यूं ही नहीं बढ़ा संगठन में भूपेंद्र सिंह का कद जानिए क्या है खास Moradabad News
प्रेमपाल सिंह मुरादाबाद राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) से कैबिनेट मंत्री बनने वाले चौधरी भूपेंद्र सिंह का कद यूं ही नहीं बढ़ा। उन्होंने अपने काम से संगठन में निर्विवाद छवि बनाई।
प्रेमपाल सिंह, मुरादाबाद : उत्तर प्रदेश सरकार के मंत्रिमंडल विस्तार में राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) से कैबिनेट मंत्री बनने वाले चौधरी भूपेंद्र सिंह का कद यूं ही नहीं बढ़ा। उन्होंने अपने काम से संगठन में निर्विवाद छवि बनाई। इसका इनाम कैबिनेट मंत्री के रूप में मिला। इतना ही नहीं उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट खुले में शौच से मुक्त को अंजाम तक पहुंचाया। प्रदेश के मंत्रिमंडल में कई मंत्रियों के विभागों को बदला गया, इसके पीछे कारण कोई भी रहा हो लेकिन उनके विभाग को नहीं बदला गया। संगठन में खुद को निर्विवाद साबित करने के साथ पंचायती राज विभाग में बतौर राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) सूबे में 1.60 करोड़ शौचालय निर्माण में बेहतर भूमिका निभाई। संगठन से समन्वय बनाने के साथ ही विवाद से भी हमेशा दूर रहे। इतना ही नहीं शुरू से लेकर अब तक संगठन के विश्वासपात्र बने रहे। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जाट नेता के रूप में उभरे हैं। उनको पहले एमएलसी बनाया गया, इसके बाद प्रदेश सरकार में पंचायती राज राज्यमंत्री का जिम्मेदारी सौंपी गई। अब नई कैबिनेट में अहम जिम्मेदारी मिली है। इतना ही नहीं आगामी चुनावों को देखते हुए उनको जाट बाहुल्य राज्य हरियाणा में भी चुनाव सह प्रभारी बनाया गया है।
मंत्रिमंडल विस्तार में 2022 में होने वाले विधानसभा के चुनाव और उससे पहले 13 सीटों के उपचुनाव को देखते हुए जातिगत संतुलन को साधा गया है। पश्चिम उत्तर प्रदेश में जाट मतदाताओं में निर्विवाद छवि के रूप में पहचान बनाने वालेचौधरी भूपेंद्र सिंह का कद बढ़ाकर कैबिनेट मंत्री किया गया है। पश्चिम के प्रभावी जाट चेहरा चौधरी भूपेंद्र सिंह के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे अमित शाह से ही नहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक से संबंध हैं, तभी तो विरोध के बावजूद उनके कद कहीं नहीं घटने दिया। मुरादाबाद मंडल में भले ही भाजपा लोकसभा चुनाव हार गई हो, उनके कद और संगठन में कोई फर्क नहीं पड़ा। उनके फीड बैक और संगठन के प्रति निष्ठा ने उनका कद बढ़ा दिया। बतौर स्वतंत्र प्रभार मंत्री के रूप में उनको जब पंचायती राज विभाग की जिम्मेदारी थी। मोदी-योगी की प्राथमिकता वाली योजनाओं की सफलता ने आगे बढ़ाया।
प्रदेश में सरकार गठन से पहले ही बने एलएलसी
उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव से पहले ही भाजपा ने उनको एमएलसी बनाया था और इस इलाके में जाटों को साधने के लिए अचूक मंत्र मारा था। यही नहीं टिकट वितरण में भी भूपेंद्र सिंह की खूब चली थी और टिकट के फैसले के बाद टिकट न मिलने वाले कई नेताओं ने इनका पुतला तक फूंक दिया था। इसके बावजूद पार्टी का उन पर भरोसा कायम रहा और इसी कारण इन्हें सूबे के सभी चरणों में पार्टी के प्रचार के लिए लगाया गया। जिस टिकट पर उनको वीटो लगा, उसको ही टिकट मिली।
बुरे दिनों में भी नहीं छोड़ा पार्टी का साथ
दरअसल, भूपेंद्र सिंह के पक्ष में कई बातें हैं, जो उन्हें मंत्री पद के लिए फिट बैठा रही हैं। एक तो पार्टी के बुरे दिनों में भी इन्होंने पार्टी नहीं छोड़ी। फिर जो जिम्मेदारी मिली, उसे भलीपूर्वक निभाया। इसके अलावा आरएसएस संगठन में भी अच्छी पकड़ और फिर मंडल में जो भी विधायक जीते, सभी पर इनका ही आशीर्वाद रहा। इसके साथ ही हमेशा गुटबाजी से भी कोसों दूर रहे, इसलिए पार्टी के शीर्ष नेताओं में इनकी छवि बेहतर है।