अब आयकर विभाग को नहीं देना पड़ेगा चार साल पुराने टैक्स का हिसाब
अब आयकर दाताओं को विभागीय अफसर परेशान नहीं करेंगे। नई योजना के तहत आयकर दाता से वह केवल चार साल तक का रिकार्ड देख सकेंगे।
प्रदीप चौरसिया (मुरादाबाद) :अब आयकर विभाग चार साल पुराने हिसाब के बारे में कोई पूछताछ नहीं करेगा। सरकार आयकर दाता व आयकर अधिकारियों के बीच टैक्स फ्रेंडली एनवायरमेंट योजना लागू करने जा रही है। हालांकि गंभीर आर्थिक अपराध, विदेशी धन व पूंजी निवेश के मामले में यह नियम लागू नहीं होगा।
कालेधन की निगरानी को कर रखे हैं सख्त उपाय
सरकार ने कालेधन की निगरानी के लिए काफी उपाय कर रखे हैं, जिससे कालेधन को छुपाना व खर्च करना कठिन हो गया है। साथ ही आयकर रिटर्न भरना भी मुश्किल हो गया है। इसके बाद भी आयकर जमा व रिटर्न भरने के बाद आयकर दाता को छह साल तक आय, खर्च व निवेश आदि का रिकार्ड सुरक्षित रखना पड़ता है, क्योंकि छह साल पुराने आय-व्यय का ब्यौरा ( असेसमेंट, री-अससमेंट या री-कंप्यूटेशन) आयकर विभाग पूछ सकता है या पुन: जांच कर सकता है। जवाब व प्रमाण नहीं देने पर आयकर विभाग कानूनी कार्रवाई करता है। ऐसे में आयकर दाताओं को काफी मुश्किल होती है।
नई योजना में केवल चार साल का रिकार्ड रखने की आवश्यकता
सरकार ने आयकर दाताओं की इसी परेशानी को देखते हुए टैक्स फ्रेंडली एनवायरमेंट योजना तैयार की है। इसके तहत आयकर देने व रिटर्न भरने के बाद केवल चार साल तक रिकार्ड रखने की आवश्यकता होगी। चार साल से ज्यादा पुराने मामले का आयकर अधिकारी न तो कोई लेखा-जोखा मांग सकेंगे और न ही कोई कार्रवाई कर सकेंगे। आयकर अधिकारी को यदि किसी आयकर दाता पर शक है तो वह चार साल के अंदर के मामले की जांच कर सकेगा। लेकिन, बड़े व गंभीर आर्थिक मामले में यह नियम लागू नहीं होगा। विदेशी धन या पूंजी निवेश के मामले में 16 साल पुराने मामले की भी जांच की जा सकती है। इस योजना से टैक्स से जुड़े मुकदमों की संख्या भी कम हो सकेगी।
तनाव कम करने को तैयार किया गया प्रस्ताव
वित्त मंत्रालय के डायरेक्ट टैक्स एडवाइजरी कमेटी के सदस्य अरविंद कुमार सिंघल ने बताया कि आयकर दाता व आयकर अधिकारी के बीच तनाव कम करने के लिए प्रोविजन इनकम टैक्स एक्ट 149 को संशोधित करने का प्रस्ताव तैयार किया है, जिसे शीघ्र लागू किया जा सकता है।