फिर फंस गए कंस्ट्रक्शन एंड डिजीइन सर्विसेज के अधिकारी
उर्दू गेट बनाने में फंसे सी एंड डीएस (कंस्ट्रक्शन एंड डिजीइन सर्विसेज) के अधिकारी एक और मामले में फंस गए हैं। इस बार यूनानी अस्पताल की इमारत को लेकर कार्रवाई की जद में आए हैं। जिलाधिकारी ने इनके खिलाफ शासन को लिख दिया है।
मुरादाबाद, जेएनएन। उर्दू गेट बनाने में फंसे सी एंड डीएस (कंस्ट्रक्शन एंड डिजीइन सर्विसेज) के अधिकारी एक और मामले में फंस गए हैं। इस बार यूनानी अस्पताल की इमारत को लेकर कार्रवाई की जद में आए हैं। जिलाधिकारी ने इनके खिलाफ शासन को लिख दिया है।
लीज पर लिया था ट्रस्ट को
मदरसा आलिया की इमारत को सपा शासनकाल में नगर विकास मंत्री रहे आजम खां की मौलाना मोहम्मद अली जौहर ट्रस्ट को लीज पर दे दिया गया। मदरसे को लीज पर दिए जाने के संबंध में भी जिलाधिकारी से शिकायत की गई है, जिसमें तंजीम अवाम ए अहले सुन्नत के सदर मौलाना मोहब्बे अली ने कहा है कि मदरसे को नवाब मदरसा आलिया नवाबी दौर में यूनिवर्सिटी की हैसियत रखता था। इसे खाली कराया जाए। दूसरी मदरसे की इमारत के अगले हिस्से में यूनानी अस्पताल चल रहा था, जिसे मरम्मत के लिए खाली करा लिया गया था। सपा शासनकाल में मदरसे की इमारत के साथ ही अस्पताल की मरम्मत भी कराई गई। सी एंड डीएस ने मरम्मत करा्य कराया और एक करोड़ 28 लाख रुपये खर्च किए, लेकिन मरम्मत के बाद भी अस्पताल डाक्टरों को नहीं मिल सका।
डीएम ने लिया गंभीरता से
इस मामले में यूनानी चिक्तिसाधिकारी ने सप्ताह भर पहले डीएम को अवगत कराया तो उन्होने मामले को गंभीरता से लिया। इसके बाद यूनानी अधिकारी ने गंज थाने में रिपोर्ट कराई, जिसमें कहा कि सपा शासनकाल में कुछ लोग आए थे, जिन्होंने मंत्री के आदमी कहकर कब्जा कर लिया था। इसी अस्पताल में आजम खां की जौहर ट्रस्ट का स्कूल आरपीएस चल रहा था, जिसे बुधवार को प्रशासन ने खाली कराकर यूनानी अस्पताल खुलवा दिया। सपाइयों ने विरोध करते हुए प्रदर्शन किया तो पुलिस ने उनके खिलाफ एक और मुकदमा कर लिया। इसी को लेकर सपाइयों ने चार दिन पहले भी प्रदर्शन किया था, तब भी मुकदमा लिखा गया था। डीएम का कहना है कि इस मामले में सी एंड डीएस अफसरों ने अस्पताल को यूनानी विभाग को नहीं लौटाया। इस लिए उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। इस संबंध में शासन को लिखा गया है ।जिलाधिकारी ने एक सप्ताह पहले ही उर्दू गेट तोडऩे के बाद सी एंड डीएस के अफसरों के खिलाफ कार्रवाई के लिए भी नगर विकास विभाग के प्रमुख सचिव को लिखा था, जिसमें कहा कि उर्दू गेट कम हाइट का बनाया गया और लोक निर्माण विभाग की सड़क पर गेट बनाने से पहले विभागीय स्वीकृति भी नहीं ली गई।