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अब वार्षिक आमदनी के हिसाब से होगा गनर का शुल्क

रसूख या सुरक्षा के लिए गनर रखने के लिए जेब ढीली करनी पड़ेगी। गनर मांगने वाले की वार्षिक आय के अनुसार ही उनसे शुल्क वसूला जाएगा।

By RashidEdited By: Published: Fri, 21 Dec 2018 11:57 AM (IST)Updated: Fri, 21 Dec 2018 11:57 AM (IST)
अब वार्षिक आमदनी के हिसाब से होगा गनर का शुल्क
अब वार्षिक आमदनी के हिसाब से होगा गनर का शुल्क

सुशील कुमार, मुरादाबाद (जेएनएन): रसूख या सुरक्षा के लिए गनर रखने के लिए जेब ढीली करनी पड़ेगी। गनर मांगने वाले की वार्षिक आय के अनुसार ही उनसे शुल्क वसूला जाएगा। किसी मुकदमे में पीडि़त एवं गवाह को भी गनर के खर्च का दस फीसद हिस्सा देना होगा। इस स्थिति में जिला मजिस्टे्रट और कप्तान भी अपना निर्णय ले सकते हैं। जनपद में 21 गनर दिए हुए हैं। कप्तान ने सभी का आधार मांगा है। 

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स्टेटस सिंबल बन चुके गनर लेने के लिए अब तक कोई पैसा नहीं देना होता था। अब गनर के लिए आवेदन करने वाले को जरूरत बताने के साथ ही अपनी सालाना आय का हलफनामा भी देना होगा। पांच लाख तक की वार्षिक आय पर गनर के खर्च 90 हजार में से प्रतिमाह 25 फीसद देना होगा। 5 से 15 लाख आय पर 50 फीसदी, 15 से 25 लाख आय पर 75 फीसदी और 25 लाख सालाना से अधिक आय वाले को एक गनर के लिए 90 हजार यानि पूरा खर्च देना होगा। 

एके-47 व एमपी-5 गन नहीं मिलेंगी

किसी की सुरक्षा में पीएसी के कमांडो तैनात नहीं किए जाएंगे। इसके अलावा जवानों को एके-47 या एमपी-5 गन से लैस कर सिक्योरिटी में नहीं भेजा जाएगा। गनर वही असलहे इस्तेमाल करेंगे जो पुलिसकर्मियों को ड्यूटी के लिए दिए जाते हैं। जिला स्तरीय कमिटी एक माह, मंडलीय समिति तीन माह और शासन की उच्च स्तरीय समिति अधिकतम छह माह के लिए गनर दे सकती है। माननीयों की सुरक्षा में दो गनर तैनात हैं तो उनका खर्च सरकार उठाएगी, तीसरा गनर लेने पर माननीयों को भी अपनी वार्षिक आय का हलफनामा देना होगा। आय के आधार पर ही उन्हें शुल्क मुहैया कराना होगा। फिलहाल सभी गनर की सूची मांगी गई है। उसके बाद तय होगा कि किसको किस प्रकार गनर मिलेगा। 

इन्हें भी गनर देने का अधिकार

गनर दिए जाने का फैसला त्रिस्तरीय समिति करती है। पहले जिला स्तर पर एसएसपी/एसपी की रिपोर्ट पर जिला स्तरीय समिति संस्तुति करती है। उसके बाद डीएम की रिपोर्ट पर मंडल स्तरीय समिति के समक्ष मामला रखा जाता है, जिसकी स्वीकृति मंडलायुक्त देते हैं। शासन स्तर पर गठित उच्च स्तरीय समिति गनर दिए जाने पर अंतिम फैसला करती है। उच्च स्तरीय समिति विशेष परिस्थितियों में निर्धारित शुल्क में बदलाव कर सकती है। 

ये बोले एसएसपी 

एसएसपी जे रविंदर गौड़ ने ने बताया कि गनर की नियमावली में शासन स्तर पर मामूली बदलाव हुआ है। मुरादाबाद में किस स्तर पर गनर मुहैया कराए गए हैं। सभी की रिपोर्ट मांगी गई है। सभी को नियमावली के मुताबिक, गनर मुहैया कराए जाएंगे। 


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