अब मरीज की लार ही बता देगी हर बीमारी का नाम Moradabad news
कैंसर हड्डी रोग डायबिटीज डिप्रेशन एवं फारेंसिक विज्ञान में लार से जांच की पहली खोज कोठीवाल डेंटल कॉलेज की ऑरेल मेडिसिन एंड रेडियोलॉजी विभाग की एमडीएस की छात्रा ने की है।
मुरादाबाद (अनुज मिश्र)। किसी भी बीमारी का पता लगाने के लिए अभी ब्लड सैंपलिंग होती है। अब लार के सैंपल की जांच कर बीमारी के कारण का पता लगाया जा सकेगा। मुरादाबाद के कोठीवाल डेंटल कॉलेज की ऑरेल मेडिसिन एंड रेडियोलॉजी विभाग की एमडीएस की छात्रा डॉ.ज्योतिस्मिता ने शोध में सफलता पाई है। लार में उपस्थित 'बायोमारकरस से अब सघन रोगों की जांच संभव हो सकेगी।
डॉ.ज्योतिस्मिता ने बताया कि अभी तक लार से कई जांच हो रही हैं लेकिन, कैंसर, हड्डी रोग, डायबिटीज, डिप्रेशन एवं फारेंसिक विज्ञान में लार से जांच की खोज पहली बार हुई है। मौजूदा समय में कैंसर का आनुवांशिक अनुमान या प्रारंभिक जांच व्यक्ति के ब्लड सैंपल में मौजूद बायोमारकरस के स्तर में उतार चढ़ाव के आधार पर होती है। ठीक इसी प्रकार के बायोमारकरस इंसान की लार यानी सलाइवा में भी उपस्थित होते हैं। ऐसे में लार से विभिन्न रोगों जैसे-कैंसर, हृदय रोग, डिप्रेशन, डायबिटीज, टीबी, पायरिया आदि की सफल जांच मुमकिन है। वहीं, दूसरी ओर सलाइवा की विशिष्ट जांचों द्वारा व्यक्ति की पहचान, लिंग, उम्र का भी अनुमान लगाया जा सकता है। डॉ.ज्योतिस्मिता ने यह शोध ओरल मेडिसिन एवं रेडियोलॉजी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ.राजेन्द्र पाटिल एवं एसोसिएट प्रोफेसर डॉ.उदिता सिंह के निर्देशन में किया है।
यह है लाभ
-सलाइवा का सैंपल प्राप्त करना आसान है।
-इन सैंपलों का संक्रमित होने का भय शून्यमात्र है।
-एक लैब से दूसरी लैब भेजना आरामदेय है।
-सलाइवा का सैंपल व्यक्ति स्वयं ले सकता है।
-आसान, दर्द रहित, चीरा रहित एवं खून रहित तकनीक होने के कारण सैंपल अनेक बार लिए जा सकते हैं।
-सलाइवा सैंपल के लिए प्रशिक्षित पैरामेडिकल स्टॉफ की भी जरूरत नहीं है।
-रक्त के सैंपल में थक्का जमने का डर रहता है लेकिन, सलाइवा में ऐसा नहीं है।
कम आएगा खर्च
एसोसिएट प्रोफेसर डॉ.उदिता सिंह ने बताया कि ब्लड की जांच में जितना खर्च आता है। लार की जांच में उसका आधा ही खर्च आएगा। अभी लार से जांच की सुविधा कम जगहों पर है। जैसे ही लार से जांच के केंद्र बढ़ेंगे, आमजन को इसका खूब फायदा होगा।
शोध को मिला है अंतरराष्ट्रीय अवार्ड
इस शोध को नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस स्टडीज, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस बेंगलुरु में 31 से एक फरवरी तक आयोजित अंतरराष्ट्रीय सलाइवा समिट में सर्वश्रेष्ठ माना गया था। इसके लिए शोध को 'बेस्ट पेपर अवार्ड से नवाजा गया था।