासा दिया। इसके बाद एम्बुलेंस को फोन किया तो उसने एक घंटे तक पहुंचने की बात कही। एम्बुलेंस सेवा न मिलने पर मैंने महिला के पति को टेंपो लाने के लिए कहा। पति ने बताया कि उसके पास टेंपो वाले को देने के लिए पैसे नहीं हैं। इस पर मैंने उसे कहा कि वह टेंपो लेकर आए, पैसे मैं दे दूंगी। महिला का पति टेंपो लेकर आया। उसमें महिला को डालकर सरकारी अस्पताल ले जाने लगे। महिला की हालत देखकर लग रहा था कि उसे किसी भी समय प्रसव हो सकता है। मुझे इसकी थोड़ी बहुत जानकारी प्रशिक्षण के दौरान दी गई थी, जो मुझे याद थी। मैंने खुद को इस स्थिति से निपटने के लिए मानसिक रूप से तैयार कर लिया। टेंपू वाले को तेज चलने का निवेदन किया। इसी बीच स्थिति और खराब हो गई। मुझे टेंपो में ही प्रसव करना पड़ा। महिला बेहोश हो गई थी। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचने पर उसे इलाज दिया गया। बच्चा तो सकुशल था लेकिन, अत्याधिक खून बहने के कारण महिला की हालत काफी गंभीर बनी हुई थी। उसे जिला अस्पताल ले जाया गया। जहां उसे खून चढ़ाया गया और उसकी जान बच गई। अब मां और बच्चा दोनों स्वस्थ थे। बाद में पता चला कि महिला का नाम लक्ष्मी था और उसके पति का नाम महेश। दोनों मूल रूप से बिहार के रहने वाले थे और यहां मजदूरी करते थे।
आशा पानो देवी द्वारा जिस तरह प्रसव पीड़ा से तड़पती महिला की मदद की गई, वह सराहनीय है। जिले में 1916 आशाएं काम कर रही हैं। अन्य आशाओं को भी उनसे सीख लेनी चाहिए।
- प्रभात कुमार, जिला कार्यक्रम प्रबंधक, एनएचएम
जिले की सभी आशाओं को प्रसव के दौरान गर्भवती की देखभाल करने की ट्रेङ्क्षनग दी जाती है। पानो देवी ने उस ट्रेङ्क्षनग के जरिए जिस तरह गर्भवती की मदद की, वह सराहनीय है। दूसरी आशाओं को भी अपना काम इसी तरह ईमानदारी से करना चाहिए।
डॉ. कुलदीप चौहान, ट्रेनर।