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महामारी में भी सत्ता-विपक्ष सरकार इमदाद देने में भी राजनीति Moradabad News

जहां लोग जरूरतमंदों की मदद के लिए खुद आगे बढ़कर आ रहे हैं और दान देने के साथ ही भोजन सामग्री उपलब्ध कराने हैं।

By Narendra KumarEdited By: Published: Thu, 02 Apr 2020 08:29 AM (IST)Updated: Thu, 02 Apr 2020 08:29 AM (IST)
महामारी में भी सत्ता-विपक्ष सरकार इमदाद देने में भी राजनीति  Moradabad News
महामारी में भी सत्ता-विपक्ष सरकार इमदाद देने में भी राजनीति Moradabad News

मुरादाबाद (आशुतोष मिश्र)। यह सियासत है, जिसके कई रंग हैं। हमारे सियासतदां जो न कर दें वह कम ही है। पूरी दुनिया कोरोना से कराह रही है। इस महामारी ने सभी को इंतजामों की हकीकत दिखा दी है लेकिन, यह हमारी सियासत है जो इसमें भी आदत से बाज नहीं आ रही है।

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जहां, लोग जरूरतमंदों की मदद के लिए खुद आगे बढ़कर आ रहे हैं और दान देने के साथ ही भोजन सामग्री उपलब्ध कराने  हैं। वहीं महामारी से लडऩे के लिए सरकारी इमदाद देने में राजनीति भी हो रही है। अगर जेब से कुछ निकालना पड़े तब क्या होगा। सच है कि जिले में फंड देने में भी सत्ता-विपक्ष का फार्मूला प्रभावी है। हाय रे सियासत के किरदार। इस समय सब कुछ भुलाकर सभी को साथ आना चाहिए, वहीं अपने-अपने राजनीतिक समीकरण फिट करने और गणित बैठाने की जुगत लगाई जा रही है। इससे शायद ही किसी को लाभ पहुंचेगा।

दिल जीत लिया है

बात जिंदगी बचाने की है तो यह कदम क्यों न सराहा जाए। बिलारी के नेताजी ने फिर बाजी मार ली। लॉकडाउन से प्रभावित मानवता की सेवा में समाज का हर तबका जुटा है। मगर बेजुबानों की सुनने वाला कौन है? अभी सरकार और अफसर लोगों को घर में रहने की अपील मनवाने में ही हांफ गए हैं। इस बीच नेताजी को सरकार की अपील असर कर गई। अपनी टीम को लोगों की मदद और सरकार के आदेश के पालन कराने की निगरानी सौंप दी और खुद सड़क पर उतर गए। शरीरिक दूरी का पालन किया और दूसरों को भी इसका पालन कराया।

इसी बीच सड़क पर गोवंशीय पशु दिखाई दिए तो लगे हाथ एक मौका और मिल गया। फिर क्या था तत्काल साथियों से चारा मंगवाया और गोवंशीय पशुओं को खिलाने में जुट गए। बिलारी में बीच सड़क नेताजी की ओर से चारा खिलाया जाना चर्चा का विषय बन गया।

काम नहीं पास, मेला उदास

रेलवे ने मजदूरों के हक पर खुद का अधिकार जताने वालों का रुआब छीन लिया है। यात्री ट्रेनों का संचालन बंद है और मालगाडिय़ों के संचालन में जुटे हर कर्मचारी की सुरक्षा और मेडिकल सेवा को लेकर अफसरों को अलर्ट कर दिया है। कोरोना की सतर्कता में रेलवे की तैयारी इतनी चुस्त है कि कर्मचारियों के सवाल पर जिंदाबाद करवाने वाले इन दिनों दुखी हैं।

महामारी ने मजदूर हित की बात का झंडा बुलंद करने वालों के पांव में बेड़ी डाल दी हैं। इनके नाम पर भीड़ जुटाने वाले परेशान हैं। वर्षों से कर्मचारी हित की खातिर पगड़ी बांधने वालों को चिंता में डाल दिया है। कर्मचारी अपनी समस्याएं तो पहुंचा रहे हैं लेकिन, समाधान के प्रयास नजर नहीं आ रहे। कर्मचारी संगठन के सदस्यों का कहना है कि ऊपर वाला देश को इस बला से बचा ले, फिर इस बात की चर्चा होगी कि कौन किसके हित में हैं।

होशियारी दिखाना पड़ गया महंगा

कोरोना लॉकडाउन में मुहल्ले की राजनीति चमकाने वाले पार्षद मौके का फायदा उठाने के चक्कर में अपना पैर कुल्हाड़ी पर मार बैठे। करूला क्षेत्र के पार्षदों ने मुहल्ले के जरूरतमंद लोगों की मदद की ठानी। विचार हुआ भोजन का प्रबंध कैसे हो। फिर तय किया गया कि लोगों से चंदा एकत्रित किया जाएगा।

कुछ चंदे का प्रबंध तो हो गया। अब वितरण की दिक्कत सामने आई तो एक जगह खाने के सौ थैले तैयार कराए गए। दोनों पार्षदों के बीच 50-50 थैले बांट दिए गए। एक पार्षद ने सक्रियता दिखाते हुए रात में घूम- घूमकर जरूरतमंदों को थैले बांट दिए। दूसरे महाशय यहां भी होशियारी दिखाने लगे।

घर से लोगों को पुकार लगाना शुरू कर दिया। भीड़ जुटी तो लोगों ने पुलिस को बुला लिया। भीड़ देख इलाके के दारोगा ने पार्षद को जमकल फटकार लगाते हुए कहा, कारोबारी आदत छोड़ दो, नहीं तो किसी दिन मुश्किल में फंस जाओगे। 


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